बालोद: छोटे से गांव में रहने के साथ ही, सरकारी स्कूल में पढ़कर मिथलेश साहू ने बालोद से लेकर बैंगलोर तक कि रेस पूरी की. मिथिलेश इसरो के मिशन चंद्रयान का हिस्सा हैं.
मिथलेश की उपलब्धि आज बालोद के लोगों की जुबान पर है. बता दें कि मिथलेश इसरो के चंद्रयान मिशन में एक महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. उनका परिवार गर्वान्वित महसूस कर रहा है कि, उनका बेटा इस मिशन का एक हिस्सा है साथ ही थोड़ा दुख इस बात का है कि मिशन पूरा होते-होते रह गया है.
दादा से मिली प्रेरणा
वैज्ञानिक मिथलेश के पिता का कहना है कि वो खासे खुश हैं कि, उनका बेटा आज एक वैज्ञानिक होने के साथ ही, इस महत्वपूर्ण मिशन का हिस्सा है. उन्होंने बताया कि, मिथलेश आज जो भी हैं, वो अपने दादा की प्रेरणा से हैं.
पिता को वैज्ञानिक बनाना चाहते थे दादा
मिथलेश के पिता ने बताया कि 'मेरे पिता का सपना था कि, मैं एक वैज्ञानिक बनूं, मैं तो उनके सपने पर खरा नहीं उतर पाया, लेकिन मेरा बेटा अपने दादा के सपनों को साकार करने के लिए पुरजोर मेहनत कर रहा है और आज इस मुकाम पर है.
सरकारी स्कूल में की पढ़ाई
उन्होंने बताया कि 'उसने पूरी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल में पूरी की है. पहले सतमरा और फिर भानपुरी के स्कूल में एजुकेशन ली. मिथलेश के पिता ने बताया कि 'जब मेरे को को लेकर चर्चा शुरू हुई तो आसपास के दर्जन भर गांवों के लोग मुझे बधाई देने मेरे घर तक पहुंचे, जिससे हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो गया'.
बेटे की कामयाबी से गदगद हैं पिता
मिथलेश के पिता ने इस बात को लेकर खुशी जाहिर की कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके बेटे से हाथ मिलाया और अभिवादन किया. उन्होंने बताया कि 'चंद्रयान-2 मिशन के बाद उन्होंने अपने बेटे से बात की और उन्हें कहा कि बेटा निरंतर अपने कार्य में लगे रहें, सफलता और असफलता तो लगी रहती है.
भाई ने दिया ये संदेश
वैज्ञानिक के भाई लीलाधर साहू ने ETV भारत के जरिए अपने भाई को संदेश देते हुए कहा कि 'सफलता लगी रहती है, आप लगातार प्रयास करें और देश के लिए निरंतर काम करते रहें, यही हमारी आशा है. उन्हें इस बात का मलाल रहता है कि, भाई त्योहारों में भी घर नहीं आ पाते हैं.