बलौदा बाजार: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रामण के चलते सभी स्कूल पिछले 1 साल से बंद है. इसके कारण प्राइमरी और मिडिल स्कूल के बच्चों को मिलने वाली मध्याह्न भोजन की समस्या आ रही थी. इससे निपटने के लिए सरकार ने सभी बच्चों को कोरोना काल में सूखा राशन देने का फैसला लिया. जिसके बाद बलौदा बाजार जिले के 1 लाख 81 हजार बच्चों को मिड-डे-मील का लाभ मिल रहा है.
मिड-डे-मील बना सहारा
कोरोना संक्रमण ने सभी वर्ग को अपनी चपेट में लिया है. इसमें स्कूली बच्चे भी शामिल हैं. सभी शासकीय और अर्द्धशासकीय स्कूलों में कक्षा पहली से 8वीं तक के बच्चों को स्कूल में मध्याह्न भोजन कराया जाता है. मध्याह्न भोजन में सभी बच्चों को उचित भोजन मिल सके इसके लिए सरकार ने मानक भी तैयार किया गया है. जिसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होती है, लेकिन इस कोरोना काल में जिले के सभी स्कूल बंद हैं और साथ ही स्कूल में दिया जाने वाला मध्याह्न भोजन भी बंद हो गया है. हालांकि इससे निपटने के लिए सरकार सभी सूखा राशन दे रही है.
बेमेतरा: स्कूलों में मिलने वाले मिड-डे मील का सूखा राशन बच्चों के घरों तक पहुंचा रहे शिक्षक
प्रधानपाठकों में द्वारा बच्चों तक पहुंचाया जा रहा राशन
जिला शिक्षा अधिकारी सीएस ध्रुव ने बताया कि जिले के सभी 6 विकासखंडों में 1193 प्राथमिक शाला और 638 पूर्व माध्यमिक शाला है. जहां बच्चों को मध्याह्न भोजन का लाभ मिलता है. पिछले साल जिले में प्राथमिक शाला के 1 लाख 16 हजार 232 बच्चे और पूर्व माध्यमिक शाला के 75 हजार 27 बच्चे को मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के तहत राशन पहुंचाया गया था. इस साल भी प्राथमिक शाला के 1 लाख 12 हजार 868 बच्चे और पूर्व माध्यमिक शाला के 68 हजार 744 बच्चों को मध्याह्न भोजन का लाभ दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सभी स्कूलों के प्रधान पाठकों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है. वे सभी बच्चों के पलकों से संपर्क कर बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन के रूप में सूखा राशन पहुंचते हैं.
छत्तीसगढ़: लॉकडाउन के दौरान 29 लाख स्कूली बच्चों के घर पहुंचाया गया सूखा राशन