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बिलाईगढ़: जुगाड़ की कश्ती के सहारे चल रही तालगांव की नैया, आखिर कब सुध लेगी सरकार

यहां नाला पार करने के लिए लोगों को आज भी जुगाड़ की नाव का सहारा लेना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन अब तक पुल नहीं बना, जिसकी वजह से नाला पार करने के लिए लोगों को नाव या ट्यूब के जुगाड़ का सहारा लेना पड़ता है.

तालगांव में पुल की समस्या
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Published : Apr 28, 2019, 11:03 PM IST

Updated : Apr 29, 2019, 9:07 AM IST

बिलाईगढ़ : इन तस्वीरों को ध्यान से देखिए, ये तस्वीरें छत्तीसगढ़ में हुए विकास कार्यों की गाथा गा रही हैं. ये तस्वीर हकीकत है उन खोखले दावों की, जिनके सहारे सूबे की सत्ता में बैठे सियासत के रहनुमा अपनी पीठ थपथपाते हैं, जनता को बरगलाते हैं.

ये तस्वीर तमाचा है उस सिस्टम पर, जो जनता के टैक्स का सही इस्तेमाल करने का दावा करती है. ये कहानी है बलौदाबाजार जिले के बिलाईगढ़ ब्लॉक से 15 किलोमीटर दूर स्थित भटगांव क्षेत्र के तालगांव की.

आज भी जुगाड़ की नाव का सहारा

यहां नाला पार करने के लिए लोगों को आज भी जुगाड़ की नाव का सहारा लेना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन अब तक पुल नहीं बना, जिसकी वजह से नाला पार करने के लिए लोगों को नाव या ट्यूब के जुगाड़ का सहारा लेना पड़ता है. हालांकि ग्रामीणों की मांग पर एसडीओ नाले का मुआयना कर चुके हैं.

बच्चों को स्कूल जाने के लिए पार करना पड़ता है नाला

तालगांव में रहने वाले बच्चों को पढ़ने के लिए भटगांव के स्कूल में जाना पड़ता है, जिसकी वजह से उन्हें नाले को पार करने के लिए रबर की ट्यूब और जुगाड़ की कश्ती का सहारा लेना पड़ता है.

तो तय करनी पड़ेगी 25 किलोमीटर की दूरी

ग्रामीणों ने बताया कि नाले के दूसरी ओर जाने के लिए एक और रास्ता भी है, लेकिन यहां से जाने के लिए 25 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कई साल से वो जनप्रतिनिधियों से नाले पर पुल बनाने की गुहार लगा-लगाकर थक चुके हैं, लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगा.

भूपेश सरकार से उम्मीद

बता दें कि मुल्क को आजाद हुए 72 साल और छत्तीसगढ़ के गठन हुए 18 वर्ष से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन सूबे के हालात क्या है, इसकी बानगी आपके सामने है.
हालांकि की सूबे में सत्ता बदली है, तो तालगांव के लोगों में एक नई उम्मीद जगी है कि शायद उनकी पुकार सूबे के नए सरदार के कानों तक पहुंचे और नाले पर पुल बनने के साथ ही उनके भी अच्छे दिन आएं.

बिलाईगढ़ : इन तस्वीरों को ध्यान से देखिए, ये तस्वीरें छत्तीसगढ़ में हुए विकास कार्यों की गाथा गा रही हैं. ये तस्वीर हकीकत है उन खोखले दावों की, जिनके सहारे सूबे की सत्ता में बैठे सियासत के रहनुमा अपनी पीठ थपथपाते हैं, जनता को बरगलाते हैं.

ये तस्वीर तमाचा है उस सिस्टम पर, जो जनता के टैक्स का सही इस्तेमाल करने का दावा करती है. ये कहानी है बलौदाबाजार जिले के बिलाईगढ़ ब्लॉक से 15 किलोमीटर दूर स्थित भटगांव क्षेत्र के तालगांव की.

आज भी जुगाड़ की नाव का सहारा

यहां नाला पार करने के लिए लोगों को आज भी जुगाड़ की नाव का सहारा लेना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन अब तक पुल नहीं बना, जिसकी वजह से नाला पार करने के लिए लोगों को नाव या ट्यूब के जुगाड़ का सहारा लेना पड़ता है. हालांकि ग्रामीणों की मांग पर एसडीओ नाले का मुआयना कर चुके हैं.

बच्चों को स्कूल जाने के लिए पार करना पड़ता है नाला

तालगांव में रहने वाले बच्चों को पढ़ने के लिए भटगांव के स्कूल में जाना पड़ता है, जिसकी वजह से उन्हें नाले को पार करने के लिए रबर की ट्यूब और जुगाड़ की कश्ती का सहारा लेना पड़ता है.

तो तय करनी पड़ेगी 25 किलोमीटर की दूरी

ग्रामीणों ने बताया कि नाले के दूसरी ओर जाने के लिए एक और रास्ता भी है, लेकिन यहां से जाने के लिए 25 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कई साल से वो जनप्रतिनिधियों से नाले पर पुल बनाने की गुहार लगा-लगाकर थक चुके हैं, लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगा.

भूपेश सरकार से उम्मीद

बता दें कि मुल्क को आजाद हुए 72 साल और छत्तीसगढ़ के गठन हुए 18 वर्ष से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन सूबे के हालात क्या है, इसकी बानगी आपके सामने है.
हालांकि की सूबे में सत्ता बदली है, तो तालगांव के लोगों में एक नई उम्मीद जगी है कि शायद उनकी पुकार सूबे के नए सरदार के कानों तक पहुंचे और नाले पर पुल बनने के साथ ही उनके भी अच्छे दिन आएं.

Intro:27/04/2019

रिपोर्टर - करन साहू

लोकेशन - बिलाईगढ़

स्लग - जान जोखिम में डाल कर नाला पार करने को मजबूर है ग्रामीण..

एंकर :- आजादी के 70 साल व राज्य के 19 बरस बीत जाने के बाद भी मूलभूत सुविधा के लिए तरसते बूढे ,जवान, स्कूली बच्चे.. जहा अपनी जान हथेली में रख कर टिव एवं लकड़ी से निर्मित नाव के सहारे नाला पार करने को बजबूर है ।

बाईट - किशन लाल पटेल - नवका ( सर पर पगड़ी पहने है)

वीओ 01 :- बिलाईगढ़ ब्लाक मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर भटगांव क्षेत्र के अंतगर्त एक ऐसा गांव है जहां आज भी नाला पार कर के लिए लकड़ी एवं टिव से निर्मित नाव के सहारा लेना पड़ता है और आस पास के गाँव में रहने वाले ग्रामीण बच्चे व बुजुर्ग को भटगांव आने के लिए पुल नही होने के कारण अपनी जान जोखिम में डाल कर मजबुरी में टिव के भरोसे नालापार करते है.

बाईट - घसिया पटेल - ग्रामीण(लाल गमछा रखे है)

वीओ 02 :- यह तस्वीर बिलाईगढ़ से 15 किलोमीटर दूर भटगांव क्षेत्र के अंतर्गत तालगांव की है जहां आस पास में रहने वाले ग्रामीणों को, स्कूली बच्चे से लेकर बुजुर्ग को भटगांव आने के लिए पुल नही होने के कारण मजबुरी में ट्यूब एवं लकड़ी ने निर्मित नाव के सहारा लेकर जान जोखिम में डाल कर नाला पार करने पर मजबूर हैं। दरअसल तालगांव में रहे वाले बच्चों को नाले से पार कर भटगांव स्कुल पढना जाना पड़ता हैं। वही बुजुर्गों को अपने जीवन यापन करने के लिए राशन समान के लिए भटगांव जाना पड़ता हैं।जिसके कारण नाला पार करने पर मजबूर है। वही गर्मी की दिनों में टिव के सहारे आना जाना लगा रहता है । वही बारिश की दिनों नाले में पानी लबालब हो जाता है, जिसके कारण बच्चे व बुजुर्गों को नाले से पार नही कर पाते हैं।

बाईट - अखिल मानिकपुर - ग्रामीण ( लाल सफेद टी शर्ट )

वीओ 03 :- वही ग्रामीणों ने बताया कि नाले के दूसरी ओर जाने के लिए दूसरा मार्ग हैं मगर भटगांव जाने के लिए 25 किलोमीटर तय करना पढ़ता हैं। वही स्थानीय ग्रामीणों का कहना है। वे कई सालों से जनप्रतिनिधियों से पूर्व सरकार के विधायक ,व मुख्यमंत्री और सांसद से एक पुलिया की मांग कर थक गए है । लेकिन आज तक इन लोगो को इसकी सुविधा नही मिल पाया है जिसके कारण ग्रामीणों का विश्वास शासन प्रशासन से उठ गया है । वही सूत्रों की जानकारी के अनुसार इस गांव में बीते वर्ष जनप्रतिनिधियों ने पुल पुलिया निर्माण कराने का आश्वासन दिया था. लेकिन आज तक नही बन पाया है ।
लेकिन सोचने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बने 19 साल बीत जाने के बावजूद ग्रामीण अंचल के लोगो को मूलभूत सुविधा नहीं मिल पा रही है। पिछले सरकार ने सड़क, पानी पुल पुलिया स्वस्थ्य पर जोर दिया था लेकिन यह गांव कैसे छूटा सोचनी वाली बात है.

बाईट -रामेश्वर चंद्रा - ग्रामीण (लाल शर्ट चश्मा पहने हुए)

वीओ 04 :- अब कांग्रेस सरकार राज्य में आ गई है जिससे तालगांव के लोगो को नई उमीन्द जग गई है, अब देखने वाली बात होगी शासन-प्रशासन व वर्तमान जन प्रतिनिधि इस पर ध्यान देते है कि नही । वही वर्तमान में
शादी की सीजन चल रहा है जिससे राहगीरों को भी तालगांव या तालगांव के आस पास लगे गांव जाना पड़ता हैं। लेकिन मजबूरी में लकड़ी से निर्मित नाव के सहारे नाला पार करके ही जाना पड़ता हैं। वही राहगीरों को नाले पार करने के लिए हमेशा डर लगा रहता हैं की कही अनहोनी न हो जाये करके मगर मजबुरी के चलते नाला पार करना पड़ता हैं। इस खबर को प्रमुखता से दिखाए जाने के बाद तालगांव की पुल की समस्या दूर होता है कि नही देखनी वाली बाद होगी।


पीटीsi.- करन साहू (बिलाईगढ़)Body:27/04/2019

रिपोर्टर - करन साहू

लोकेशन - बिलाईगढ़

स्लग - जान जोखिम में डाल कर नाला पार करने को मजबूर है ग्रामीण..

एंकर :- आजादी के 70 साल व राज्य के 19 बरस बीत जाने के बाद भी मूलभूत सुविधा के लिए तरसते बूढे ,जवान, स्कूली बच्चे.. जहा अपनी जान हथेली में रख कर टिव एवं लकड़ी से निर्मित नाव के सहारे नाला पार करने को बजबूर है ।

बाईट - किशन लाल पटेल - नवका ( सर पर पगड़ी पहने है)

वीओ 01 :- बिलाईगढ़ ब्लाक मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर भटगांव क्षेत्र के अंतगर्त एक ऐसा गांव है जहां आज भी नाला पार कर के लिए लकड़ी एवं टिव से निर्मित नाव के सहारा लेना पड़ता है और आस पास के गाँव में रहने वाले ग्रामीण बच्चे व बुजुर्ग को भटगांव आने के लिए पुल नही होने के कारण अपनी जान जोखिम में डाल कर मजबुरी में टिव के भरोसे नालापार करते है.

बाईट - घसिया पटेल - ग्रामीण(लाल गमछा रखे है)

वीओ 02 :- यह तस्वीर बिलाईगढ़ से 15 किलोमीटर दूर भटगांव क्षेत्र के अंतर्गत तालगांव की है जहां आस पास में रहने वाले ग्रामीणों को, स्कूली बच्चे से लेकर बुजुर्ग को भटगांव आने के लिए पुल नही होने के कारण मजबुरी में ट्यूब एवं लकड़ी ने निर्मित नाव के सहारा लेकर जान जोखिम में डाल कर नाला पार करने पर मजबूर हैं। दरअसल तालगांव में रहे वाले बच्चों को नाले से पार कर भटगांव स्कुल पढना जाना पड़ता हैं। वही बुजुर्गों को अपने जीवन यापन करने के लिए राशन समान के लिए भटगांव जाना पड़ता हैं।जिसके कारण नाला पार करने पर मजबूर है। वही गर्मी की दिनों में टिव के सहारे आना जाना लगा रहता है । वही बारिश की दिनों नाले में पानी लबालब हो जाता है, जिसके कारण बच्चे व बुजुर्गों को नाले से पार नही कर पाते हैं।

बाईट - अखिल मानिकपुर - ग्रामीण ( लाल सफेद टी शर्ट )

वीओ 03 :- वही ग्रामीणों ने बताया कि नाले के दूसरी ओर जाने के लिए दूसरा मार्ग हैं मगर भटगांव जाने के लिए 25 किलोमीटर तय करना पढ़ता हैं। वही स्थानीय ग्रामीणों का कहना है। वे कई सालों से जनप्रतिनिधियों से पूर्व सरकार के विधायक ,व मुख्यमंत्री और सांसद से एक पुलिया की मांग कर थक गए है । लेकिन आज तक इन लोगो को इसकी सुविधा नही मिल पाया है जिसके कारण ग्रामीणों का विश्वास शासन प्रशासन से उठ गया है । वही सूत्रों की जानकारी के अनुसार इस गांव में बीते वर्ष जनप्रतिनिधियों ने पुल पुलिया निर्माण कराने का आश्वासन दिया था. लेकिन आज तक नही बन पाया है ।
लेकिन सोचने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बने 19 साल बीत जाने के बावजूद ग्रामीण अंचल के लोगो को मूलभूत सुविधा नहीं मिल पा रही है। पिछले सरकार ने सड़क, पानी पुल पुलिया स्वस्थ्य पर जोर दिया था लेकिन यह गांव कैसे छूटा सोचनी वाली बात है.

बाईट -रामेश्वर चंद्रा - ग्रामीण (लाल शर्ट चश्मा पहने हुए)

वीओ 04 :- अब कांग्रेस सरकार राज्य में आ गई है जिससे तालगांव के लोगो को नई उमीन्द जग गई है, अब देखने वाली बात होगी शासन-प्रशासन व वर्तमान जन प्रतिनिधि इस पर ध्यान देते है कि नही । वही वर्तमान में
शादी की सीजन चल रहा है जिससे राहगीरों को भी तालगांव या तालगांव के आस पास लगे गांव जाना पड़ता हैं। लेकिन मजबूरी में लकड़ी से निर्मित नाव के सहारे नाला पार करके ही जाना पड़ता हैं। वही राहगीरों को नाले पार करने के लिए हमेशा डर लगा रहता हैं की कही अनहोनी न हो जाये करके मगर मजबुरी के चलते नाला पार करना पड़ता हैं। इस खबर को प्रमुखता से दिखाए जाने के बाद तालगांव की पुल की समस्या दूर होता है कि नही देखनी वाली बाद होगी।


पीटीsi.- करन साहू (बिलाईगढ़)Conclusion:
Last Updated : Apr 29, 2019, 9:07 AM IST
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