बालोद: शिक्षा मानव के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इंसान का गहना होती है शिक्षा. शिक्षित मनुष्य देश और समाज के विकास में अहम योगदान निभाता है. कई आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता भी अपने बच्चों को उच्च शिक्षित करना चाहते हैं, ताकि उनकी जिंदगी संवर जाए. इसके लिए वे अपना पेट काटकर बच्चों को पढ़ाते हैं. वहीं समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो गरीबों की मदद के लिए आगे आते हैं. बालोद जिले के डौंडी ब्लॉक के गुजरा गांव में रहने वाली नीलिमा श्याम गरीब बच्चों को पढ़ाकर उनका भविष्य संवार रही हैं. नीलिमा खुद भी पढ़ाई करती हैं और बच्चों को भी पढ़ाई कराती हैं. मजदूर पिता और मितानिन मां भी इस नेक काम में बेटी का भरपूर सहयोग कर रहे हैं.
कोरोना काल में जहां बीते 7 महीनों से सभी स्कूल-कॉलेज बंद हैं, बच्चों को पढ़ाई से वंचित होना पड़ रहा है, वहां नीलिमा बच्चों में पढ़ाई का अलख जगा रही हैं. अपने गांव में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए नीलिमा बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देती हैं. दो साल से नीलिमा प्राइवेट माध्यम से अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हैं. वे अपने मिट्टी से बने कच्चे घर में ही सैकड़ों बच्चों को पढ़ाती हैं. इतना ही नहीं बालोद की ये बेटी बच्चों को उनके सिलेबस के अलावा जिंदगी जीने के गुर भी सिखाती है.
कभी पढ़ाई में कमजोर रहने वाली नीलिमा आज बच्चों की लेती है क्लास
नीलिमा बताती हैं कि वे पहले पढ़ाई में कमजोर थीं. उनके कई सहपाठी उन्हें ताने मारकर नीचे गिराने की कोशिश करते थे. वे कहती हैं कि ऐसे ताने सुनकर कई बच्चे जिंदगी से हारा हुआ महसूस करते हैं और पढ़ाई से पीछा छुड़ा लेते हैं. इन परेशानियों को देखते हुए नीलिमा 12वीं क्लास तक के बच्चों को सुबह से लेकर शाम तक अलग-अलग समय में पढ़ाती हैं.
कहते हैं कि शिक्षा के साथ स्वस्थ रहना भी जरूरी है, जिसे ध्यान में रखकर नीलिमा बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ योगा और खेलकूद भी कराती हैं. नीलिमा ने इस साल अपने ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर का एग्जाम दिया है. वैसे तो वे 4 साल से अपने गांव के बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं, लेकिन 2 साल से लगातार रोजाना अपने घर पर ही कक्षा संचालित कर बच्चों को शिक्षित कर रही हैं. नीलिमा बकायदा बच्चों की परीक्षा भी लेती हैं. बच्चों को उनकी रुचि के मुताबिक ड्रॉइंग, लेखन सहित दूसरे काम भी कराती हैं, ताकि बच्चों का मन भी पढ़ाई में लगा रहे.