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29 साल में 7 एकड़ बंजर जमीन को इस शख्स ने हरियाली से पाट दिया - वृक्षारोपण

बलौदा बाजार के हीरारतन ने पर्यावरण को बचाने के क्षेत्र में एक अच्छी पहल की है. हीरारतन ने अपने बगीचे में हजारों पेड़ लगाए हैं, जिसमें बरगद, पीपल, आम, नीम, बेल, सीसम, अर्जुन, जामुन समेत कई फलदार पेड़ लगाए हैं.

हीरारतन की पर्यावरण को बचाने के क्षेत्र में अच्छी पहल
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Published : Jul 8, 2019, 8:22 PM IST

बलौदा बाजार: पथरीली बंजर भूमि में हरियाली की आस लिए हीरारतन ने 29 साल में 7 एकड़ जमीन का हरे सोने से श्रृंगार किया है. बंजर भूमि में पसीना बहाकर इस शख्स ने हरियाली की चादर बिछा दी है. अपनी मेहनत से हीरारतन ने इस इलाके को पेड़ों से पाट दिया है.

वैसे तो वृक्षारोपण और पर्यावरण को बचाने की बात तो लोग लाख करते हैं, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर होती है. सरकार भी योजनाएं चलाकर भूल जाती है और पेड़ों का जीवन बिन देख-रेख के खत्म हो जाता है. हीरारतन कहते हैं इन पेड़ों से उन्हें जिंदगी मिलती है और पेड़ों को देखकर उन्हें बहुत सुकून मिलता है.

हीरारतन की पर्यावरण को बचाने के क्षेत्र में अच्छी पहल

कई तरह के पेड़ लगाए
इस सुंदर से लहलहाती बगीचे में लोगों के ऑक्सीजन के लिए हीरारतन ने हजारों पेड़ लगाए हैं, जिसमें बरगद, पीपल, आम, नीम, बेल, सीसम, अर्जुन, जामुन समेत कई फलदार पेड़ लगे हैं. हीरारतन कहते हैं एक पेड़ कई पुत्रों के बराबर है.

हीरारतन जैसे और लोगों की जरूरत
हीरारत्न किसान हैं, जिन्होंने बीए की पढ़ाई करने के बाद भी खेती किसानी और समाजसेवा को चुना. हीरारतन जैसे लोग आज समाज में एक मिसाल कायम कर रहे हैं और अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे हैं. हमारी धरती को इनके जैसे और लोगों की जरूरत है.

बलौदा बाजार: पथरीली बंजर भूमि में हरियाली की आस लिए हीरारतन ने 29 साल में 7 एकड़ जमीन का हरे सोने से श्रृंगार किया है. बंजर भूमि में पसीना बहाकर इस शख्स ने हरियाली की चादर बिछा दी है. अपनी मेहनत से हीरारतन ने इस इलाके को पेड़ों से पाट दिया है.

वैसे तो वृक्षारोपण और पर्यावरण को बचाने की बात तो लोग लाख करते हैं, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर होती है. सरकार भी योजनाएं चलाकर भूल जाती है और पेड़ों का जीवन बिन देख-रेख के खत्म हो जाता है. हीरारतन कहते हैं इन पेड़ों से उन्हें जिंदगी मिलती है और पेड़ों को देखकर उन्हें बहुत सुकून मिलता है.

हीरारतन की पर्यावरण को बचाने के क्षेत्र में अच्छी पहल

कई तरह के पेड़ लगाए
इस सुंदर से लहलहाती बगीचे में लोगों के ऑक्सीजन के लिए हीरारतन ने हजारों पेड़ लगाए हैं, जिसमें बरगद, पीपल, आम, नीम, बेल, सीसम, अर्जुन, जामुन समेत कई फलदार पेड़ लगे हैं. हीरारतन कहते हैं एक पेड़ कई पुत्रों के बराबर है.

हीरारतन जैसे और लोगों की जरूरत
हीरारत्न किसान हैं, जिन्होंने बीए की पढ़ाई करने के बाद भी खेती किसानी और समाजसेवा को चुना. हीरारतन जैसे लोग आज समाज में एक मिसाल कायम कर रहे हैं और अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे हैं. हमारी धरती को इनके जैसे और लोगों की जरूरत है.

Intro:वृक्षारोपण ओर पर्यावरण को बचाने की बात तो लगातार होते है लेकिन ऐसे बहुत कम लोग होते है को पर्यावरण को बचाने के लिए काम कर पाते है ।

बालोदा बाजार के कसडोल ब्लाक के कटगी में रहने वाले हीरारतन तम्बोली ने कटगी से बहने वाली जोक नदी के तट पर डुबान होने वाली बंजर जमीन पर पिछले 29 सालों से वृक्षारोपण कर बंजर भूमि को हरियाली के तब्दील कर दिया।।

पिछले 29 सालो में उन्होंने 7 एकड़ बंजर भूमिं पर हजार वृक्ष लगाकर उसे हराभरा कर दिया, वही रोजाना उसकी देख भाल करते है।। उनकी सुरक्षा के लिए पत्थर से उसका घेराव भी किया है।

हीरारतन ने बताया कि वे जबसे गायत्री परिवार से जुड़े है तब से उन्हें आचार्य श्री राम शर्मा से प्रेरणा मिली तभी से वह समाज सेवा में लगे हुए है। उन्होंने पर्यावरण को बचाने और प्रकृति के लिए अपना कर्तव्य मानते हुए वृक्षारोपण का काम शुरू किया था । वही आज के समय वह पेड़ फल फूल रहे है।।


Body:हीरारतन ने बताया कि वे इन पेड़ों को बचाने के लिए वे पहले पेड़ की लकड़ी लगाकर उसका घेरा करते थे लेकिन मवेशियों द्वार उसे गिरा दिया जाता था । फिर उन्होंने पौधों को बचाने के लिए पत्थर खदान से अनुपयोगी पत्थरों को खरीद कर एक एक पत्थर जोड़कर पौधे को सुरक्षित बचाया है।
उन्होंने बताया कि ₹700 प्रति ट्रैक्टर के हिसाब से उन्होंने लगभग 50 ट्रैक्टर से भी अधिक अनुपयोगी पत्थर को खरीदकर पेड़ों की रक्षा के लिए उसका इस्तेमाल किया।।


ये पेड़ लगाए है।।

लोगों को आक्सीजन के साथ साथ फल भी मिले इस इतने सालों मेंबरगद, पीपल, आम, नीम , बेल ,सिसिम अर्जुन पेड़, जाम ,जॉमुन का पेड़ लगाया है साथ ही बाबुल का पेड़ ज्यादा सँख्या में लगाया है।।



वही इन जगह पर 20 दिन से 25 साल के पौधे ओर वृक्ष मौजूद है। उन्होंने बताया कि पेड़ लगाने से पहले वह गड्ढा कर लेते हैं साथ ही उसे पत्थरों से घेर लेते हैं उसके बाद उसमें वृक्ष लगाते हैं जैसे-जैसे पौधे की ऊंचाई बढ़ती जाती है वैसे-वैसे वेब पत्थरों का घेरा बढ़ाते जाते हैं और वृक्ष के बड़े होने के बाद उनके काटो से घेर देते है।।



Conclusion:हीरारतन का ज्यादातर समय इन्हीं पेड़ों के बीच में गुजरता है । वे इन्हें अपने बच्चों के जैसा मानते हैं और उससे ज्यादा भी इनकी रक्षा करते हैं। जब कोई जानवर या बच्चों द्वारा पेड़ पौधों का नुकसान पहुचता है तो वे उनसे कुछ नही कहते , ओर मन ही मन कहते है कि आप वृक्ष को नुकसान पहुचाते रहे । मैं ओर वृक्ष लगातार रहूंगा, ।

हीरा रतन का कहना है कि जीवन में वृक्ष का बहुत महत्व है वही वृक्ष हमें ऑक्सीजन देते हैं, वही वर्षा कराने में वृक्षों का महत्व अधिक है। जल के स्तोत्र को बचाता है। वही शास्त्रों में 10 पुत्रों के बराबर एक वृक्ष को कहा गया है। वही वृक्षारोपण करने से मुझे बहुत सुकून मिलता है।


वही पौधों में पानी डालने के के लिए वह साइकिल से पानी ढोकर लाते हैं। पौधों को बड़ा करने के लिए गाय के गोबर का उपयोग खाद के रूप में करते हैं। वहीं अगर पेड़ पड़ जाता है तो मेरे को हटाकर नए पौधों के लिए गड्ढा खोद उन पत्थरों का इस्तेमाल घेराकरने के लिए करते हैं।

हीरा रतन पेशे से एक किसान है वहीं उन्होंने बी ए की पढ़ाई की है और अर्द्ध शासकीय सेवा भी की लेकिन उसे छोड़कर वे खेती किसानी ओर समाज सेवा के काम में लग गए। वही हीरारतन जैसे लोग समाज मे एक मिसाल कायम कर । अपनी जिमेदारी निभा रहे है।।


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