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दल्ली राजहरा का अस्तित्व बचाने की कोशिश, व्यापारियों ने कसी कमर - Dalli Rajhara of balod

बालोद जिले का दल्ली राजहरा अपने आयरन ओर के लिए विश्व विख्यात है.लेकिन वक्त के साथ साथ इस जगह में आयरन ओर की कमी हुई.लिहाजा पहले के मुकाबले अब दल्ली की जनसंख्या आधी रह गई है. रोजगार और किसी प्रकार के संसाधन नहीं होने से व्यापार भी पतन की ओर है.लिहाजा अब व्यापारियों ने राजहरा का नाम बालोद के साथ जोड़कर कुछ विभागों को शिफ्ट करने की मांग की है.

दल्ली राजहरा का अस्तित्व बचाने के लिए व्यापारियों ने कसी कमर
दल्ली राजहरा का अस्तित्व बचाने के लिए व्यापारियों ने कसी कमर
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Published : Nov 29, 2022, 6:54 PM IST

बालोद : जिले की खनिज नगरी दल्ली राजहरा जो कभी पूरे जिले की जान हुआ करती थी. यहां का कच्चा लोहा विश्व विख्यात है. लेकिन समय के साथ-साथ यहां का लोहा अब खत्म होने जा रहा है. जिसके कारण राजहरा भी अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. इसका असर व्यापार पर भी देखने को मिल रहा है. ऐसे में मंगलवार को राजहरा के व्यापारी संघ के नेतृत्व में सैंकड़ों व्यापारी बालोद पहुंचे .व्यापारियों ने कलेक्टर से मिलकर अपनी समस्याओं को रखा. यहां पर नगर वासियों ने जिले का नाम दल्ली राजहरा - बालोद करने की मांग की और कुछ विभागों को यहां शिफ्ट करने की बात कही. (Trying to save existence of Dalli Rajhara)

जिले की घट रही है जनसंख्या : राजहरा व्यापारी संघ के अध्यक्ष गोविंद वाधवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि '' हम सब राजहरा के अस्तित्व की रक्षा के लिए यहां पहुंचे हुए हैं .उन्होंने कहा कि 20 साल से हम वही मांग करते आ रहे हैं. अधिकारी बदल गए सरकार बदल गई और हमारे शहर का हुलिया भी बदल गया है. यहां की आबादी पहले एक लाख थी अब सिमटकर लगभग 40000 हो गई है.'' (Dalli Rajhara of balod )

रोजगार के नहीं है साधन : व्यापारी संघ अध्यक्ष गोविंद वाधवानी ने कहा कि '' दल्ली राजहरा शहर आयरन ओर के नाम से काफी विकसित शहर में से एक था लेकिन यहां पर अब आयरन ओर की कमी हो गई है. रोजगार के कोई साधन नहीं है. किसी तरह का कोई शासकीय उपक्रम भी नहीं है. जिसके कारण लोग यहां से पलायन कर रहे हैं. महज 40000 की आबादी के साथ ही व्यापार और शहर पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है.

ये भी पढ़ें- गुंडरदेही नगर पंचायत में बीजेपी की जीत

राजहरा में केंद्रीय विद्यालय की मांग : नगर पालिका अध्यक्ष शीबू नायर ने कहा कि ''आबादी घट गई. व्यापार घट गया और शहर भी शनै शनै पतन की ओर है. ऐसे में यहां पर केंद्रीय विद्यालय की मांग है. जो अब तक अधूरी है. जल आवर्धन का काम पूरा नहीं हुआ है. कई सारी शहर की समस्याएं हैं. हम लगातार शासन प्रशासन को अवगत करा रहे हैं. लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकाला गया है. साथ ही यहां के निवासियों को स्थाई पट्टा देने की भी मांग की गई है.''





बालोद : जिले की खनिज नगरी दल्ली राजहरा जो कभी पूरे जिले की जान हुआ करती थी. यहां का कच्चा लोहा विश्व विख्यात है. लेकिन समय के साथ-साथ यहां का लोहा अब खत्म होने जा रहा है. जिसके कारण राजहरा भी अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. इसका असर व्यापार पर भी देखने को मिल रहा है. ऐसे में मंगलवार को राजहरा के व्यापारी संघ के नेतृत्व में सैंकड़ों व्यापारी बालोद पहुंचे .व्यापारियों ने कलेक्टर से मिलकर अपनी समस्याओं को रखा. यहां पर नगर वासियों ने जिले का नाम दल्ली राजहरा - बालोद करने की मांग की और कुछ विभागों को यहां शिफ्ट करने की बात कही. (Trying to save existence of Dalli Rajhara)

जिले की घट रही है जनसंख्या : राजहरा व्यापारी संघ के अध्यक्ष गोविंद वाधवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि '' हम सब राजहरा के अस्तित्व की रक्षा के लिए यहां पहुंचे हुए हैं .उन्होंने कहा कि 20 साल से हम वही मांग करते आ रहे हैं. अधिकारी बदल गए सरकार बदल गई और हमारे शहर का हुलिया भी बदल गया है. यहां की आबादी पहले एक लाख थी अब सिमटकर लगभग 40000 हो गई है.'' (Dalli Rajhara of balod )

रोजगार के नहीं है साधन : व्यापारी संघ अध्यक्ष गोविंद वाधवानी ने कहा कि '' दल्ली राजहरा शहर आयरन ओर के नाम से काफी विकसित शहर में से एक था लेकिन यहां पर अब आयरन ओर की कमी हो गई है. रोजगार के कोई साधन नहीं है. किसी तरह का कोई शासकीय उपक्रम भी नहीं है. जिसके कारण लोग यहां से पलायन कर रहे हैं. महज 40000 की आबादी के साथ ही व्यापार और शहर पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है.

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राजहरा में केंद्रीय विद्यालय की मांग : नगर पालिका अध्यक्ष शीबू नायर ने कहा कि ''आबादी घट गई. व्यापार घट गया और शहर भी शनै शनै पतन की ओर है. ऐसे में यहां पर केंद्रीय विद्यालय की मांग है. जो अब तक अधूरी है. जल आवर्धन का काम पूरा नहीं हुआ है. कई सारी शहर की समस्याएं हैं. हम लगातार शासन प्रशासन को अवगत करा रहे हैं. लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकाला गया है. साथ ही यहां के निवासियों को स्थाई पट्टा देने की भी मांग की गई है.''





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