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सामान्य सी हुई थी शुरुआत, मल्टी एक्टिविटी का केंद्र बन रहे जिले के गौठान - कड़कनाथ पालन

बालोद में 5 -5 गौठानों के माध्यम से मल्टी एक्टिविटी केंद्र (Multi Activity Center) के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था और अब यह टारगेट भी बड़ा हो गया है.

multi activity after a normal start
मल्टी एक्टिविटी का केंद्र बन रहे जिले के गौठान
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Published : Sep 27, 2021, 3:45 PM IST

Updated : Sep 27, 2021, 4:19 PM IST

बालोद: राज्य सरकार की नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना (Narva Garva Ghurva Bari Scheme) के तहत जिले के प्रत्येक पंचायतों में गौठान का निर्माण किया गया है. लेकिन यहां पर गोठान अब मल्टी एक्टिविटी के केंद्र बन गए हैं. शासन- प्रशासन ने मानों कि ग्रामीण जनता को एक मंच दे दिया है.

मल्टी एक्टिविटी का केंद्र बन रहे जिले के गौठान

बालोद के मुखिया जन्मेजय महोदय ने बताया कि शुरुआत में 5 -5 गौठानों के माध्यम से मल्टी एक्टिविटी केंद्र (Multi Activity Center) के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था और अब यह टारगेट भी बड़ा हो गया है. क्योंकि गौर थानों से सकारात्मक परिणाम निकलकर सामने आ रहे हैं कि गौठान अब आत्मनिर्भर भी हो चुके हैं. या यूं कह सकते हैं कि यह अपना इनकम खुद करने लगे हैं और व्यवस्था भी अब खुद करने लगे हैं. प्रशासन की ओर से शुरुआत में आर्थिक एवं प्रशिक्षण जैसे महत्वपूर्ण सहयोग किए गए थे.

multi activity after a normal start
मल्टी एक्टिविटी का केंद्र बन रहे जिले के गौठान

179 गौठान में वर्मी कम्पोस्ट

जिले के लगभग 179 गौठान ऐसे हैं, जहां पर वर्मी कंपोस्ट का निर्माण (Vermicompost manufacturing) किया जा रहा है. यहां से गोबर की खरीदी हो रही है और उससे समूहों के माध्यम से वर्मी कंपोस्ट का निर्माण (Vermicompost manufacturing) किया जा रहा है. गोबर बेचने वाले हितग्राहियों को भी समय पर भुगतान हो रहा है और इससे जो वर्मी कंपोस्ट निर्मित हो रहे हैं उससे किसान हाथों-हाथ खरीद रहे हैं. लगभग 80% वर्मी कंपोस्ट की बिक्री (Sale Of Vermi Compost) हो चुकी है.

आरंग विधानसभा के बैहार गौठान में बना डोम गिरा, सरपंच पर अनदेखी का आरोप

आज यहां के लोग जैविक खेती की ओर आगे बढ़ रहे हैं. ऐसे में वर्मी कंपोस्ट भी मील का पत्थर साबित हो रहे हैं. गुरुर जनपद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम चिटोद में टाइल्स का निर्माण महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से किया जा रहा है. मां गायत्री, स्व सहायता समूह (Self Help Group) के माध्यम से यहां पर पेवर ब्लॉक का निर्माण किया जा रहा है. इसके साथ ही अरमरीकला गौठान में सेनेटरी पैड का निर्माण किया जा रहा है. इसके साथ ही कई जगहों पर अलग-अलग नस्ल के पशु पालन किए जा रहे हैं तो कुछ जगह कड़कनाथ का भी पालन किया जा रहा है.

यहीं मिल जाता है बाजार

गौठान के माध्यम से कड़कनाथ (Kadaknath) पालन करने वाली महिलाओं ने बताया कि यहां पर छोटे-छोटे चूजे हमें दिए गए थे. प्रशिक्षण दिया गया था कि उनका पालन कैसे करना है और आर्थिक सहयोग भी किया गया था. फौरन हम आप सक्षम हो चुके हैं हमारे छोटे छोटे चूजे लगभग ढाई किलो के वयस्क कड़कनाथ बन चुके हैं और हमें इसे बेचने के लिए बाहर जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है, यही खरीदार आ जाते हैं और उन्होंने यह भी बताया कि जो अंडे दिए जाते हैं उनकी मांग बाहर बाजार में काफी ज्यादा है. तो वह आकर अंडों को भी ले जाते हैं हमें यहां-वहां भटकने की जरूरत नहीं पड़ती,

नहीं लेकर जाना पड़ता है टिफिन

वर्मी कंपोस्ट बनाने वाले स्व सहायता समूह की महिला हुलसी निषाद ने बताया कि पहले हम डब्बा लेकर टिफिन लेकर बाहर काम में जाते थे ठंडा खाना खाते थे लेकिन अब गांव में ही हमें रोजगार का अवसर मिला है तो हम इसका पूरा लाभ उठा रहे हैं, गोबर खरीदी करते हैं. उन्हें मेहनत करके वर्मी कंपोस्ट बनाते हैं और उसे बेचते भी हैं क्यों कह सकते हैं कि यहां की महिलाएं हम सब महिलाएं आत्मनिर्भर हो चले हैं. इसके लिए हम शासन प्रशासन का धन्यवाद देते हैं. जिन्होंने हमें इस योजना से जोड़ा है.

Kadaknath cock
कड़कनाथ मुर्गा

नाम एक काम अनेक

जैसे कि पहले से ही गौठान छत्तीसगढ़ की परंपरा में प्रचलित है. प्रत्येक घर के मवेशी गांव के एक जगह एकत्र होते हैं. फिर वहां से चारागाह की ओर प्रस्थान करते हैं लेकिन गौठान का यह नाम अब महज नाम ही नहीं एक आदर्श भी बन चुका है नाम केवल एक है लेकिन यहां काम अनेक हैं और इन अनेकों काम से जिले के हजारों लाखों लोग स्वरोजगार की ओर आगे बढ़ रहे हैं और शासन का धन्यवाद भी ज्ञापित कर रहे हैं विभिन्न मंच के माध्यम से विभिन्न कामों के माध्यम से महिला हो या पुरुष सभी ने अपने अपने आय का जरिया खोज लिया है.

बालोद: राज्य सरकार की नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना (Narva Garva Ghurva Bari Scheme) के तहत जिले के प्रत्येक पंचायतों में गौठान का निर्माण किया गया है. लेकिन यहां पर गोठान अब मल्टी एक्टिविटी के केंद्र बन गए हैं. शासन- प्रशासन ने मानों कि ग्रामीण जनता को एक मंच दे दिया है.

मल्टी एक्टिविटी का केंद्र बन रहे जिले के गौठान

बालोद के मुखिया जन्मेजय महोदय ने बताया कि शुरुआत में 5 -5 गौठानों के माध्यम से मल्टी एक्टिविटी केंद्र (Multi Activity Center) के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था और अब यह टारगेट भी बड़ा हो गया है. क्योंकि गौर थानों से सकारात्मक परिणाम निकलकर सामने आ रहे हैं कि गौठान अब आत्मनिर्भर भी हो चुके हैं. या यूं कह सकते हैं कि यह अपना इनकम खुद करने लगे हैं और व्यवस्था भी अब खुद करने लगे हैं. प्रशासन की ओर से शुरुआत में आर्थिक एवं प्रशिक्षण जैसे महत्वपूर्ण सहयोग किए गए थे.

multi activity after a normal start
मल्टी एक्टिविटी का केंद्र बन रहे जिले के गौठान

179 गौठान में वर्मी कम्पोस्ट

जिले के लगभग 179 गौठान ऐसे हैं, जहां पर वर्मी कंपोस्ट का निर्माण (Vermicompost manufacturing) किया जा रहा है. यहां से गोबर की खरीदी हो रही है और उससे समूहों के माध्यम से वर्मी कंपोस्ट का निर्माण (Vermicompost manufacturing) किया जा रहा है. गोबर बेचने वाले हितग्राहियों को भी समय पर भुगतान हो रहा है और इससे जो वर्मी कंपोस्ट निर्मित हो रहे हैं उससे किसान हाथों-हाथ खरीद रहे हैं. लगभग 80% वर्मी कंपोस्ट की बिक्री (Sale Of Vermi Compost) हो चुकी है.

आरंग विधानसभा के बैहार गौठान में बना डोम गिरा, सरपंच पर अनदेखी का आरोप

आज यहां के लोग जैविक खेती की ओर आगे बढ़ रहे हैं. ऐसे में वर्मी कंपोस्ट भी मील का पत्थर साबित हो रहे हैं. गुरुर जनपद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम चिटोद में टाइल्स का निर्माण महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से किया जा रहा है. मां गायत्री, स्व सहायता समूह (Self Help Group) के माध्यम से यहां पर पेवर ब्लॉक का निर्माण किया जा रहा है. इसके साथ ही अरमरीकला गौठान में सेनेटरी पैड का निर्माण किया जा रहा है. इसके साथ ही कई जगहों पर अलग-अलग नस्ल के पशु पालन किए जा रहे हैं तो कुछ जगह कड़कनाथ का भी पालन किया जा रहा है.

यहीं मिल जाता है बाजार

गौठान के माध्यम से कड़कनाथ (Kadaknath) पालन करने वाली महिलाओं ने बताया कि यहां पर छोटे-छोटे चूजे हमें दिए गए थे. प्रशिक्षण दिया गया था कि उनका पालन कैसे करना है और आर्थिक सहयोग भी किया गया था. फौरन हम आप सक्षम हो चुके हैं हमारे छोटे छोटे चूजे लगभग ढाई किलो के वयस्क कड़कनाथ बन चुके हैं और हमें इसे बेचने के लिए बाहर जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है, यही खरीदार आ जाते हैं और उन्होंने यह भी बताया कि जो अंडे दिए जाते हैं उनकी मांग बाहर बाजार में काफी ज्यादा है. तो वह आकर अंडों को भी ले जाते हैं हमें यहां-वहां भटकने की जरूरत नहीं पड़ती,

नहीं लेकर जाना पड़ता है टिफिन

वर्मी कंपोस्ट बनाने वाले स्व सहायता समूह की महिला हुलसी निषाद ने बताया कि पहले हम डब्बा लेकर टिफिन लेकर बाहर काम में जाते थे ठंडा खाना खाते थे लेकिन अब गांव में ही हमें रोजगार का अवसर मिला है तो हम इसका पूरा लाभ उठा रहे हैं, गोबर खरीदी करते हैं. उन्हें मेहनत करके वर्मी कंपोस्ट बनाते हैं और उसे बेचते भी हैं क्यों कह सकते हैं कि यहां की महिलाएं हम सब महिलाएं आत्मनिर्भर हो चले हैं. इसके लिए हम शासन प्रशासन का धन्यवाद देते हैं. जिन्होंने हमें इस योजना से जोड़ा है.

Kadaknath cock
कड़कनाथ मुर्गा

नाम एक काम अनेक

जैसे कि पहले से ही गौठान छत्तीसगढ़ की परंपरा में प्रचलित है. प्रत्येक घर के मवेशी गांव के एक जगह एकत्र होते हैं. फिर वहां से चारागाह की ओर प्रस्थान करते हैं लेकिन गौठान का यह नाम अब महज नाम ही नहीं एक आदर्श भी बन चुका है नाम केवल एक है लेकिन यहां काम अनेक हैं और इन अनेकों काम से जिले के हजारों लाखों लोग स्वरोजगार की ओर आगे बढ़ रहे हैं और शासन का धन्यवाद भी ज्ञापित कर रहे हैं विभिन्न मंच के माध्यम से विभिन्न कामों के माध्यम से महिला हो या पुरुष सभी ने अपने अपने आय का जरिया खोज लिया है.

Last Updated : Sep 27, 2021, 4:19 PM IST
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