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SPECIAL: ये हैं बालोद के 'पैडमैन', महिलाओं को आजीवन देंगे मुफ्त में सैनेटरी पैड

महावारी जैसे विषय पर ग्रामीण अंचलों में बात करना भी गलत माना जाता है. जबकि यह युवतियों और महिलाओं के स्वास्थ्य से बेहद जुड़ा होता है. गंदा कपड़ा उपयोग करने से कई तरह की बीमारियां होती हैं.ऐसे गंभीर विषय जिस पर लोग चर्चा करना भी उचित नहीं समझते हैं. उस विषय को गांव के एक युवक की सोच ने ग्रामीणों को ही बदल डाला और आजीवन मुफ्त में सैनेटरी पैड देने की शुरुआत की.

Padman Shubham Sahu announced to give lifetime free sanitary pad to women in Balod district
बालोद के पैडमैन
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Published : Nov 2, 2020, 1:37 PM IST

Updated : Nov 2, 2020, 2:49 PM IST

बालोद: दो साल पहले अक्षय कुमार की पैडमैन फिल्म आई थी. शुरू में लगा कि यह फिल्म ऐसे मुद्दे पर बनी है, जिसकी चर्चा करने से लोग शर्म खाते हैं या करना नहीं चाहते, लेकिन यह फिल्म सुपर-डुपर हिट हुई. फिर न जाने देश में कितने पुरुषों ने फिल्म से प्रेरणा ली और फिर महिलाओं के आत्मसम्नान को बनाए रखने के लिए पैडमैन बनने की ठानी. बालोद के शुभम साहू भी अब इसी रास्ते पर चल पड़े हैं.

बालोद के पैडमैन

जिले के गुंडरदेही ब्लॉक का देवरी गांव. प्रदेश का शायद पहला ऐसा गांव बनने जा रहा है, जहां की युवतियों और महिलाओं को आजीवन सैनेटरी पैड मुफ्त में दिया जाएगा. यह एक व्यक्ति की सोच से साकार हो पाया है. दरअसल गांव के रहने वाले शुभ साहू ने कहीं पर पढ़ा और सुना था कि राजनांदगांव जिले के एक गांव में माहवारी के समय महिलाओं को एक सप्ताह घर से बाहर रखा जाता है. इस बात ने शुभम को अंदर से इतना परेशान किया कि उन्होंने निर्णय लिया कि गांव की किसी युवती या किसी महिला को इस तरह की समस्याओं से जूझना नहीं पड़ेगा. और वे अपने स्वास्थ्य का बेहतर ख्याल रख पाएंगीं. इसलिए उन्होंने आजीवन सैनेटरी पैड आंगनबाड़ी के माध्यम से महिलाओं को देने की पहल की है. इस पहल की सराहना पूरे प्रशासनिक महकमे में होने लगी है. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की टीम उस गांव में पहुंची और इस योजना की तारीफ करते हुए महिला सशक्तिकरण की ओर जोर दिया. युवतियों और महिलाओं को आगे आने की बात कही.

एक गांव की कहानी से मिली प्रेरणा

महावारी जैसे विषय पर ग्रामीण अंचलों में बात करना भी गलत माना जाता है. जबकि यह युवतियों और महिलाओं के स्वास्थ्य से बेहद जुड़ा होता है. गंदा कपड़ा उपयोग करने से कई तरह की बीमारियां होती हैं. ऐसे गंभीर विषय जिस पर लोग चर्चा करना भी उचित नहीं समझते हैं. उस विषय को गांव के एक युवक की सोच ने ग्रामीणों को ही बदल डाला और आजीवन मुफ्त में सैनेटरी पैड देने की शुरुआत की. दरअसल, राजनांदगांव जिले के सीतापुर नामक एक गांव में जहां माहवारी के समय महिलाओं को एक हफ्ते के लिए बाहर रहना पड़ा है. इस बात से युवक शुभम साहू को इतना झकझोर दिया कि उन्होंने युवतियों और महिलाओं को मुफ्त में सैनेटरी पैड दिया जाए, लेकिन सभी जगह कर पाना संभव नहीं था.पेश से फार्मासिस्ट शुभम साहू ने अपने देवरी गांव से इसकी शुरुआत की.

पढ़ें- SPECIAL: 'क्रिएटिव सिस्टर्स' की पहल, ताकि उम्मीदों के दीयों से रोशन हो गरीब बच्चों की दिवाली

जजों ने की युवक के प्रयास की तारीफ

शुभम साहू के इस पहल को देखते हुए जज भी काफी प्रभावित हुए. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से गांव में महिला सशक्तिकरण का एक कैंप भी लगाया गया. जहां महिलाओं को झिझक से उठकर ऊपर आकर अपनी बात रखने के लिए प्रेरित किया. न्यायाधीश सविता सिंह ठाकुर ने बताया कि वहां पहुंचने पर उन्हें बेहद अच्छा लगा. यह जो प्रयास एक युवक ने किया है, जो काफी सराहनीय है. उन्होंने महिलाओं और युवतियों को सैनेटरी पैड का उपयोग करने की अपील की. उन्हें समझाया कि यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहद आवश्यक है. आप स्वस्थ रहेंगे तभी गांव स्वस्थ रहेगा और हमारा देश स्वस्थ रहेगा.

हर गांव और देश मे होनी चाहिए शुरुआत

गांव पहुंचे जज शांति प्रभु जैन ने बताया कि प्रत्येक गांव से लेकर हर राज्य और देश में इस तरह के प्रयास किए जाने चाहिए. हमारा उद्देश्य है महिलाओं खुलकर सामने आएं और देश की तरक्की की भागीदार बनें. सैनेटरी पैड उपयोग करना बेहद आवश्यक है और इस तरह के प्रयास से महिलाओं के आत्म सम्मान में बढ़ोतरी होगी. यह ऐसा विषय है जिस पर लोग बात करने से भी घबराते हैं. आज ऐसे विषय को इस गांव ने मंच पर ला दिया. यह सौभाग्य की बात है.

आंगनबाड़ी के जरिए मुफ्त बांटा जाएगा सैनेटरी पैड

गांव में प्रत्येक माह आंगनबाड़ी के माध्यम से महिलाओं को सैनेटरी पैड का वितरण किया जाएगा. जिसे भी जरूरत होगी, वह आंगनबाड़ी से आकर ले जा सकती हैं. इसकी जानकारी सैनेटरी पैड देने वाले युवक शुभम साहू ने दी. उन्होंने बताया कि हम पर्याप्त मात्रा में सैनेटरी पैड आंगनबाड़ी तक पहुंचा देंगे और इसके लिए किसी भी तरह के पैसे नहीं देने होंगे, यह मुफ्त उपलब्ध रहेगा.

पढ़ें- SPECIAL: नक्सली गलियारे के अंधियारे में 'जादुई चिराग' का उजियारा, रोशन होगा नक्सलगढ़ का कुम्हारपारा

मानसिकता बदलने की कोशिश

समाज सेविका कविता गेंद्रे ने कहा कि यह बेहतरीन कार्य है और इसका उद्देश्य मानसिकता बदलना है. महिलाएं रूढ़िवादिता से निकलकर समाज की मुख्यधारा से आगे आएं . आधुनिकता को अपनाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति ध्यान दें. इस योजना का लाभ हर महिलाओं को मिलेगा, बल्कि प्रत्येक गांव को इससे सीख लेनी चाहिए और इस तरह का नवाचार करना चाहिए तभी गांव से लेकर देश की तरक्की संभव है.

महिलाओं को झिझक दूर करने की जरूरत

समाजसेविका कविता गेन्द्रे ने कहा कि यह विषय बेहद ही महत्वपूर्ण है. इस पर चर्चा करना भी अनिवार्य है, लेकिन जब इस विषय की चर्चाएं होती है, तो कुछ महिलाएं अपना सिर झुका देती है. सिर झुकाना नहीं है, सोच में परिवर्तन करना है तभी हम आगे बढ़ पाएंगे. मानसिकता को बदलना बेहद जरूरी है.

सेनेटरी पैड के लिए घबराए नहीं

ग्रामीण महिलाओं और युवतियों से चर्चा करते हुए जजों, अधिकारियों ने कहा कि सेनेटरी पैड के लिए घबराए नहीं, बल्कि खुलकर अपनी बात रखें. एक बेहतरीन पहल इस गांव में हुई है. इसका भरपूर फायदा उठाएं. आप स्वस्थ रहेंगे तभी हमारा देश स्वस्थ रहेगा, कई जगहों पर कैंसर समेत दूसरी अन्य बीमारियां गंदा कपड़ा उपयोग करने के चलते होती है. इनसे सभी को बचना है और समाज में एक नई रोशनी फैलानी चाहिए.

पैडमैन शुभम साहू की तारीफ

पैडमैन शुभम साहू की पहल को प्रशासन भी तारीफ कर रहा है. डीएसपी अनुप्रिया ठाकुर, महिला थाना प्रभारी पदमा जगत भी गांव पहुंची और वहां युवतियों, महिलाओं को मोटिवेट किया. गांव में बड़ी संख्या में जज, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को देखकर वहां के लोग खुश दिखाई पड़े. सभी का उनके गांव में पहुंचना किसी सपने से कम नहीं था. यह गांव जिले के अंतिम छोर में बसा हुआ है. अधिकारियों ने युवतियों, महिलाओं से संवाद किया और उन्हें जागरुक किया. महिला अपराधों को लेकर भी उनसे बातें की. उन्होंने कहा कि कोई घटना होती है तो उसे तुरंत रिस्पांस करना चाहिए. अक्सर देखने को मिलता है कि कई घटनाएं साल दो साल पुरानी होती है, उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वे जब तुरंत पहुंचेंगे तो पुलिस भी तुरंत एक्शन लेगी.

एक युवक की सोच ने ग्रामीणों की सोच भी बदल दी और इस तरह के गंभीर विषय पर यह फैसले लिए गए जो हर व्यक्ति के लिए जानना बेहद अनिवार्य है. एक गांव में इसकी शुरुआत हुई है और देश के हर गांव तक इसकी रोशनी पहुंचनी चाहिए तभी महिलाओं के स्वास्थ्य का सुधार हो पाएगा. इस युवक की पहल से आज गांव-गांव में तारीफें मिल रही हैं.

बालोद: दो साल पहले अक्षय कुमार की पैडमैन फिल्म आई थी. शुरू में लगा कि यह फिल्म ऐसे मुद्दे पर बनी है, जिसकी चर्चा करने से लोग शर्म खाते हैं या करना नहीं चाहते, लेकिन यह फिल्म सुपर-डुपर हिट हुई. फिर न जाने देश में कितने पुरुषों ने फिल्म से प्रेरणा ली और फिर महिलाओं के आत्मसम्नान को बनाए रखने के लिए पैडमैन बनने की ठानी. बालोद के शुभम साहू भी अब इसी रास्ते पर चल पड़े हैं.

बालोद के पैडमैन

जिले के गुंडरदेही ब्लॉक का देवरी गांव. प्रदेश का शायद पहला ऐसा गांव बनने जा रहा है, जहां की युवतियों और महिलाओं को आजीवन सैनेटरी पैड मुफ्त में दिया जाएगा. यह एक व्यक्ति की सोच से साकार हो पाया है. दरअसल गांव के रहने वाले शुभ साहू ने कहीं पर पढ़ा और सुना था कि राजनांदगांव जिले के एक गांव में माहवारी के समय महिलाओं को एक सप्ताह घर से बाहर रखा जाता है. इस बात ने शुभम को अंदर से इतना परेशान किया कि उन्होंने निर्णय लिया कि गांव की किसी युवती या किसी महिला को इस तरह की समस्याओं से जूझना नहीं पड़ेगा. और वे अपने स्वास्थ्य का बेहतर ख्याल रख पाएंगीं. इसलिए उन्होंने आजीवन सैनेटरी पैड आंगनबाड़ी के माध्यम से महिलाओं को देने की पहल की है. इस पहल की सराहना पूरे प्रशासनिक महकमे में होने लगी है. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की टीम उस गांव में पहुंची और इस योजना की तारीफ करते हुए महिला सशक्तिकरण की ओर जोर दिया. युवतियों और महिलाओं को आगे आने की बात कही.

एक गांव की कहानी से मिली प्रेरणा

महावारी जैसे विषय पर ग्रामीण अंचलों में बात करना भी गलत माना जाता है. जबकि यह युवतियों और महिलाओं के स्वास्थ्य से बेहद जुड़ा होता है. गंदा कपड़ा उपयोग करने से कई तरह की बीमारियां होती हैं. ऐसे गंभीर विषय जिस पर लोग चर्चा करना भी उचित नहीं समझते हैं. उस विषय को गांव के एक युवक की सोच ने ग्रामीणों को ही बदल डाला और आजीवन मुफ्त में सैनेटरी पैड देने की शुरुआत की. दरअसल, राजनांदगांव जिले के सीतापुर नामक एक गांव में जहां माहवारी के समय महिलाओं को एक हफ्ते के लिए बाहर रहना पड़ा है. इस बात से युवक शुभम साहू को इतना झकझोर दिया कि उन्होंने युवतियों और महिलाओं को मुफ्त में सैनेटरी पैड दिया जाए, लेकिन सभी जगह कर पाना संभव नहीं था.पेश से फार्मासिस्ट शुभम साहू ने अपने देवरी गांव से इसकी शुरुआत की.

पढ़ें- SPECIAL: 'क्रिएटिव सिस्टर्स' की पहल, ताकि उम्मीदों के दीयों से रोशन हो गरीब बच्चों की दिवाली

जजों ने की युवक के प्रयास की तारीफ

शुभम साहू के इस पहल को देखते हुए जज भी काफी प्रभावित हुए. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से गांव में महिला सशक्तिकरण का एक कैंप भी लगाया गया. जहां महिलाओं को झिझक से उठकर ऊपर आकर अपनी बात रखने के लिए प्रेरित किया. न्यायाधीश सविता सिंह ठाकुर ने बताया कि वहां पहुंचने पर उन्हें बेहद अच्छा लगा. यह जो प्रयास एक युवक ने किया है, जो काफी सराहनीय है. उन्होंने महिलाओं और युवतियों को सैनेटरी पैड का उपयोग करने की अपील की. उन्हें समझाया कि यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहद आवश्यक है. आप स्वस्थ रहेंगे तभी गांव स्वस्थ रहेगा और हमारा देश स्वस्थ रहेगा.

हर गांव और देश मे होनी चाहिए शुरुआत

गांव पहुंचे जज शांति प्रभु जैन ने बताया कि प्रत्येक गांव से लेकर हर राज्य और देश में इस तरह के प्रयास किए जाने चाहिए. हमारा उद्देश्य है महिलाओं खुलकर सामने आएं और देश की तरक्की की भागीदार बनें. सैनेटरी पैड उपयोग करना बेहद आवश्यक है और इस तरह के प्रयास से महिलाओं के आत्म सम्मान में बढ़ोतरी होगी. यह ऐसा विषय है जिस पर लोग बात करने से भी घबराते हैं. आज ऐसे विषय को इस गांव ने मंच पर ला दिया. यह सौभाग्य की बात है.

आंगनबाड़ी के जरिए मुफ्त बांटा जाएगा सैनेटरी पैड

गांव में प्रत्येक माह आंगनबाड़ी के माध्यम से महिलाओं को सैनेटरी पैड का वितरण किया जाएगा. जिसे भी जरूरत होगी, वह आंगनबाड़ी से आकर ले जा सकती हैं. इसकी जानकारी सैनेटरी पैड देने वाले युवक शुभम साहू ने दी. उन्होंने बताया कि हम पर्याप्त मात्रा में सैनेटरी पैड आंगनबाड़ी तक पहुंचा देंगे और इसके लिए किसी भी तरह के पैसे नहीं देने होंगे, यह मुफ्त उपलब्ध रहेगा.

पढ़ें- SPECIAL: नक्सली गलियारे के अंधियारे में 'जादुई चिराग' का उजियारा, रोशन होगा नक्सलगढ़ का कुम्हारपारा

मानसिकता बदलने की कोशिश

समाज सेविका कविता गेंद्रे ने कहा कि यह बेहतरीन कार्य है और इसका उद्देश्य मानसिकता बदलना है. महिलाएं रूढ़िवादिता से निकलकर समाज की मुख्यधारा से आगे आएं . आधुनिकता को अपनाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति ध्यान दें. इस योजना का लाभ हर महिलाओं को मिलेगा, बल्कि प्रत्येक गांव को इससे सीख लेनी चाहिए और इस तरह का नवाचार करना चाहिए तभी गांव से लेकर देश की तरक्की संभव है.

महिलाओं को झिझक दूर करने की जरूरत

समाजसेविका कविता गेन्द्रे ने कहा कि यह विषय बेहद ही महत्वपूर्ण है. इस पर चर्चा करना भी अनिवार्य है, लेकिन जब इस विषय की चर्चाएं होती है, तो कुछ महिलाएं अपना सिर झुका देती है. सिर झुकाना नहीं है, सोच में परिवर्तन करना है तभी हम आगे बढ़ पाएंगे. मानसिकता को बदलना बेहद जरूरी है.

सेनेटरी पैड के लिए घबराए नहीं

ग्रामीण महिलाओं और युवतियों से चर्चा करते हुए जजों, अधिकारियों ने कहा कि सेनेटरी पैड के लिए घबराए नहीं, बल्कि खुलकर अपनी बात रखें. एक बेहतरीन पहल इस गांव में हुई है. इसका भरपूर फायदा उठाएं. आप स्वस्थ रहेंगे तभी हमारा देश स्वस्थ रहेगा, कई जगहों पर कैंसर समेत दूसरी अन्य बीमारियां गंदा कपड़ा उपयोग करने के चलते होती है. इनसे सभी को बचना है और समाज में एक नई रोशनी फैलानी चाहिए.

पैडमैन शुभम साहू की तारीफ

पैडमैन शुभम साहू की पहल को प्रशासन भी तारीफ कर रहा है. डीएसपी अनुप्रिया ठाकुर, महिला थाना प्रभारी पदमा जगत भी गांव पहुंची और वहां युवतियों, महिलाओं को मोटिवेट किया. गांव में बड़ी संख्या में जज, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को देखकर वहां के लोग खुश दिखाई पड़े. सभी का उनके गांव में पहुंचना किसी सपने से कम नहीं था. यह गांव जिले के अंतिम छोर में बसा हुआ है. अधिकारियों ने युवतियों, महिलाओं से संवाद किया और उन्हें जागरुक किया. महिला अपराधों को लेकर भी उनसे बातें की. उन्होंने कहा कि कोई घटना होती है तो उसे तुरंत रिस्पांस करना चाहिए. अक्सर देखने को मिलता है कि कई घटनाएं साल दो साल पुरानी होती है, उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वे जब तुरंत पहुंचेंगे तो पुलिस भी तुरंत एक्शन लेगी.

एक युवक की सोच ने ग्रामीणों की सोच भी बदल दी और इस तरह के गंभीर विषय पर यह फैसले लिए गए जो हर व्यक्ति के लिए जानना बेहद अनिवार्य है. एक गांव में इसकी शुरुआत हुई है और देश के हर गांव तक इसकी रोशनी पहुंचनी चाहिए तभी महिलाओं के स्वास्थ्य का सुधार हो पाएगा. इस युवक की पहल से आज गांव-गांव में तारीफें मिल रही हैं.

Last Updated : Nov 2, 2020, 2:49 PM IST
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