बालोद: जिले में वन मंडल अधिकारी ने पाटेश्वर धाम को खाली करने को लेकर नोटिस जारी किया है. इसे लेकर आदिवासी और वन विभाग के बीच छिड़ी जंग बढ़ती ही जा रही है.जामली पाटेश्वर धाम के आसपास के 18 गांव के लोग सैकड़ों की तादाद में कलेक्ट्रेट पहुंचे. जहां उन्होंने कहा कि इस तीर्थ स्थल से छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जो अधिकारी धर्म विरोधी कार्य कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. आदिवासियों ने अपर कलेक्टर को कार्रवाई के लिए ज्ञापन सौंपा.
इस दौरान भाजपा-कांग्रेस के नेता जनप्रतिनिधि भी वहां मौजूद रहे. सभी ने कहा कि यह एक तीर्थ स्थल है. यहां पर जबरदस्ती अधिकारी तानाशाही रवैया अपना रहे हैं. जगह को खाली करने के लिए आदेश दिया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि पाटेश्वर धाम रामायण कालीन जमदग्नि ऋषि की तपोभूमि रही है. इसके अलावा आदिवासियों के वनदेवता पाटेश्वर भगवान भी हैं. जहां वन क्षेत्र में निवास करने वाले ग्रामीण जनमानस आदिकाल से पूजा-पाठ करते आ रहे हैं. उसे पूर्ण स्थली में सन 1975 में महा त्यागी रामजानकी राज योगी बाबा कुटी बनाकर आध्यात्मिक साधना करते रहे हैं.
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वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार में लगे संत राम बालक दास
वर्ष 1986 में नव वर्ष की अवस्था में राम बालक दास महात्यागी जी धार्मिक आध्यात्मिक योग साधना के साथ वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं. पाटेश्वर धाम में गौ सेवा संरक्षण संवर्धन का प्रकल्प भी है. जहां 1000 गौधन निवास कर रहे हैं. इस पुण्य साधना स्थली में प्रदेश और देश से संत महात्मा आकर सत्संग करते हैं. बीजेपी शासन के सहयोग से इस दर्शनीय स्थल को पर्यटन रूप दिया गया है. विश्व प्रसिद्ध कौशल्या मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. इस तीर्थ स्थली में सर्वधर्म समभाव के अनेक मूर्तियां मंदिर परिसर में स्थापित है, जो कि जन आस्था का केंद्र है.
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DFO ने दिया नोटिस
गांववालों को रोकने किया गया बैरिकेडिंग