बलौदाबाजारः गिरौदपुरी धाम में दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंचा जैतखाम इन दिनों अपनी खूबसूरती की वजह से नहीं बल्कि अव्यवस्थाओं की वजह से चर्चा में है. जैतखाम की खूबसूरती को असमाजिक तत्व अपशब्द लिखकर दागदार करने पर तुले हैं.
जमीन से 77 मीटर ऊंचे जैतखाम शांति, एकता और भाईचारे का प्रतीक है. गिरौदपुरी धाम गुरु घासीदास बाबा की जन्मस्थली और कर्मस्थली है. उन्होंने मनखे-मनखे (इंसान-इंसान) एक समान का संदेश देकर आपसी भाईचारे को बढ़ाया था. जैतखाम को देखने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही की वजह से उन्हें अव्यवस्थाओं से रू-ब-रू होना पड़ रहा है.
3 साल में खुली भ्रष्टाचार की पोल
छत्तीसगढ़ शासन ने जैतखाम को 51 करोड़ रुपए की लागत से बनाया है, लेकिन लोकार्पण के महज 3 साल बाद ही भ्रष्टाचार का पोल खुलने लगा है. बारिश के दिनों में मीनार के सबसे ऊपरी माले से पानी टपकने लगा है. साथ ही सिक्योरिटी के लिए मीनार के अंदर और बाहर CCTV कैमरा लगाया जाना था, लेकिन प्रशासन के भ्रष्ट रवैए के कारण यहां सिर्फ CCTV कैमरा होने का झूठा बोर्ड लटकाया कर रख दिया है. इस कारण यहां की दीवारों पर असमाजिक तत्व अपशब्द लिखकर श्रद्धालुओं की भावना को ठेस पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
सुविधाओं का आभाव
साल 2007 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ और 18 दिसंबर 2016 को लोकार्पण किया गया. इसके बाद लगा कि छत्तीसगढ़ की जनता का मानो सपना साकार हो गया, लेकिन जैतखाम में लिफ्ट की सुविधा होते हुए भी इसका उपयोग आम जनता नहीं कर सकती है. यहां लगे लिफ्ट का उपयोग सिर्फ VVIP लोग ही कर सकते हैं. इस वजह से यहां आने वाले बुजुर्ग श्रद्धालु पूरी ऊंचाई तक चढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं और आधा भ्रमण कर वापस लौट जाते हैं.
करोड़ों की लागत से बने जैतखाम में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने से मीनार को नुकसान पहुंच रहा है. अब देखना ये है कि असमाजिक तत्वों की ओर से दीवारों पर लिखे अपशब्द पर प्रशासन क्या निर्णय लेता है.