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सरकारी स्कूलों में शिक्षा का हाल बेहाल, कई स्कूलों में जमीन पर बैठने के लिए दरी तक नहीं

बलौदा बाजार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरने के बजाए लगातार गिरता ही जा रहा है. सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के लिए बच्चे तरस रहे हैं. वहीं कई स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक भी नहीं है.

सरकारी स्कूलों में शिक्षा का हाल बदहाल
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Published : Oct 15, 2019, 11:51 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 9:03 AM IST

बलौदा बाजार: शिक्षा के गिरते स्तर को सुधारने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये का बजट जारी किया, लेकिन भारी भरकम बजट के बाद भी सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के लिए बच्चे तरस रहे हैं. जिले के कई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी होने के कारण बच्चों की पढ़ाई लगभग बंद हो गई है.

वीडियो.

जिले में कुल शिक्षकों के लिए 17088 पद स्वीकृत हैं. इसमें 13 हजार 188 शिक्षक ही बहाल हैं. जिले में 3 हजार 900 शिक्षकों के पद अब भी खाली है. यहां कई स्कूल ऐसे हैं, जहां एक शिक्षक के सहारे स्कूल संचालित हो रहा है.

एक ही रूम में कई कक्षाएं होती है संचालित
सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं स्कूलों से गायब हो रही है. बच्चे यहां जान जोखिम में डालकर पढ़ने आते हैं. बच्चों को न ही स्कूल भवन नसीब हो पा रहा है और न जमीन पर बैठने के लिए दरी, एक ही रूम में कई कक्षाएं संचालित की जा रही है.

जहां शिक्षकों की आवश्यकता है, वहां उनकी भर्ती की जाएगी
शिक्षकों की कमी को लेकर जब ETV भारत की टीम ने शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम से सवाल पूछा तो उनका कहना था कि जहां-जहां शिक्षकों की आवश्यकता है वहां उनकी भर्ती की जाएगी. इसके साथ ही बच्चों की एक साथ लगाई जा रही कक्षा वाले सवाल का जवाब देते हुए प्रेम साय सिंह टेकाम ने कहा कि जिन स्कूलों में इस तरह की व्यवस्था है उसमें जल्द ही सुधार किया जाएगा.

बलौदा बाजार: शिक्षा के गिरते स्तर को सुधारने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये का बजट जारी किया, लेकिन भारी भरकम बजट के बाद भी सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के लिए बच्चे तरस रहे हैं. जिले के कई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी होने के कारण बच्चों की पढ़ाई लगभग बंद हो गई है.

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जिले में कुल शिक्षकों के लिए 17088 पद स्वीकृत हैं. इसमें 13 हजार 188 शिक्षक ही बहाल हैं. जिले में 3 हजार 900 शिक्षकों के पद अब भी खाली है. यहां कई स्कूल ऐसे हैं, जहां एक शिक्षक के सहारे स्कूल संचालित हो रहा है.

एक ही रूम में कई कक्षाएं होती है संचालित
सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं स्कूलों से गायब हो रही है. बच्चे यहां जान जोखिम में डालकर पढ़ने आते हैं. बच्चों को न ही स्कूल भवन नसीब हो पा रहा है और न जमीन पर बैठने के लिए दरी, एक ही रूम में कई कक्षाएं संचालित की जा रही है.

जहां शिक्षकों की आवश्यकता है, वहां उनकी भर्ती की जाएगी
शिक्षकों की कमी को लेकर जब ETV भारत की टीम ने शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम से सवाल पूछा तो उनका कहना था कि जहां-जहां शिक्षकों की आवश्यकता है वहां उनकी भर्ती की जाएगी. इसके साथ ही बच्चों की एक साथ लगाई जा रही कक्षा वाले सवाल का जवाब देते हुए प्रेम साय सिंह टेकाम ने कहा कि जिन स्कूलों में इस तरह की व्यवस्था है उसमें जल्द ही सुधार किया जाएगा.

Intro:बलौदाबाजार :- जिले में शिक्षा की बदहाल तस्वीरें लगातार सामने आ रही है, छत्तीसगढ़ में शिक्षा के लिए करोड़ों रुपयों का बजट होने के बावजूद सूबे की सरकारी स्कूल मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. जो इस ओर साफ इशारा करती है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी सिर्फ अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं और कागजों में ही स्कूलों का विकास हो रहा जिसका नतीजा ये है कि जिले की सरकारी स्कूल दम तोड़ने की स्थिति में है.
Body:बलौदाबाजार जिला शिक्षा के क्षेत्र में इन दिनों पिछड़ता हुआ दिखाई पड़ रहा है आंकड़ों और कागजों के खेल में भले ही सरकारी स्कूल चुस्त दुरुस्त हैं लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है, शुरुआत करते हैं बलौदाबाजार जिले में शिक्षकों की संख्या को लेकर तो बलौदाबाजार जिले में 13188 शिक्षकों के पद स्वीकृत है और जिले में 3900 शिक्षकों के पद अब भी रिक्त पड़े हुए,जिले के कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां एक शिक्षकों के सहारे ही स्कूल संचालित हो रहे हैं।

बलौदाबाजार जिले में शिक्षकों के इन आंकड़ों के बाद आप अंदाजा लगा लीजिए कि जिले में शिक्षा तंत्र का क्या हाल होगा और नौनिहाल कैसे पल पल शिक्षा का अलख जगाने के लिए जूझ रहे हैं, बलौदाबाजार जिले में शिक्षा की कमी को लेकर जब हमारे संवाददाता ने सूबे के शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम से सवाल पूछा तो उनका क्या कहना था आप भी सुनिये.
Conclusion:बलौदाबाजार जिले में ये तो हो गयी शिक्षकों की संख्या अब जरा बात कर लेते हैं यहां सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं के बारे में तो बच्चों को सरकारी स्कूल में मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं स्कूलों से गायब नजर आती है,बच्चे जान को जोखिम में डालकर स्कूल में पढने आते हैं और अपना भविष्य गढ़ने आते हैं,बच्चों को ना ही स्कूल भवन नसीब हो पा रहा है और ना जमीन में बैठने तक के लिये दरी,
कई स्कूल जंगल से घिरे हुये है जिसमे आहाता निर्माण भी नही हुआ है तो ग्रमीणों ने जुगाड़ के बास से आहाता निर्माण कराया है. सरकारी स्कूलों में अगर ऐसी मूलभूत सुविधाओं की कमी रहेगी तो देश का आने वाला कल कैसे बेहतर हो सकता है ये एक बड़ा सवाल है।

बाइट01 - श्रीमती मोती साहू - शिक्षक

बाइट 02 - आर के वर्मा - जिला शिक्षा अधिकारी बलौदाबाजार

बाइट 03- प्रेम साय सिंह टेकाम शिक्षा मंत्री छत्तीसगढ़
Last Updated : Oct 16, 2019, 9:03 AM IST
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