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बालोद के गुरुर नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित

बालोद के गुरुर नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया है. No confidence motion passed नगर पंचायत अध्यक्ष (Gurur Nagar Panchayat President) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 10 वोट मिले और खिलाफ में केवल 5 वोट ही मिले.

No confidence motion passed
अविश्वास प्रस्ताव पारित
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Published : Jan 9, 2023, 6:15 PM IST

नपं अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित

बालोद: बालोद के गुरुर नगर पंचायत में सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव को लेकर लगभग 2 घंटे तक सम्मेलन में घमासान जारी रहा. गुरूर नगर पंचायत अध्यक्ष विश्वास मत पाने में असफल रहीं. अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद टिकेश्वरी साहू ने विधायक संगीता सिन्हा पर गंभीर आरोप लगाए. टिकेश्वरी साहू ने कहा कि "अविश्वास प्रस्ताव राजनैतिक षड्यंत्र है और यह षड्यंत्र संचारी बालोद के वर्तमान विधायक का है. मेरी लड़ाई विकास कार्यों को लेकर थी, मेरे ऊपर लगातार दबाव बनाया गया, मुझे प्रताड़ित किया गया."

संजारी बालोद विधायक पर प्रताड़ना का आरोप: अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू (Gurur Nagar Panchayat President) ने विधायक संगीता सिन्हा को लेकर कहा कि "एक महिला होकर दूसरी महिला को प्रताड़ित करना, यह सही बात नहीं है. जब से मैं नगर पंचायत अध्यक्ष बनी हूं, तब से मुझे परेशान और प्रताड़ित किया गया है." गुरूर नगर पंचायत अध्यक्ष को लगभग 1 महीने पहले ही कांग्रेस से निष्कासित किया जा चुका है.

यह भी पढ़ें: अमित शाह की रैली के लिए रमन सिंह को दिया हेलीकॉप्टर, खुद सड़क मार्ग से आया: सीएम भूपेश बघेल

पार्षदों का क्या है कहना: गुरूर नगर पंचायत उपाध्यक्ष प्रमोद सोनवानी ने कहा कि "अध्यक्ष को केवल पैसों से प्रेम था, इसलिए उनके द्वारा नगर पंचायत में भ्रष्टाचार किया जा रहा था. जिसके खिलाफ हम सब ने आवाज उठाया और अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ है. नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 12 के पार्षद मुकेश साहू ने कहा कि "3 साल से जो नगर पंचायत में भ्रष्टाचार चल रहा था और यहां पर जो शासन के पैसों का दुरुपयोग किया जा रहा था. इन सब के विषय को लेकर हमने अविश्वास प्रस्ताव लाया था. आज सत्य की जीत हुई है."

जानिए गुरूर का क्या है समीकरण: गुरुर नगर पंचायत के समीकरण पर नजर डालें तो यहां पर पहले 8 पार्षद भाजपा के थे और 7 पार्षद कांग्रेस के थे. लेकिन अध्यक्ष बनाने के समय भाजपा पीछे रही और कांग्रेस ने अपना अध्यक्ष बना लिया. जिसके बाद लगातार खींचतान चलती रही. 2022 में अविश्वास प्रस्ताव का मामला उठा और भाजपा के 10 पार्षद साथ रहे. कांग्रेस पार्षदों को पीआईसी से अध्यक्ष ने हटाकर भाजपा पार्षदों को नियुक्ति दिया, जिसको लेकर भी बवाल हुआ. आखिर में कांग्रेस ने तत्कालीन अध्यक्ष को कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखाया और अविश्वास मत भी पारित हुआ.

नपं अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित

बालोद: बालोद के गुरुर नगर पंचायत में सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव को लेकर लगभग 2 घंटे तक सम्मेलन में घमासान जारी रहा. गुरूर नगर पंचायत अध्यक्ष विश्वास मत पाने में असफल रहीं. अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद टिकेश्वरी साहू ने विधायक संगीता सिन्हा पर गंभीर आरोप लगाए. टिकेश्वरी साहू ने कहा कि "अविश्वास प्रस्ताव राजनैतिक षड्यंत्र है और यह षड्यंत्र संचारी बालोद के वर्तमान विधायक का है. मेरी लड़ाई विकास कार्यों को लेकर थी, मेरे ऊपर लगातार दबाव बनाया गया, मुझे प्रताड़ित किया गया."

संजारी बालोद विधायक पर प्रताड़ना का आरोप: अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू (Gurur Nagar Panchayat President) ने विधायक संगीता सिन्हा को लेकर कहा कि "एक महिला होकर दूसरी महिला को प्रताड़ित करना, यह सही बात नहीं है. जब से मैं नगर पंचायत अध्यक्ष बनी हूं, तब से मुझे परेशान और प्रताड़ित किया गया है." गुरूर नगर पंचायत अध्यक्ष को लगभग 1 महीने पहले ही कांग्रेस से निष्कासित किया जा चुका है.

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पार्षदों का क्या है कहना: गुरूर नगर पंचायत उपाध्यक्ष प्रमोद सोनवानी ने कहा कि "अध्यक्ष को केवल पैसों से प्रेम था, इसलिए उनके द्वारा नगर पंचायत में भ्रष्टाचार किया जा रहा था. जिसके खिलाफ हम सब ने आवाज उठाया और अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ है. नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 12 के पार्षद मुकेश साहू ने कहा कि "3 साल से जो नगर पंचायत में भ्रष्टाचार चल रहा था और यहां पर जो शासन के पैसों का दुरुपयोग किया जा रहा था. इन सब के विषय को लेकर हमने अविश्वास प्रस्ताव लाया था. आज सत्य की जीत हुई है."

जानिए गुरूर का क्या है समीकरण: गुरुर नगर पंचायत के समीकरण पर नजर डालें तो यहां पर पहले 8 पार्षद भाजपा के थे और 7 पार्षद कांग्रेस के थे. लेकिन अध्यक्ष बनाने के समय भाजपा पीछे रही और कांग्रेस ने अपना अध्यक्ष बना लिया. जिसके बाद लगातार खींचतान चलती रही. 2022 में अविश्वास प्रस्ताव का मामला उठा और भाजपा के 10 पार्षद साथ रहे. कांग्रेस पार्षदों को पीआईसी से अध्यक्ष ने हटाकर भाजपा पार्षदों को नियुक्ति दिया, जिसको लेकर भी बवाल हुआ. आखिर में कांग्रेस ने तत्कालीन अध्यक्ष को कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखाया और अविश्वास मत भी पारित हुआ.

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