बलौदाबाजारः छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. छत्तीसगढ़ में किसान और धान सियासत का प्रमुख केंद्र बिंदु भी रहा है. लेकिन बलौदाबाजार में धान की दुर्दशा देखकर किसानों की आंखे नम हो रही है. किसानों के मेहनत और खून पसीने की कमाई सिस्टम के भेट चढ़ चुका है. बलौदाबाजार के प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में करोड़ों रुपये का धान अभी भी पड़ा हुआ है. जिले में अब भी 1 लाख 84 हजार मीट्रिक टन धान समितियों में खुले में ही पड़े हुए हैं.
खुले में रखे हैं करोड़ों रुपए का धान
जिला खाद्य विपणन अधिकारी (District Food Marketing Officer) केशव कर्ष ने बताया कि जिले में 31 जनवरी 2021 तक धान खरीदी की गई. जिसमें 1 लाख 61 हजार 221 पंजीकृत किसानों से 66 लाख 94 हजार 44 क्विंटल धान खरीदा गया है. 1 लाख 84 हजार मीट्रिक टन धान का उठाव अब भी बाकी है. जिसे 30 मई तक उठाने के निर्देश दिए गए हैं. सवाल ये है कि अब तक कभी भी इतने समय तक किसी भी सहकारी समितियों में धान नहीं रहता था. लेकिन इस साल धान का उठाव नहीं हो रहा है. सभी समितियों में धान खुले में ही पड़े हुए हैं. लगातार तेज धूप और बेमौसम बारिश से जगह-जगह धान खराब भी होने लगे हैं. ऐसे में समितियों के साथ-साथ सरकार का भी नुकसान हो रहा है.
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समितियों पर मंडराने लगा बर्बादी का खतरा
छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार मई के महीने में धान का उठाव ना होने से अब समितियों के पर बर्बादी का खतरा मंडराने लगा है. प्राथमिक कृषि साख समितियां किसान और सरकार के बीच की कड़ी होती हैं. यह एक एजेंसी के रूप में कार्य करती हैं. जिसे धान खरीदी करने के लिए सरकार कमीशन देती है. कृषि समितियों में जब तक धान का उठाव नहीं होता, तब तक धान की सुरक्षा और रख रखाव की जिम्मेदारी समितियों के कंधे पर होती है. ऐसे में अगर धान उठाव के समय धान में कमी हुई तो इसका भरपाई भी समितियों को करना होता है. समितियों में रखे धान को लगातार हो रहे नुकसान ने समिति संचालकों की चिंता बढ़ा दी है.
समिति प्रबंधक ने बताया धान का हाल
बलौदाबाजार के कुछ समितियों से ETV भारत की टीम ने जानकारी ली है. इस दौरान समिति के संचालक शासन प्रशासन के डर से कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए. ऑफ कैमरा उन्होंने बताया कि सरकार की नीतियों के चलते धान खुले में रखे हुए हैं. उनके पास धान रखने के लिए केवल प्लास्टिक से ढकने का सहारा होता है. ऐसे में तेज बारिश और तूफान में यह धान को बचाने में कारगर नहीं होता. जिससे धान को काफी नुकसान पहुंचता है. नीचे रखी दो से तीन छल्ली तक चूहे खा जाते हैं. इससे भी धान खराब हो जाता है. जिसका भरपाई भी उन्हीं को करना होता है.
समितियों से ही कर्मचारियों को मिलता है वेतन
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां किसानों की समिति होती है. यहां कार्य करने वाले कर्मचारियों को समिति के मध्यम से ही वेतन मिलता है. लेकिन मई महीने तक धान का उठाव नहीं होने से इन कर्मचारियों के सामने भुखमरी के हालात उत्पन्न हो गए हैं. क्योंकि धान का उठाव नहीं होने से समितियों को मिलने वाला कमीशन अब तक नहीं मिला है. जिसके कारण समिति के पास कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं.