बलौदाबाजार : जिले में खरीफ फसल की बुआई से पहले खुले में चर रहे पशुओं के नियंत्रण के लिए प्रचलित रोका-छेका प्रथा को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा. इसे लेकर 19 जून को ग्राम स्तर पर बैठक का आयोजन किया जाएगा. बैठक मे पंच, सरपंच, जनप्रतिनिधि और ग्रामीण शामिल होंगे और रोका-छेका का निर्णय लेंगे.
कलेक्टर सुनील कुमार जैन ने मंगलवार को बताया कि आगामी फसल बुआई कार्य के पहले खुले मे चराई कर रहे पशुओं के नियंत्रण लिए जिले में रोका-छेका प्रथा प्रचलित है. इस प्रथा के अनुसार फसल बुआई को बढ़ावा देने और पशुओं के चरने से फसल को होने वाली हानि से बचाने के लिए पशुपालक द्वारा चरवाहे की व्यवस्था की जाती है.
गौठान समिति की बैठक
रोका-छेका के बाद किसान जल्द खरीफ फसलों की बुआई का काम पूरा करेंगे. इस संबंध में रोका-छेका प्रथा को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए गौठानों में पशुओं के प्रबंधन और रखरखाव की उचित व्यवस्था करने के लिए गौठान प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित की जाएगी. जहां चरवाहे की व्यवस्था गौठानों में सुनिश्चित करना, खुले में विचरण कर रहे पशुओं का नियंत्रण, गौठानों मे पशु चिकित्सा और स्वास्थ्य शिविर का आयोजन करने, बारिश के मौसम में गौठानों में पशुओं की सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध करने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा.
गौठान में मवेशियों के लिए की जाएगी व्यवस्था
गौठान में वर्षा से जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए जल निकासी की पूरी व्यवस्था की जाएगी. इससे गौठान परिसर में पशुओं के बैठने के लिए कीचड़ मुक्त स्थान उपलब्ध रहे. गौठान में पर्याप्त मात्रा में चारे (पैरा आदि) की व्यवस्था की जाएगी. बाहर भटक रहे पशुओं को गौठान में लाने और उनकी देखरेख की जिम्मेदारी गौठान प्रबंधन की होगी. इसके साथ ही प्रबंधन द्वारा गौठान में उत्पादित कम्पोस्ट खाद का विवरण भी रखा जाएगा. गौठानों में स्वसहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री का प्रदर्शन भी किया जाएगा.
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से प्रदेश में फसलों और पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए 19 जून से 'रोका-छेका संकल्प अभियान' की शुरूआत की जा रही है. यह अभियान 30 जून तक चलेगा. इसके तहत खुले में पशुओं की चराई पर रोक लगाने के साथ ही सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों को सुरक्षित रखने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा.