बिलाईगढ़ : इन तस्वीरों को ध्यान से देखिए, ये तस्वीरें छत्तीसगढ़ में हुए विकास कार्यों की गाथा गा रही हैं. ये तस्वीर हकीकत है उन खोखले दावों की, जिनके सहारे सूबे की सत्ता में बैठे सियासत के रहनुमा अपनी पीठ थपथपाते हैं, जनता को बरगलाते हैं.
ये तस्वीर तमाचा है उस सिस्टम पर, जो जनता के टैक्स का सही इस्तेमाल करने का दावा करती है. ये कहानी है बलौदाबाजार जिले के बिलाईगढ़ ब्लॉक से 15 किलोमीटर दूर स्थित भटगांव क्षेत्र के तालगांव की.
आज भी जुगाड़ की नाव का सहारा
यहां नाला पार करने के लिए लोगों को आज भी जुगाड़ की नाव का सहारा लेना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन अब तक पुल नहीं बना, जिसकी वजह से नाला पार करने के लिए लोगों को नाव या ट्यूब के जुगाड़ का सहारा लेना पड़ता है. हालांकि ग्रामीणों की मांग पर एसडीओ नाले का मुआयना कर चुके हैं.
बच्चों को स्कूल जाने के लिए पार करना पड़ता है नाला
तालगांव में रहने वाले बच्चों को पढ़ने के लिए भटगांव के स्कूल में जाना पड़ता है, जिसकी वजह से उन्हें नाले को पार करने के लिए रबर की ट्यूब और जुगाड़ की कश्ती का सहारा लेना पड़ता है.
तो तय करनी पड़ेगी 25 किलोमीटर की दूरी
ग्रामीणों ने बताया कि नाले के दूसरी ओर जाने के लिए एक और रास्ता भी है, लेकिन यहां से जाने के लिए 25 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कई साल से वो जनप्रतिनिधियों से नाले पर पुल बनाने की गुहार लगा-लगाकर थक चुके हैं, लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगा.
भूपेश सरकार से उम्मीद
बता दें कि मुल्क को आजाद हुए 72 साल और छत्तीसगढ़ के गठन हुए 18 वर्ष से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन सूबे के हालात क्या है, इसकी बानगी आपके सामने है.
हालांकि की सूबे में सत्ता बदली है, तो तालगांव के लोगों में एक नई उम्मीद जगी है कि शायद उनकी पुकार सूबे के नए सरदार के कानों तक पहुंचे और नाले पर पुल बनने के साथ ही उनके भी अच्छे दिन आएं.