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गुरुर नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का स्टे पर लगी रोक हटी, पार्षदों ने कसी कमर

बालोद के गुरुर नगर पंचायत अध्यक्ष का अविश्वास प्रस्ताव का स्टे खारिज कर दिया गया है. अब पार्षदों ने कमर कस ली है.

गुरुर नगर पंचायत
गुरुर नगर पंचायत
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Published : Dec 4, 2022, 1:33 PM IST

बालोद: बालोद जिले के गुरुर नगर पंचायत अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू के खिलाफ पार्षदों ने 9 फरवरी 2022 को अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. जिसमें कलेक्टर ने आदेश पारित करते हुए 25 फरवरी 2022 को इसके लिए 11 मार्च 22 की तिथि निर्धारित की थी. लेकिन अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू ने मामले को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी. जिसे अब हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. शनिवार को कोर्ट ने इसे खारिज किया और अब आगे की रणनीति में दोनों पार्टियां जुट जाएगी.


याचिका हुई खारिज: अधिवक्ता प्रतीक शर्मा ने बताया कि पैरवी करते हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को बताया कि नगर पंचायत अध्यक्ष की याचिका अदालत की डबल बेंच द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार खारिज होने योग्य है. जिसे स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने 3 दिसंबर 22 को अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू की रिट याचिका को खारिज कर दिया.



अध्यक्ष बनाने में असफल रही थी भाजपा: शुरुआत से ही नगर पंचायत में राजनीति हावी रही. तथाकथित नेताओं का नेतृत्व भी कमजोर रहा. यहां तक भाजपा के पार्षदों की संख्या अधिक होने के बाद भी वहां पर कांग्रेस अधिकृत प्रत्याशी ने अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा बनाया. अब जब अविश्वास प्रस्ताव पर लगा स्टे हट गया है तो आगे कांसेप्ट क्लियर हो जाएगा के आगे अध्यक्ष को लेकर भाजपा कांग्रेस कौन सा रुख अपनाते हैं.

यह भी पढ़ें: सरपंच पति की हत्या के बाद नक्सलियों ने सरपंच को गांव छोड़ने का फरमान किया जारी

संगठन ने खींचा था अपना हाथ: जितनी तत्परता से मंडल के नेताओं ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कदम बढ़ाया था. उतनी ही तत्परता से अपना हाथ भी खींच लिए. जिसके कारण इन नेताओं की काफी किरकिरी हुई. यहां तक की मंडल में निवासरत पूर्व विधायक मोर्चा अध्यक्ष तथाकथित नेता गण भी पीछे रहे. जिसके परिणाम स्वरूप स्टे को चैलेंज करने में भी देरी हुई. अपने पार्षदों से ही हस्ताक्षर नहीं करा पाए मंडल अध्यक्ष.

भाजपा के पार्षद अध्यक्ष के साथ तो 10 पार्षद एकजुट: भाजपा के 4 पार्षद कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू के साथ अक्सर देखे जाते हैं और बकायदा उन्हें पीआईसी में भी स्थान मिला है. कांग्रेस संगठन ने तो अध्यक्ष के निष्कासन के लिए पत्र भी लिख दिया है. लेकिन भाजपा संगठन की मौन सहमति कहीं भाजपा को ही नुकसान में ना डाल दे. वैसे भी वहां पर गुप्त बैठकों का दौर शुरू हो चुका है.

बालोद: बालोद जिले के गुरुर नगर पंचायत अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू के खिलाफ पार्षदों ने 9 फरवरी 2022 को अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. जिसमें कलेक्टर ने आदेश पारित करते हुए 25 फरवरी 2022 को इसके लिए 11 मार्च 22 की तिथि निर्धारित की थी. लेकिन अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू ने मामले को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी. जिसे अब हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. शनिवार को कोर्ट ने इसे खारिज किया और अब आगे की रणनीति में दोनों पार्टियां जुट जाएगी.


याचिका हुई खारिज: अधिवक्ता प्रतीक शर्मा ने बताया कि पैरवी करते हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को बताया कि नगर पंचायत अध्यक्ष की याचिका अदालत की डबल बेंच द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार खारिज होने योग्य है. जिसे स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने 3 दिसंबर 22 को अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू की रिट याचिका को खारिज कर दिया.



अध्यक्ष बनाने में असफल रही थी भाजपा: शुरुआत से ही नगर पंचायत में राजनीति हावी रही. तथाकथित नेताओं का नेतृत्व भी कमजोर रहा. यहां तक भाजपा के पार्षदों की संख्या अधिक होने के बाद भी वहां पर कांग्रेस अधिकृत प्रत्याशी ने अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा बनाया. अब जब अविश्वास प्रस्ताव पर लगा स्टे हट गया है तो आगे कांसेप्ट क्लियर हो जाएगा के आगे अध्यक्ष को लेकर भाजपा कांग्रेस कौन सा रुख अपनाते हैं.

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संगठन ने खींचा था अपना हाथ: जितनी तत्परता से मंडल के नेताओं ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कदम बढ़ाया था. उतनी ही तत्परता से अपना हाथ भी खींच लिए. जिसके कारण इन नेताओं की काफी किरकिरी हुई. यहां तक की मंडल में निवासरत पूर्व विधायक मोर्चा अध्यक्ष तथाकथित नेता गण भी पीछे रहे. जिसके परिणाम स्वरूप स्टे को चैलेंज करने में भी देरी हुई. अपने पार्षदों से ही हस्ताक्षर नहीं करा पाए मंडल अध्यक्ष.

भाजपा के पार्षद अध्यक्ष के साथ तो 10 पार्षद एकजुट: भाजपा के 4 पार्षद कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू के साथ अक्सर देखे जाते हैं और बकायदा उन्हें पीआईसी में भी स्थान मिला है. कांग्रेस संगठन ने तो अध्यक्ष के निष्कासन के लिए पत्र भी लिख दिया है. लेकिन भाजपा संगठन की मौन सहमति कहीं भाजपा को ही नुकसान में ना डाल दे. वैसे भी वहां पर गुप्त बैठकों का दौर शुरू हो चुका है.

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