बालोद: छत्तीसगढ़ में कोरोना का असर किसानों पर ज्यादा पड़ा है. किसान खेत से फसल उगाकर भी सही कीमत के लिए तरस रहे हैं. प्रदेश में एक तरफ तुलसी पर्व की धूम देखने को मिल रही है. वहीं दूसरी तरफ तुलसी पर्व में लोगों की जेबें ढीली नजर आ रही है. तुलसी पर्व में पहले जो परिवार थोक के हिसाब से गन्नों की खरीदारी करते थे. वह महज पूजा के हिसाब से एक गन्ने में ही संतुष्ट हो रहे हैं. ऐसे में गन्ना विक्रेता काफी परेशान हैं.
गन्ना विक्रेताओं का कहना है कि पहली बार ऐसा हुआ है. जब इतने बुरे व्यापार का हमें सामना करना पड़ रहा है. बीते वर्षों में जैसे-तैसे हम कमाई कर लेते थे, लेकिन इस बार तो लागत निकालने में भी हमारे पसीने छूट रहे हैं. गन्ने जैसे-तैसे बिक जाए, उसी की उम्मीद में हम गन्ना बेचने के लिए बैठे हुए हैं. कोरोना वायरस की मार ने तो व्यापार को लाचार कर दिया है.
पढ़ें: जापान में दिखेगी मिर्जापुर के कालीन और फुटमेट की चमक
लोगों की रूचि कम
गन्ना विक्रेताओं ने बताया कि इस बार लोगों की रूचि गन्ने को लेकर काफी कम नजर आ रही है. इसको लेकर कारण कोरोना वायरस है. उन्होंने बताया कि पहले हम अच्छे खासे गन्ने लाकर बेच लेते थे. दूसरी लॉट मंगानी पड़ती थी, लेकिन इस बार काफी मात्रा में हमारे गन्ने बचे हुए हैं. हम इस जुगत में है कि जैसे तैसे हमारे यह बचे हुए सभी गन्ने बिक जाए, तो हम भी त्यौहार मना पाएं.
पढ़ें: SPECIAL: न यात्री, न ग्राहक, कोरोना काल में कैसे चलेगा दुकानदारों का घर
गन्ने पर पड़ी कोरोना की कड़वाहट
तुलसी पूजन का पर्व एक महत्वपूर्ण पर्व है. इसमें गन्ने का बड़ा महत्व होता है, लेकिन गन्ने की मिठास पर कोरोना की कड़वाहट भारी पड़ती नजर आ रही है. कोरोना की वजह से लोगों की जेब काफी दिनों से कट रही है. सरकार के भरोसे लोग जीवन यापन कर रहे हैं. हजारों लोगों की नौकरियां खत्म हो चुकी है. ऐसे में पर्व को लेकर उत्साह काफी कम है. ग्राहक गन्ने भी कम ही खरीद रहे हैं. इसका असर सीधे सीधे व्यापारियों पर भी पड़ रहा है. साथ ही गन्ना किसान भी परेशान दिख रहा है.