बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ में बढ़ते कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण सभी वर्गों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में फिलहाल लॉकडाउन लागू है. जिसके कारण पोल्ट्री फार्म संचालक और चिकन व्यवसायी परेशान (Chicken business in loss) हैं. खाद्य पदार्थों में चिकन शामिल जरूर है, लेकिन फिलहाल इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है. पोल्ट्री फार्म संचालक काफी परेशान हैं. उनकी मांग है कि प्रशसान उन्हें भी दुकान खोलने के लिए एक निर्धारित समय सीमा दे.
घाटे में हैं चिकन व्यवसाय
साल 2020 में कोरोना संक्रमण के बाद से पोल्ट्री फार्म व्यवसाय (Poultry Farm Business) पूरी तरह से घाटे में चल रहा है. साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान 3 महीनों तक व्यवसाय ठप था. इस दौरान जब दुकानें खुली तब चिकन खाने से लोग कतरा रहे थे. ऐसे में बाजार भाव भी पूरी तरह गिर गया था. 50 रुपए किलो से भी कम भाव में चिकन बेचने के लिए व्यवसायी मजबूर हो गए थे.
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बर्ड फ्लू का पड़ा असर
बीते एक साल में चिकन व्यापारियों को काफी नुकसान सहना पड़ा है. लॉकडाउन के साथ ही बर्ड फ्लू ने भी व्यवसाय पर असर दिखाया है. दरअसल कोरोना की रफ्तार कम होने के बाद छत्तीसगढ़ में बर्ड फ्लू के मामले मिलने लगे थे. बड़ी तादाद में पक्षियों की मौत हो रही थी. ऐसे में दोबारा पोल्ट्री व्यवसाय प्रभावित हुआ था. संचालकों का स्पष्ट कहना है कि लॉकडाउन की अवधि आगे बढ़ती है तो उनके सामने रोजी रोटी का संकट गहराने लगेगा.
60 टन चिकन बर्बाद होने में कगार पर
बलौदाबाजार जिले के कसडोल विकासखण्ड के ग्राम छांछी में संचालित पोल्ट्री फार्म के संचालक रामकुमार साहू ने बताया कि पिछले साल कोरोना और लॉकडाउन की वजह से पोल्ट्री कारोबार बर्बाद हो गया था. उस दौरान 5 से 10 रुपये किलो में चिकन बिक रहा था. इस साल थोड़ी राहत मिली लेकिन फिर से एक लॉकडाउन कमर तोड़ रहा है. पोल्ट्री का धंधा कच्चा होता है इसलिए प्रशासन को इसकी बिक्री पर छूट देनी चाहिए. अगर समय रहते छूट नहीं दी जाती है तो लाखों का नुकसान होगा. क्योंकि हमारे पास 60 टन से अधिक चिकन उपलब्ध है. जिसकी बिक्री लॉकडाउन के कारण नहीं हो पा रही है.