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भाटापारा में पाकिस्तान से आए 70 शरणार्थी जिन्हें मिल सकती है नागरिकता

भारत सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आये गैर मुस्लिम शरणार्थियों (non muslim refugees) से नागरिकता के लिए आवेदन (application for citizenship) मंगवाए हैं. केंद्र सरकार ने भारत के 13 जिलों में बसे ऐसे शरणार्थियों से आवेदन मंगवाए हैं. इन जिलों में छत्तीसगढ़ के दो जिले बलौदा बाजार और दुर्ग शामिल हैं.

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भाटापारा
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Published : Jun 1, 2021, 10:13 PM IST

बलौदा बाजार: केंद्र सरकार से जारी अधिसूचना के बारे में बलौदा बाजार कलेक्टर (Baloda Bazar Collector) ने बताया कि भारत सरकार ने ऐसे शरणार्थियों से आवेदन (application for citizenship) मंगाए हैं, जिन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिली है. छत्तीसगढ में दो जिले केंद्र सरकार की लिस्ट में है. जिले के एसपी आईके एलेसेला के मुताबिक पुलिस विभाग के पास करीब 70 शरणार्थियों के रिकॉर्ड (Records of 70 refugees) है, जो पाकिस्तान से आए हैं.

पुलिस के पास जो लिस्ट है, उसमें सबसे ज्यादा लोग बलौदा बाजार के संयुक्त जिला भाटापारा में रह रहे हैं. ऐसे लोग ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. जो नियम और शर्तों को पूरा करते हुए पात्र होगा उसे भारत की नागरिकता मिल सकती है, लेकिन आंकड़ों पर ध्यान दें तो रिफ्यूजी (शरणार्थियों) का सही आंकड़ा अभी शासन के पास नहीं है. जिसके कारण ऐसे कई पात्र हितग्राहियों को भी ये सुविधा नहीं मिल सकती है. हालांकि पुलिस जिले में बसे शरणार्थियों के बारे में पता कर रही है.

छत्तीसगढ़ के इन जिलों के गैर मुस्लिम शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता

गैर मुस्लिमों को मिलेगी नागरिकता

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता कानून (citizenship law) 1955 और 2009 के तहत आदेश को तत्काल कार्यान्वयन के लिए अधिसूचना जारी कर दिया है. हालांकि सरकार ने 2019 में लागू संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत नियमों को अभी तक तैयार नहीं किया है. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुताबिक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में दमन के शिकार ऐसे अल्पसंख्यकों गैर-मुस्लमों को नागरिकता प्रदान की जाएगी जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे.

गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है, नागरिकता कानून 1955 की धारा 16 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने कानून की धारा पांच के तहत यह कदम उठाया है. इसके अंतर्गत उपरोक्त राज्यों और जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने के लिए निर्देश दिया गया है.

छत्तीसगढ़ के दो जिले लिस्ट में शामिल

भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिहाज से वो लोग योग्य होंगे जो इस समय छत्तीसगढ़ के दुर्ग और बलौदा बाजार में रह रहे हैं. अधिसूचना में कहा गया, भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाएगा. जिलाधिकारी या सचिव जरूरत पड़ने पर मामलों के हिसाब से आवेदन की जांच कराएंगे.

छत्तीसगढ़ के बस्तर में है मिनी बंगाल

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार और दुर्ग जिले के अलावा बस्तर इलाके में भी 60 साल पहले हिंदू शरणार्थियों को बसाया गया था. बस्तर के घने जंगलों के बीच बसे कांकेर जिले के पखांजूर विकासखंड को 'मिनी बंगाल' भी कहा जाता है. पखांजूर के 295 गांव में से 133 गावों में बांग्लादेशी शरणार्थियों को बसाया गया था. 2011 की जनगणना के मुताबिक 1.71 लाख की आबादी में से एक लाख से ज्यादा लोग बांग्ला बोलते हैं. पखांजूर शहर की कुल 10 हजार 201 लोगों की आबादी में 95 फीसदी से ज्यादा लोग पूर्वी पाकिस्तान से आए हैं. आंकड़े बताते हैं कि 31 अक्तूबर 1979 तक बस्तर के इलाके में 18 हजार 458 शरणार्थियों को बसाया गया था.

बलौदा बाजार: केंद्र सरकार से जारी अधिसूचना के बारे में बलौदा बाजार कलेक्टर (Baloda Bazar Collector) ने बताया कि भारत सरकार ने ऐसे शरणार्थियों से आवेदन (application for citizenship) मंगाए हैं, जिन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिली है. छत्तीसगढ में दो जिले केंद्र सरकार की लिस्ट में है. जिले के एसपी आईके एलेसेला के मुताबिक पुलिस विभाग के पास करीब 70 शरणार्थियों के रिकॉर्ड (Records of 70 refugees) है, जो पाकिस्तान से आए हैं.

पुलिस के पास जो लिस्ट है, उसमें सबसे ज्यादा लोग बलौदा बाजार के संयुक्त जिला भाटापारा में रह रहे हैं. ऐसे लोग ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. जो नियम और शर्तों को पूरा करते हुए पात्र होगा उसे भारत की नागरिकता मिल सकती है, लेकिन आंकड़ों पर ध्यान दें तो रिफ्यूजी (शरणार्थियों) का सही आंकड़ा अभी शासन के पास नहीं है. जिसके कारण ऐसे कई पात्र हितग्राहियों को भी ये सुविधा नहीं मिल सकती है. हालांकि पुलिस जिले में बसे शरणार्थियों के बारे में पता कर रही है.

छत्तीसगढ़ के इन जिलों के गैर मुस्लिम शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता

गैर मुस्लिमों को मिलेगी नागरिकता

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता कानून (citizenship law) 1955 और 2009 के तहत आदेश को तत्काल कार्यान्वयन के लिए अधिसूचना जारी कर दिया है. हालांकि सरकार ने 2019 में लागू संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत नियमों को अभी तक तैयार नहीं किया है. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुताबिक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में दमन के शिकार ऐसे अल्पसंख्यकों गैर-मुस्लमों को नागरिकता प्रदान की जाएगी जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे.

गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है, नागरिकता कानून 1955 की धारा 16 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने कानून की धारा पांच के तहत यह कदम उठाया है. इसके अंतर्गत उपरोक्त राज्यों और जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने के लिए निर्देश दिया गया है.

छत्तीसगढ़ के दो जिले लिस्ट में शामिल

भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिहाज से वो लोग योग्य होंगे जो इस समय छत्तीसगढ़ के दुर्ग और बलौदा बाजार में रह रहे हैं. अधिसूचना में कहा गया, भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाएगा. जिलाधिकारी या सचिव जरूरत पड़ने पर मामलों के हिसाब से आवेदन की जांच कराएंगे.

छत्तीसगढ़ के बस्तर में है मिनी बंगाल

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार और दुर्ग जिले के अलावा बस्तर इलाके में भी 60 साल पहले हिंदू शरणार्थियों को बसाया गया था. बस्तर के घने जंगलों के बीच बसे कांकेर जिले के पखांजूर विकासखंड को 'मिनी बंगाल' भी कहा जाता है. पखांजूर के 295 गांव में से 133 गावों में बांग्लादेशी शरणार्थियों को बसाया गया था. 2011 की जनगणना के मुताबिक 1.71 लाख की आबादी में से एक लाख से ज्यादा लोग बांग्ला बोलते हैं. पखांजूर शहर की कुल 10 हजार 201 लोगों की आबादी में 95 फीसदी से ज्यादा लोग पूर्वी पाकिस्तान से आए हैं. आंकड़े बताते हैं कि 31 अक्तूबर 1979 तक बस्तर के इलाके में 18 हजार 458 शरणार्थियों को बसाया गया था.

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