बालोदः छत्तीसगढ़ के बालोद (Balod)में अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर सर्व आदिवासी समाज (sarwa aadiwashi samaj) ने पूरे जिले में घेराव(Ghero) किया है. इसके साथ ही सीमा में प्रवेश करने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर आदिवासी समाज (aadiwashi samaj)के लोग बैठे हुए हैं. दुपहिया वाहन सहित यात्री बसों को भी रोक दिया गया है. इस बीच प्रशासन द्वारा पल-पल की मॉनिटरिंग की जा रही है. यहां तक कि शहर सहित ग्रामीण अंचलों में घूम-घूम कर आदिवासी समाज दुकानों को बंद (Shop close)करवा रहे हैं. आदिवासी समाज के प्रदर्शन को लेकर प्रशासन पूरी तरह चौकस है.
इतना ही नहीं शासन द्वारा संचालित शराब दुकानों को भी आदिवासी समाज द्वारा बंद कर दिया गया है. हालांकि आवश्यक सेवाएं जैसे एम्बुलेंस, बीमार इत्यादि को छूट दे दी जा रही है. वहीं, आदिवासी समाज का कहना है कि हमारे द्वारा शासन प्रशासन को लगातार अपनी समस्याओं से अवगत कराया गया है. लेकिन प्रत्येक क्षेत्र में आदिवासियों को उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है.
यात्री बसें प्रभावित
इसके साथ ही सुबह से ही ऑफिस जाने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, आदिवासी समाज द्वारा दुर्ग, रायपुर मुख्य मार्ग को भी बाधित कर दिया गया है. जिससे बस सेवाएं पूरी तरह प्रभावित हो रही है. लोगों को हारकर वापस अपने घरों को लौटना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि सुबह से ही आदिवासी समाज के लोग बैठे हुए हैं. वहीं, बालोद जिला मुख्यालय की बात की जाए तो मिनीमाता चौक में टेंट लगाकर तीनों मुख्य मार्गों को घेर दिया गया है. गाड़ियों को खड़ा कर दिया गया है. इसके साथ ही आदिवासी समाज लोग विरोध में झंडे लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन के दौरान अपर कलेक्टर सहित अपर पुलिस अधीक्षक शहर में घूम-घूम कर मौके का मुआयना कर रहे हैं. ताकि कोई घटना न घटे.
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सिलगेर के हत्यारों को सजा देने की मांग
बताया जा रहा है कि, सर्व आदिवासी समाज की आर्थिक नाकेबंदी में सिलगेर के हत्यारों को सजा देने की मांग की जा रही है. साथ ही परिजनों को 50 लाख और घायलों को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की गई है. इसके साथ मृतकों के परिजनों को नौकरी देने की भी मांग की गई है.
सड़क पर उतरे आदिवासी समाज के लोग
राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 930 में बालोद तिराहे पर सैकड़ों आदिवासी समाज की युवक-युवतियां सहित हर वर्ग के लोग उतरे हुए हैं. इनके द्वारा गाड़ियों को रोकने का प्रयास भी किया जा रहा था. जिसके बाद प्रशासन भी मुस्तैद नजर आ रहा है. इस बीच आदिवासी समाज के लोगों की संख्या हजारों में दिखी.