ETV Bharat / state

SPECIAL: इस गांव में बेटियां जन्म लेती हैं तो माता-पिता को मिलता है सम्मान

बालोद जिले का देवरी गांव अपने आप में जागरूकता की मिसाल पेश कर रहा है. इस गांव में बेटी पैदा होने पर माता-पिता को सम्मानित किया जाता है. साथ ही नवजात बच्ची को उपहार के तौर पर एक पौधा दिया जाता है. बेटे-बेटियों में भेदभाव को दूर करने के लिए गांव की ये नेक पहल तारीफ के काबिल है.

women empowerment in devri
बेटियों का सम्मान
author img

By

Published : Nov 3, 2020, 8:26 PM IST

Updated : Nov 3, 2020, 9:18 PM IST

बालोद: कहते हैं बेटे भाग्य से होते हैं और बेटियां सौभाग्य से. हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां बेटी पैदा होने पर माता-पिता का सम्मान किया जाता है. हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं पर असल में इस बात को कोई सार्थक कर रहा है तो वो है देवरी गांव. जहां बेटियों को पढ़ाने-लिखाने और लिंगभेद जैसी समस्या को दूर करने के लिए बेटी होने पर पूरे परिवार को सम्मान दिया जाता है.

बेटी के जन्म होने पर माता-पिता को मिलता है सम्मान

बालोद जिले का ग्राम देवरी गांव अपने आप में जागरूकता की एक मिसाल है. यहां पुरुष प्रधान समाज में बेटियों को बराबर स्थान देने के लिए एक अच्छी पहल की गई है. जहां किसी भी परिवार में यदि बेटियों का जन्म होता है तो उसके मां बाप को सम्मानित किया जाता है. सरकार बेटे और बेटियों में भेदभाव दूर करने के लिए तरह-तरह के अभियान चला रही है, लेकिन इस गांव ने अपने स्तर पर जागरूकता लाने के लिए अहम कदम उठाया है और अन्य लोगों को भी प्रेरणा दे रहा है.

3 साल से हो रहा सम्मान
बेटियों के जन्म पर माता पिता और परिवार को सम्मानित करने की यह परंपरा तीन साल पहले शुरू हुई. अबतक गांव में 25 से ज्यादा बेटियों के जन्म लेने पर उनके माता-पिता को सम्मानित किया जा चुका है. अगर किसी परिवार में दो बेटियां हैं तो उसे तीसरे बच्चे के लिए मना कर परिवार नियोजन के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है. गांव के इस अनोखी पहल से अब लोग भी प्रेरित होने लगे हैं.

पंचायत का भी अहम योगदान
इस कार्यक्रम में पंचायत का भी एक अहम योगदान है. सरपंच नेम बाई ने बताया की बेटियों के प्रति हमारी सम्मान की यह परिचायक है. हम सब गांव भर के लोगों को बेटियों के सम्मान के लिए प्रेरित करते हैं और अब हमारा गांव जागरूक भी हो रहा है. पहले लोग बेटे की चाह में दो बेटियां होने के बाद भी तीसरी संतान की चाह रखते थे, लेकिन हमने बेटा और बेटी के इस भेदभाव को खत्म करने की कोशिश की है जो अब सार्थक साबित हो रहा है. आगे सरपंच ने कहा हम बेटियों को आगे बढ़ाना चाहते हैं. आगे हमारे पंचायत और ग्रामवासियों के बेटियों की मदद के लिए हर संभव कोशिश करेंगे.


सम्मान स्वरूप देते हैं पौधा
पर्यावरण प्रेमी शुभम साहू ने बताया कि नवजात बच्ची को हम भेंट स्वरूप एक पौधा देते हैं, जिन्हें उनके माता-पिता गांव या खेत के अलावा खाली जगहों पर उस पौधे को लगा देते हैं. जिस तरह बेटियां बढ़ती जाती है, उसी तरह पेड़ भी बढ़ता जाता है. इससे पर्यावरण संरक्षण भी होता है.

गांव में बराबर है महिला और पुरुष की जनसंख्या
इसे इत्तेफाक ही कहा जा सकता है कि गांव में महिलाओं और पुरुष की जनसंख्या बराबर है. सरपंच ने बताया कि गांव की कुल जनसंख्या 2,080 है जिसमें से 1040 महिला और 1040 पुरुष है. 3 साल के भीतर 25 से ज्यादा नवजात बेटियों के जन्म पर उनके माता-पिता को सम्मानित किया जा चुका है. अब इस बार आने वाली बेटियों का सम्मान में और क्या बेहतर किया जा सके इसकी लिए विचार कर रहे हैं.

महिला थाना प्रभारी भी प्रभावित
महिला थाना प्रभारी पदमा जगत जो कि महिला सशक्तिकरण को लेकर सदैव आगे खड़ी रहती हैं, उन्होंने भी गांव के इस पहल की जमकर तारीफ की है. उन्होंने कहा कि आने वाले पीढ़ी को इस पहल का लाभ जरुर मिलेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि अन्य गांव में भी बेटे-बेटियों में भेदभाव खत्म करने के लिए इस तरह के कदम उठाने चाहिए जिससे बेटियों को एक स्वच्छ समाज मिल सके.

बालोद: कहते हैं बेटे भाग्य से होते हैं और बेटियां सौभाग्य से. हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां बेटी पैदा होने पर माता-पिता का सम्मान किया जाता है. हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं पर असल में इस बात को कोई सार्थक कर रहा है तो वो है देवरी गांव. जहां बेटियों को पढ़ाने-लिखाने और लिंगभेद जैसी समस्या को दूर करने के लिए बेटी होने पर पूरे परिवार को सम्मान दिया जाता है.

बेटी के जन्म होने पर माता-पिता को मिलता है सम्मान

बालोद जिले का ग्राम देवरी गांव अपने आप में जागरूकता की एक मिसाल है. यहां पुरुष प्रधान समाज में बेटियों को बराबर स्थान देने के लिए एक अच्छी पहल की गई है. जहां किसी भी परिवार में यदि बेटियों का जन्म होता है तो उसके मां बाप को सम्मानित किया जाता है. सरकार बेटे और बेटियों में भेदभाव दूर करने के लिए तरह-तरह के अभियान चला रही है, लेकिन इस गांव ने अपने स्तर पर जागरूकता लाने के लिए अहम कदम उठाया है और अन्य लोगों को भी प्रेरणा दे रहा है.

3 साल से हो रहा सम्मान
बेटियों के जन्म पर माता पिता और परिवार को सम्मानित करने की यह परंपरा तीन साल पहले शुरू हुई. अबतक गांव में 25 से ज्यादा बेटियों के जन्म लेने पर उनके माता-पिता को सम्मानित किया जा चुका है. अगर किसी परिवार में दो बेटियां हैं तो उसे तीसरे बच्चे के लिए मना कर परिवार नियोजन के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है. गांव के इस अनोखी पहल से अब लोग भी प्रेरित होने लगे हैं.

पंचायत का भी अहम योगदान
इस कार्यक्रम में पंचायत का भी एक अहम योगदान है. सरपंच नेम बाई ने बताया की बेटियों के प्रति हमारी सम्मान की यह परिचायक है. हम सब गांव भर के लोगों को बेटियों के सम्मान के लिए प्रेरित करते हैं और अब हमारा गांव जागरूक भी हो रहा है. पहले लोग बेटे की चाह में दो बेटियां होने के बाद भी तीसरी संतान की चाह रखते थे, लेकिन हमने बेटा और बेटी के इस भेदभाव को खत्म करने की कोशिश की है जो अब सार्थक साबित हो रहा है. आगे सरपंच ने कहा हम बेटियों को आगे बढ़ाना चाहते हैं. आगे हमारे पंचायत और ग्रामवासियों के बेटियों की मदद के लिए हर संभव कोशिश करेंगे.


सम्मान स्वरूप देते हैं पौधा
पर्यावरण प्रेमी शुभम साहू ने बताया कि नवजात बच्ची को हम भेंट स्वरूप एक पौधा देते हैं, जिन्हें उनके माता-पिता गांव या खेत के अलावा खाली जगहों पर उस पौधे को लगा देते हैं. जिस तरह बेटियां बढ़ती जाती है, उसी तरह पेड़ भी बढ़ता जाता है. इससे पर्यावरण संरक्षण भी होता है.

गांव में बराबर है महिला और पुरुष की जनसंख्या
इसे इत्तेफाक ही कहा जा सकता है कि गांव में महिलाओं और पुरुष की जनसंख्या बराबर है. सरपंच ने बताया कि गांव की कुल जनसंख्या 2,080 है जिसमें से 1040 महिला और 1040 पुरुष है. 3 साल के भीतर 25 से ज्यादा नवजात बेटियों के जन्म पर उनके माता-पिता को सम्मानित किया जा चुका है. अब इस बार आने वाली बेटियों का सम्मान में और क्या बेहतर किया जा सके इसकी लिए विचार कर रहे हैं.

महिला थाना प्रभारी भी प्रभावित
महिला थाना प्रभारी पदमा जगत जो कि महिला सशक्तिकरण को लेकर सदैव आगे खड़ी रहती हैं, उन्होंने भी गांव के इस पहल की जमकर तारीफ की है. उन्होंने कहा कि आने वाले पीढ़ी को इस पहल का लाभ जरुर मिलेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि अन्य गांव में भी बेटे-बेटियों में भेदभाव खत्म करने के लिए इस तरह के कदम उठाने चाहिए जिससे बेटियों को एक स्वच्छ समाज मिल सके.

Last Updated : Nov 3, 2020, 9:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.