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बालोद : सर्व आदिवासी समाज ने किया चक्काजाम, लिखित आश्वासन के बाद थमा प्रदर्शन

सर्व आदिवासी समाज द्वारा चार मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा था, लेकिन लोगों ने बिना किसी सूचना के अचानक सड़क पर चक्का जाम कर दिया गया. जिससे पुलिस विभाग के आला अधिकारी सहित भारी संख्या में जवान स्थिति नियंत्रण में लगे रहे.

सर्व आदिवासी समाज का चक्का जाम
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Published : Sep 30, 2019, 11:33 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 11:54 PM IST

बालोद : सर्व आदिवासी समाज द्वारा चार मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा था, लेकिन सोमवार को अचानक शाम 4 बजे बिना किसी सूचना के वे सड़क पर चक्काजाम करने लगे. इसमें भारी संख्या में महिला और पुरुष शामिल थे.

सर्व आदिवासी समाज ने किया चक्काजाम
  • पुलिस प्रशासन ने लगातार समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीणों ने उनकी एक न सुनी.
  • सबसे पहले एक अधिकारी धरना स्थल पर उन्हें समझाने गए थे, लेकिन आदिवासी समाज ने उनकी बातें सिरे से नकार दी.
  • इस दौरान पूर्व सांसद सोहन पोटाई, पूर्व विधायक जनक सिंह ठाकुर सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे. लगातार समझाइश देने का दौर चलता रहा.
  • प्रदर्शन की वजह से यातायात भी बाधित रहा, आने-जाने वाले लोग बसों का इंतजार करते रहे. इस दौरान यातायात विभाग ने रूट डायवर्ट किया ताकि किसी को कोई समस्या न हो.
  • आदिवासी समाज ने शासन-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मुर्दाबाद के नारे भी लगाए.

थाना प्रभारी से ही मांगने लगे समस्याओं का निराकरण
अचानक किए गए इस चक्काजाम से प्रशासन भी सक्ते में आ गया और पुलिस विभाग के आला अधिकारी सहित भारी संख्या में जवान स्थिति नियंत्रण में लग गए. बालोद थाना प्रभारी अमर सिदार द्वारा लगातार युवाओं को समझाने का प्रयास किया गया, फिर भी लोग उनकी बात समझने की कोशिश नहीं कर रहे थे और उन्हीं से अपनी समस्याओं का निराकरण मांगने लगे.

'मजबूरी में करना पड़ा ये सब'
पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने कहा कि, 'मैं इसे चक्काजाम नहीं मानता यह एक अप्राकृतिक चक्काजाम है. मजबूरी में ये सब करना पड़ा. अब प्रशासन द्वारा लिखित आश्वासन दिया गया है. जिसके बाद हमारे द्वारा चक्का जामखत्म किया गया.'

पढ़ें- 6 महीने बाद पेश हुआ जांजगीर-नैला नगर पालिका का बजट, टैक्स वसूली में सबसे पीछे

लिखित आश्वासन के बाद खत्म किया चक्काजाम
ये चक्काजाम करीब दो घंटे तक चला. मौखिक आश्वासन सुनने को आदिवासी समाज तैयार ही नहीं था और लिखित आश्वासन की मांग की जा रही थी. एसडीएम सिल्ली थॉमस और सांसद सोहन पोटाई की मध्यस्थता के साथ लिखित आश्वासन के बाद आदिवासी समाज चक्काजाम खत्म किया.

लिखित आश्वासन में लिखा गया है कि एक सप्ताह के अंदर सर्व आदिवासी समाज की सभी समस्याओं का निराकरण किया जाएगा. जिसमें आदिवासियों का घर तोड़ना, जमीनों का अवैध कब्जा सहित अन्य मामले शामिल हैं.

बालोद : सर्व आदिवासी समाज द्वारा चार मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा था, लेकिन सोमवार को अचानक शाम 4 बजे बिना किसी सूचना के वे सड़क पर चक्काजाम करने लगे. इसमें भारी संख्या में महिला और पुरुष शामिल थे.

सर्व आदिवासी समाज ने किया चक्काजाम
  • पुलिस प्रशासन ने लगातार समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीणों ने उनकी एक न सुनी.
  • सबसे पहले एक अधिकारी धरना स्थल पर उन्हें समझाने गए थे, लेकिन आदिवासी समाज ने उनकी बातें सिरे से नकार दी.
  • इस दौरान पूर्व सांसद सोहन पोटाई, पूर्व विधायक जनक सिंह ठाकुर सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे. लगातार समझाइश देने का दौर चलता रहा.
  • प्रदर्शन की वजह से यातायात भी बाधित रहा, आने-जाने वाले लोग बसों का इंतजार करते रहे. इस दौरान यातायात विभाग ने रूट डायवर्ट किया ताकि किसी को कोई समस्या न हो.
  • आदिवासी समाज ने शासन-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मुर्दाबाद के नारे भी लगाए.

थाना प्रभारी से ही मांगने लगे समस्याओं का निराकरण
अचानक किए गए इस चक्काजाम से प्रशासन भी सक्ते में आ गया और पुलिस विभाग के आला अधिकारी सहित भारी संख्या में जवान स्थिति नियंत्रण में लग गए. बालोद थाना प्रभारी अमर सिदार द्वारा लगातार युवाओं को समझाने का प्रयास किया गया, फिर भी लोग उनकी बात समझने की कोशिश नहीं कर रहे थे और उन्हीं से अपनी समस्याओं का निराकरण मांगने लगे.

'मजबूरी में करना पड़ा ये सब'
पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने कहा कि, 'मैं इसे चक्काजाम नहीं मानता यह एक अप्राकृतिक चक्काजाम है. मजबूरी में ये सब करना पड़ा. अब प्रशासन द्वारा लिखित आश्वासन दिया गया है. जिसके बाद हमारे द्वारा चक्का जामखत्म किया गया.'

पढ़ें- 6 महीने बाद पेश हुआ जांजगीर-नैला नगर पालिका का बजट, टैक्स वसूली में सबसे पीछे

लिखित आश्वासन के बाद खत्म किया चक्काजाम
ये चक्काजाम करीब दो घंटे तक चला. मौखिक आश्वासन सुनने को आदिवासी समाज तैयार ही नहीं था और लिखित आश्वासन की मांग की जा रही थी. एसडीएम सिल्ली थॉमस और सांसद सोहन पोटाई की मध्यस्थता के साथ लिखित आश्वासन के बाद आदिवासी समाज चक्काजाम खत्म किया.

लिखित आश्वासन में लिखा गया है कि एक सप्ताह के अंदर सर्व आदिवासी समाज की सभी समस्याओं का निराकरण किया जाएगा. जिसमें आदिवासियों का घर तोड़ना, जमीनों का अवैध कब्जा सहित अन्य मामले शामिल हैं.

Intro:बालोद।

सर्व आदिवासी समाज द्वारा आज अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया था सुबह से शांतिपूर्ण ढंग से सर्व आदिवासी समाज द्वारा धरना प्रदर्शन किया जा रहा था परंतु ठीक शाम 4:00 बजे सभी समाज के लोग हजारों की संख्या में बालोद नगर के दल्ली चौक पर धरने में बैठ गया पूरा यातायात व्यवस्था ठप हो गया बसों को संचालन करने के लिए थाना प्रभारी अमर सिदार द्वारा युवाओं को समझाने का प्रयास किया गया परंतु वह नहीं माने इस तरह रूट डायवर्ट करना पड़ा लोगों को काफी समस्याएं हुई लगभग 2 घंटे तक समाज अपनी मांगों को लेकर आ रहा जिसके बाद लिखित आश्वासन जिसमें 1 हफ्ते में संपूर्ण समस्याओं के निराकरण की बात कही गई है तब समाज ने चक्का जाम बंद किया इस दौरान वह प्रशासन की एक सुनने को तैयार नही थे।


Body:वीओ - सर्व आदिवासी समाज द्वारा प्रमुख चार मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा था परंतु अचानक ही शाम 4:00 बजे बिना किसी सूचना के वे सड़क पर चक्का जाम करने लगे इसमें भारी संख्या में महिला व पुरुष शामिल है पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार समझाने के प्रयास किया गया परंतु भी नहीं समझे सबसे पहले एक अधिकारियों ने धरना स्थल पर समझाने गए थे परंतु आदिवासी समाज द्वारा उनकी बातें सिरे से नकार दी गई इस दौरान पूर्व सांसद सोहन पोटाई पूर्व विधायक जनक सिंह ठाकुर सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे लगातार समझाइश चलती रही यातायात बाधित रहा आने जाने वाले लोग बसों के इंतजार करते रहे इस दौरान यातायात विभाग और पुलिस विभाग से सूझबूझ से रूट डायवर्ट किया गया था कि किसी को कोई समस्या ना हो शासन प्रशासन जिला कलेक्टर रानू साहू प्रभारी मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई मुर्दाबाद के नारे लगाए गए।

वीओ - पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने कहा कि मैं इसे चक्का जाम नहीं मानता यह एक अप्राकृतिक चक्का जाम है मजबूरी में यह सब करना पड़ा अब प्रशासन द्वारा लिखित आश्वासन दिया गया है जिसके बाद हमारे द्वारा यह चक्का जाम खत्म किया गया।

वीओ - अचानक में चक्का जाम से प्रशासन सकते में रहा और पुलिस विभाग के आला अधिकारी सहित भारी संख्या में जवान स्थिति नियंत्रण में लग गए परंतु आदिवासी समाज के लोग अपनी मांगों को लेकर अडिग रहें चक्का जाम इतना सख्त था कि लोग दोपहिया वाहन चालकों को भी आने जाने नहीं दे रहे थे समझा इसके बाद चक्काजाम खत्म किया गया समाज के लोगों का कहना था कि लगातार आश्वासन मिलने के साथ हम चुप हो जाते हैं परंतु प्रशासन ध्यान नहीं दिया जाता है।

समझाते रहे थाना प्रभारी की इसमें आम लोगों की क्या गलती

बालोद थाना प्रभारी अमर सिदार द्वारा लगातार युवाओं को समझाने का प्रयास किया गया कि आप सब युवा हैं और मेरी बात समझते हैं इसलिए मैं आप सब से बात करने आया हूं यहां पर्सन बस वालों की क्या गलती आने-जाने वालों की क्या गलती है परंतु लोग समझने को तैयार ही नहीं थे वह थाना प्रभारी से ही अपनी समस्याओं का निराकरण मांगने लगे जहां थाना प्रभारी अमर सिदार ने बड़े ही न दो लफ्जों में कहा कि मैं एक छोटा आदमी हूं यह बड़े लोगों की बात है पर मेरी जिम्मेदारी है कि किसी भी आम लोगों को समस्या ना हो।


Conclusion:लगभग 4:00 बजे से यह चक्काजाम शुरू किया गया था जो कि लगभग दो घंटे तक चला मौखिक आश्वासन सुनने समाज को तैयार ही नहीं था बल्कि लिखित आश्वासन की मांग की जा रही थी एसडीएम सिल्ली थॉमस व सांसद सोहन पोटाई की मध्यस्थता के साथ लिखित आश्वासन के बाद समाज चक्का जाम वापस लेने को तैयार हुआ 1 सप्ताह का समय सभी समस्याओं के निराकरण के लिए लिखा गया है जिसमें आदिवासियों का घर तोड़ना जमीनों की अवैध कब्जे धारी सहित अन्य मामले शामिल हैं



बाइट - सोहन पोटाई, पूर्व सांसद कांकेर

बाइट - ए. के. वाजपेयी, अपर कलेक्टर बालोद
Last Updated : Sep 30, 2019, 11:54 PM IST
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