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Jagannath Rath Yatra 2023 :120 साल से जारी है रथ यात्रा की परंपरा, नहीं पड़ता भंडारा कम - ओडिशा राज्य के पुरी

Jagannath Rath Yatra भाटापारा को धार्मिक आयोजनों के कारण धर्मनगरी के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि यहां लगभग जितने भी धार्मिक आयोजन हैं वो कई साल पुराने हैं. जैसे रामलीला का आयोजन 103 वर्ष पहले से चला आ रहा है. वहीं अखंड रामनाम सप्ताह के आयोजन को लगभग 90 वर्ष हो चुके हैं. वहीं भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के आयोजन की यदि बात करें तो पिछले 120 साल से ये यात्रा अनवरत जारी है. bhatapara baloda bazar

Jagannath Rath Yatra 2023
120 साल से जारी है रथ यात्रा की परंपरा
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Published : Jun 19, 2023, 8:26 PM IST

120 साल से जारी है रथ यात्रा की परंपरा

बलौदाबाजार-भाटापारा : भाटापारा के राम सप्ताह चौक के पास में जगन्नाथ मंदिर है. जहां भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र और सुभद्रा देवी की मूर्ति स्थापित है. इस मंदिर को लटूरिया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यहां प्रतिवर्ष के आषाढ़ मास के द्वितीया के दिन रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है. जिसमें भाटापारा के निवासियों के साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी रथ यात्रा में शामिल होते हैं.

पूरे शहर से गुजरती है यात्रा : जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान बड़ी ही धूमधाम से रथ यात्रा लटूरिया मंदिर से निकलकर भाटापारा के बहुत सारे प्रमुख चौक चौराहों से गुजरती है. 10 से 12 किलोमीटर की यात्रा करते हुए वापस यात्रा लटूरिया मंदिर में स्थापित होती है. कहा जाता है कि इस दिन रथ यात्रा के माध्यम से भगवान जगन्नाथ सभी भक्तों के घर में दर्शन देने पहुंचते हैं. इस साल 20 जून 2023 दिन मंगलवार को रथयात्रा का आयोजन होगा.


क्या है मंदिर से जु़ड़ी किवदंती : भाटापारा के लटूरिया जगन्नाथ मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. मंदिर के वर्तमान पुजारी जगदीश वैष्णव हैं. जो चौथी पीढ़ी की सेवादार हैं. 120 वर्ष से भी पहले लटूरिया महाराज ने इस मंदिर की स्थापना की थी. इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी एवं सुभद्रा देवी की जो मूर्ति है वह चंदन काठ की लकड़ी से बने हुए हैं.इस लकड़ी को लटूरिया दास जी महाराज ने भाटापारा से लगभग 610 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओडिशा राज्य के पुरी से लाया था. लटूरिया दास महाराज भाटापारा से पैदल पुरी पहुंचे और फिर मूर्ति को पैदल ही लेकर वापस भाटापारा आए. फिर इस मंदिर की स्थापना की

नहीं पड़ता भंडारा कम : लटूरिया महाराज जी के बाद इस मंदिर का कार्यभार भगवान दास जी महाराज के हाथों में सौंपा गया. प्राचीनतम समय में बहुत वर्षों तक जो रथ निकाली जाती थी. वह लकड़ी की रथ थी. जिसमें रथ यात्रा का आयोजन किया जाता था. वर्तमान में लोहे से बनी रथ में इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. कहते हैं “जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ को” जिस तरह से पुरी जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता. वैसे ही भाटापारा के लटुरिया महराज के जगन्नाथ मंदिर का भंडारा रसोई भोजन कभी श्रद्धालुओं के लिए कम नहीं पड़ता.

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एक ही परिवार कर रहा पूजा : भगवान दास जी महाराज के बाद उनके नाती, पोते के रूप में धन्ना महाराज इस मंदिर के पुजारी रहे. वर्तमान में धन्ना महाराज के पुत्र जगदीश वैष्णव इस मंदिर में पुजारी की भूमिका में हैं. कहा जाता है कि यह मंदिर बहुत ही शुभ और सिद्ध है. जहां पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर लोग अपनी मनोकामना मांगते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती है.

120 साल से जारी है रथ यात्रा की परंपरा

बलौदाबाजार-भाटापारा : भाटापारा के राम सप्ताह चौक के पास में जगन्नाथ मंदिर है. जहां भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र और सुभद्रा देवी की मूर्ति स्थापित है. इस मंदिर को लटूरिया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यहां प्रतिवर्ष के आषाढ़ मास के द्वितीया के दिन रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है. जिसमें भाटापारा के निवासियों के साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी रथ यात्रा में शामिल होते हैं.

पूरे शहर से गुजरती है यात्रा : जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान बड़ी ही धूमधाम से रथ यात्रा लटूरिया मंदिर से निकलकर भाटापारा के बहुत सारे प्रमुख चौक चौराहों से गुजरती है. 10 से 12 किलोमीटर की यात्रा करते हुए वापस यात्रा लटूरिया मंदिर में स्थापित होती है. कहा जाता है कि इस दिन रथ यात्रा के माध्यम से भगवान जगन्नाथ सभी भक्तों के घर में दर्शन देने पहुंचते हैं. इस साल 20 जून 2023 दिन मंगलवार को रथयात्रा का आयोजन होगा.


क्या है मंदिर से जु़ड़ी किवदंती : भाटापारा के लटूरिया जगन्नाथ मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. मंदिर के वर्तमान पुजारी जगदीश वैष्णव हैं. जो चौथी पीढ़ी की सेवादार हैं. 120 वर्ष से भी पहले लटूरिया महाराज ने इस मंदिर की स्थापना की थी. इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी एवं सुभद्रा देवी की जो मूर्ति है वह चंदन काठ की लकड़ी से बने हुए हैं.इस लकड़ी को लटूरिया दास जी महाराज ने भाटापारा से लगभग 610 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओडिशा राज्य के पुरी से लाया था. लटूरिया दास महाराज भाटापारा से पैदल पुरी पहुंचे और फिर मूर्ति को पैदल ही लेकर वापस भाटापारा आए. फिर इस मंदिर की स्थापना की

नहीं पड़ता भंडारा कम : लटूरिया महाराज जी के बाद इस मंदिर का कार्यभार भगवान दास जी महाराज के हाथों में सौंपा गया. प्राचीनतम समय में बहुत वर्षों तक जो रथ निकाली जाती थी. वह लकड़ी की रथ थी. जिसमें रथ यात्रा का आयोजन किया जाता था. वर्तमान में लोहे से बनी रथ में इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. कहते हैं “जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ को” जिस तरह से पुरी जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता. वैसे ही भाटापारा के लटुरिया महराज के जगन्नाथ मंदिर का भंडारा रसोई भोजन कभी श्रद्धालुओं के लिए कम नहीं पड़ता.

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