बालोद : सर्व आदिवासी समाज द्वारा चार मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा था, लेकिन सोमवार को अचानक शाम 4 बजे बिना किसी सूचना के वे सड़क पर चक्काजाम करने लगे. इसमें भारी संख्या में महिला और पुरुष शामिल थे.
- पुलिस प्रशासन ने लगातार समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीणों ने उनकी एक न सुनी.
- सबसे पहले एक अधिकारी धरना स्थल पर उन्हें समझाने गए थे, लेकिन आदिवासी समाज ने उनकी बातें सिरे से नकार दी.
- इस दौरान पूर्व सांसद सोहन पोटाई, पूर्व विधायक जनक सिंह ठाकुर सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे. लगातार समझाइश देने का दौर चलता रहा.
- प्रदर्शन की वजह से यातायात भी बाधित रहा, आने-जाने वाले लोग बसों का इंतजार करते रहे. इस दौरान यातायात विभाग ने रूट डायवर्ट किया ताकि किसी को कोई समस्या न हो.
- आदिवासी समाज ने शासन-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मुर्दाबाद के नारे भी लगाए.
थाना प्रभारी से ही मांगने लगे समस्याओं का निराकरण
अचानक किए गए इस चक्काजाम से प्रशासन भी सक्ते में आ गया और पुलिस विभाग के आला अधिकारी सहित भारी संख्या में जवान स्थिति नियंत्रण में लग गए. बालोद थाना प्रभारी अमर सिदार द्वारा लगातार युवाओं को समझाने का प्रयास किया गया, फिर भी लोग उनकी बात समझने की कोशिश नहीं कर रहे थे और उन्हीं से अपनी समस्याओं का निराकरण मांगने लगे.
'मजबूरी में करना पड़ा ये सब'
पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने कहा कि, 'मैं इसे चक्काजाम नहीं मानता यह एक अप्राकृतिक चक्काजाम है. मजबूरी में ये सब करना पड़ा. अब प्रशासन द्वारा लिखित आश्वासन दिया गया है. जिसके बाद हमारे द्वारा चक्का जामखत्म किया गया.'
पढ़ें- 6 महीने बाद पेश हुआ जांजगीर-नैला नगर पालिका का बजट, टैक्स वसूली में सबसे पीछे
लिखित आश्वासन के बाद खत्म किया चक्काजाम
ये चक्काजाम करीब दो घंटे तक चला. मौखिक आश्वासन सुनने को आदिवासी समाज तैयार ही नहीं था और लिखित आश्वासन की मांग की जा रही थी. एसडीएम सिल्ली थॉमस और सांसद सोहन पोटाई की मध्यस्थता के साथ लिखित आश्वासन के बाद आदिवासी समाज चक्काजाम खत्म किया.
लिखित आश्वासन में लिखा गया है कि एक सप्ताह के अंदर सर्व आदिवासी समाज की सभी समस्याओं का निराकरण किया जाएगा. जिसमें आदिवासियों का घर तोड़ना, जमीनों का अवैध कब्जा सहित अन्य मामले शामिल हैं.