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निजी स्कूलों से कम नहीं है ये सरकारी विद्यालय, खेल-खेल में मिलता है ज्ञान - children are educating through playing

परसापाली गांव के सरकारी में बड़े प्राइवेट स्कूलों से जैसी सुविधाएं तो नहीं है, लेकिन जितनी है उतनी शायद ही किसी सरकारी स्कूलों में होगी. पढ़ाई के साथ यहां बच्चों में नेतृत्व क्षमता और कम्युनिकेशन स्किल डेवलप करने के लिए शिक्षक तरह-तरह की कोशिश करते हैं.

सरकारी स्कूल
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Published : Jul 23, 2019, 10:55 PM IST

बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ के स्कूल की ये बेहतरीन तस्वीर बलौदा बाजार जिले के परसापाली गांव से सामने आई है. खेल-खेल में बच्चों को अक्षरज्ञान देकर शिक्षित किया जा रहा है. भले ही प्रदेश से हमें ऐसी तस्वीरें कम देखने को मिलें लेकिन जब भी मिलती हैं सुकून से भर देती हैं.ऐसे में जब सरकारी स्कूल के शिक्षक ही अपने बच्चों को पढ़ने निजी स्कूलों में भेज रहे हैं. परसापाली गांव का ये स्कूल, यहां पढ़ने वाले बच्चे और पढ़ाने वाले शिक्षक मिसाल की तरह हैं. यहां के शिक्षक भी बच्चों को कुछ ऐसे पढ़ा रहे हैं, जैसे विज्ञान, गणित कोई विषय नहीं खेल का नाम हो. आप भी सुनिए.

निजी स्कूलों से कम नहीं है ये सरकारी विद्यालय, खेल-खेल में मिलता है ज्ञान

परसापाली गांव के सरकारी में बड़े प्राइवेट स्कूलों से जैसी सुविधाएं तो नहीं है, लेकिन जितनी है उतनी शायद ही किसी सरकारी स्कूलों में होगी. कम सुविधाओं में भी यहां के शिक्षक बच्चों को हर विषय का बेहतर ज्ञान दे रहे हैं. पढ़ाई के साथ यहां बच्चों में नेतृत्व क्षमता और कम्युनिकेशन स्किल डेवलप करने के लिए शिक्षक तरह-तरह की कोशिश करते हैं.

पढ़ें- EXCLUSIVE : चंद्रयान की उड़ान में बिलासपुर के विकास का रहा विशेष योगदान

छात्रों को बेहतर सुविधा देने के लिए स्कूल की दीवारों और टेबल-कुर्सी पर भी आकर्षक पेंटिंग कराई गई है. इसके अलावा हर महीने टीचर्स बच्चों की प्रोग्रेस की समीक्षा करते हैं. छोटे बच्चों को साउंड के माध्यम से अल्फाबेट्स और अंग्रेजी की पढ़ाई कराई जाती है, ताकि बच्चों को शब्दों के उच्चारण में किसी प्रकार की समस्या ना हो और वे आसानी से अंग्रेजी भाषा को समझ सके. यहां के शिक्षकों को देख यह अंदाज तो लगाया जा सकता है यहां बच्चों का भविष्य उज्जवल है.

बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ के स्कूल की ये बेहतरीन तस्वीर बलौदा बाजार जिले के परसापाली गांव से सामने आई है. खेल-खेल में बच्चों को अक्षरज्ञान देकर शिक्षित किया जा रहा है. भले ही प्रदेश से हमें ऐसी तस्वीरें कम देखने को मिलें लेकिन जब भी मिलती हैं सुकून से भर देती हैं.ऐसे में जब सरकारी स्कूल के शिक्षक ही अपने बच्चों को पढ़ने निजी स्कूलों में भेज रहे हैं. परसापाली गांव का ये स्कूल, यहां पढ़ने वाले बच्चे और पढ़ाने वाले शिक्षक मिसाल की तरह हैं. यहां के शिक्षक भी बच्चों को कुछ ऐसे पढ़ा रहे हैं, जैसे विज्ञान, गणित कोई विषय नहीं खेल का नाम हो. आप भी सुनिए.

निजी स्कूलों से कम नहीं है ये सरकारी विद्यालय, खेल-खेल में मिलता है ज्ञान

परसापाली गांव के सरकारी में बड़े प्राइवेट स्कूलों से जैसी सुविधाएं तो नहीं है, लेकिन जितनी है उतनी शायद ही किसी सरकारी स्कूलों में होगी. कम सुविधाओं में भी यहां के शिक्षक बच्चों को हर विषय का बेहतर ज्ञान दे रहे हैं. पढ़ाई के साथ यहां बच्चों में नेतृत्व क्षमता और कम्युनिकेशन स्किल डेवलप करने के लिए शिक्षक तरह-तरह की कोशिश करते हैं.

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छात्रों को बेहतर सुविधा देने के लिए स्कूल की दीवारों और टेबल-कुर्सी पर भी आकर्षक पेंटिंग कराई गई है. इसके अलावा हर महीने टीचर्स बच्चों की प्रोग्रेस की समीक्षा करते हैं. छोटे बच्चों को साउंड के माध्यम से अल्फाबेट्स और अंग्रेजी की पढ़ाई कराई जाती है, ताकि बच्चों को शब्दों के उच्चारण में किसी प्रकार की समस्या ना हो और वे आसानी से अंग्रेजी भाषा को समझ सके. यहां के शिक्षकों को देख यह अंदाज तो लगाया जा सकता है यहां बच्चों का भविष्य उज्जवल है.

Intro:लोगो की मानसिकता रहती हैंकि सरकारी स्कूलों में बेहद ही कम पढ़ाई होती है लेकिन वही सरकारी स्कूल शिक्षक हर एक बच्चे को ट्रेन कर रहे है।। वही यहां के शिक्षकों का पढ़ाने का अंदाज ही निराला है ।

बलौदाबाजार जिले के छोटे से गाव परसापाली के प्राथमिक शाला में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में यहां के शिक्षक कोई कमी नहीं करते।

यहां के शिक्षक अलग ही अंदाज़ में बच्चे को शिक्षा दे रहे है।।।


बाईट


मेघनाथ साहू

शिक्षक


Body:परसापली स्कूल में बच्चे को प्राइवेट स्कूल के जैसी बेहतर शिक्षा सरकारी स्कूल में मुहैया करवा रहे हैं।।

बच्चों के सामान्य ज्ञान गणित और अंग्रेजी से विषयों पर खेल खेल के माध्यम से चीजें पढ़ाई जाती है। वही बच्चे बेहतर सीख सकें इसलिए बच्चों के साथ बच्चा बनकर शिक्षक उन्हें शिक्षा का पाठ पढ़ा रहे हैं।।

गांव के प्राथमिक शाला में पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा तक के छात्र पढ़ाई करते हैं वही गांव के परिजनों का भी कहना है कि शिक्षकों द्वारा उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा रही है।।


Conclusion:साथी स्कूल की कक्षाओं में सामान्य ज्ञान सड़क संकेत आकृतियां बनी हुई है जिससे बच्चों को चित्र के माध्यम से भी चीजें समझाई जाती है


स्कूल के शिक्षक मेघनाथ साहू बताते हैं कि बच्चों के ज्ञान के लिए नई नई टेक्निक से उन्हें पढ़ाई कराई जाती है साथ ही गीत संगीत, नाच गाने कर बच्चों को पढ़ाई के साथ जोड़ा जाता है।।

वही स्कूल के शिक्षक मेघनाथ बच्चों के साथ केबीसी जैसे खेल खेल खिलवाकर उन्हें सामान्य ज्ञान की प्रतियोगिता करवाते हैं । वही बच्चे भी खेल खेलने के लिए घर से पढ़ाई कर कर आते हैं।


साथ ही साथ छोटे बच्चों को साउंड के माध्यम से अल्फाबेट्स और अंग्रेजी की पढ़ाई कराई जाती है ताकि बच्चों को शब्दों के उच्चारण में किसी प्रकार की समस्या ना हो और वे आसानी से अंग्रेजी भाषा को समझ सके।।

वहीं यहां के शिक्षकों के बहाने के अंदाज को देखकर जान आजा लगाया जा सकता है बच्चों का भविष्य उज्जवल है।।

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