बलौदा बाजार: कोरोना संक्रमण के रोकथाम के नजर से जहां लॉकडाउन की तारीख आगे बढ़ाई गई है. वहीं दूसरे राज्यों या जिलों से काम करने आए मजदूरों के लिए यह मुसीबत बन गया है. भाटापारा के रेलवे पटरी के पास गुरुवार को ऐसे ही मजदूरों की टोली नजर आई, जो लॉकडाउन बढ़ने की वजह से पैदल चलकर अपने स्थानीय निवास जाने के लिए निकल पड़ी है.
लाॅकडाउन के बढ़ने के बाद मजदूरों का पलायन बहुत ज्यादा देखने को मिल रहा है. वहीं भाटापारा पहुंचे इन मजदूर की टोलियो के लिए स्थानीय संवाददाता ने भोजन की व्यवस्था कराया गया.
लॉकडाउन बढ़ने से बढ़ा मजदूरों का संकट
भाटापारा के रेलवे पटरी के किनारे लगभग 20 लोगों की टोली को देखा गया जो अपने घर जाने के लिए रायपुर से निकले हुए हैं. उन्होंने बताया कि वे रायपुर में ठेकेदार के अंतर्गत दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं और 24 मार्च से फंसे हुए थे. वहीं 14 अप्रैल को लाॅकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन फिर लाॅकडाउन 3 मई तक बढ़ने के बाद रायपुर मे रहना इन मजदूरों के लिए संकट की स्थिति बन गई. उन्हें भोजन और बुनियादी जरूरतों के लिए भटकना पड़ रहा था.
उन्होंने बताया जिस ठेकेदार के अंदर काम करते थे वह फरार हो गया, जिसके बाद उनके पास पैसे भी नहीं है और वहां रहने और खाने का संकट पैदा हो गया था. इस वजह से वे पैदल रायपुर से मध्यप्रदेश के शहडोल जाने के लिए निकले हैं. उन्होंने बताया कि शहडोल पहुंचने के लिए लगभग 250 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा.
प्रशासन का हस्तक्षेप नहीं
सोचने वाली बात यह है कि आखिर इन मजदूरों को भाटापारा तक पहुंचने में प्रशासन की ओर से किसी प्रकार रोकटोक नहीं की गई. भाटापारा से भी आगे वे शहडोल के लिए निकल गए जिसमें स्थानीय प्रशासन और कानून का कोई हस्तक्षेप और व्यवस्था इन मजदूरों के लिए नहीं दिखाई दी.