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बालोद में मछुआरों ने सरकारी टेंडर का किया विरोध, जलाशयों में मांगा अधिकार

बालोद में सरकार की मछुआ नीति के खिलाफ स्थानीय मछुआरों ने आपत्ति जताई है. मछुआरों की माने तो सरकार टेंडर निकालकर जलाशयों में मछली मारने का अधिकार ठेकेदारों को दे देती है. जिससे जलाशयों के आसपास रहने वाले मछुआरों का जीवन यापन करना मुश्किल होता है. क्योंकि टेंडर के बाद मछुआरे जलाशयों से मछली नहीं पकड़ सकते.इसी के विरोध में मछुआ समितियों ने टेंडर प्रक्रिया का विरोध करके चक्काजाम की चेतावनी दी है.balod news

Fishermen protest against government tender in Balod
बालोद में मछुआरों ने सरकारी टेंडर का किया विरोध
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Published : Sep 12, 2022, 5:51 PM IST

बालोद : जिले के जलाशयों में स्थानीय मछुआरों का अधिकार की मांग और शासन की नई मछुआ नीति का पुरजोर विरोध किया है. स्थानीय मछुआरों ने प्रदेश सरकार को चक्का जाम सहित विशाल विरोध प्रदर्शन की चेतावनी देते हुए बालोद शहर के नए बस स्टैंड परिसर में धरना प्रदर्शन किया.उन्होंने कहा कि जलाशयों की डूबान क्षेत्र में हमारे पूर्वजों का अधिकार (protest against government tender in Balod ) है.

बालोद में मछुआरों ने सरकारी टेंडर का किया विरोध
हेक्टेयर के हिसाब से लीज की मांग : स्थानीय बस स्टैंड में धरना प्रदर्शन कर (Fishermen protest in Balod ) रहे संयुक्त मछुआ संघ ने कहा कि ''तांदुला जलाशय और गोंदली जलाशय के मछुआ समितियों को हेक्टेयर के हिसाब से जलाशय लीज में देने की मांग हुई है. लेकिन उनका कहना है कि स्थानीय मछुआरों को रोजगार मिलना चाहिए.'' संयुक्त मछुआ संघ का कहना है कि वर्ष 2002 की गरीबी रेखा के सर्वे सूची को निरस्त कर वर्तमान सर्वे सूची के अनुसार सभी मछुआ समिति के सदस्यों के सभी सेविंग फंड रिलीफ बेरोजगारी भत्ता का लाभ दिया जाए.''

स्थानीय मछुआरों ने उठाई मांग : मछुआरों का कहना है कि ''वे सभी तांदुला एवं गोंदली जलाशय डूबान क्षेत्र के प्रभावित मत्स्य किसान है.उनका लगानी एवं मकान जलाशय में डूब चुका है. इसलिए आसपास रहके मछली मारकर अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं. इसलिए मछुआ नीति के हिसाब से स्थानीय मछुआ समिति को ना मिलकर अन्य बाहर के ठेकेदार को मिल रहा है.''



कितने का होता है व्यापार : आपको बता दें कि बालोद जिले के जलाशयों के माध्यम से एक करोड़ों रुपए के मछली का व्यवसाय होता है. बाहर के ठेकेदारों को जलाशय को लीज पर दे दिया जाता है. लीज पर देने के बाद स्थानीय मछुआरों का अधिकार वहां से खत्म हो जाता है. स्थानीय मछुआरों और बाहर के ठेकेदारों के बीच आए दिन विवाद जैसी स्थिति निर्मित होती है.

लीज नहीं देने पर चक्काजाम की धमकी : सर्व मछुआ संघ का कहना है कि '' यदि प्रदेश सरकार द्वारा अपनी नई मछुआ नीति में परिवर्तन नहीं किया जाता है और स्थानीय मछुआरों को उपेक्षित करते हुए जलाशय जिनका टेंडर लगाया गया है उनका निविदा खोलकर जलाशयों को ठेकेदारों को हस्तांतरित किया जाता है. तो हम नेशनल हाईवे जाम करेंगे .साथ ही प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे.''balod news

बालोद : जिले के जलाशयों में स्थानीय मछुआरों का अधिकार की मांग और शासन की नई मछुआ नीति का पुरजोर विरोध किया है. स्थानीय मछुआरों ने प्रदेश सरकार को चक्का जाम सहित विशाल विरोध प्रदर्शन की चेतावनी देते हुए बालोद शहर के नए बस स्टैंड परिसर में धरना प्रदर्शन किया.उन्होंने कहा कि जलाशयों की डूबान क्षेत्र में हमारे पूर्वजों का अधिकार (protest against government tender in Balod ) है.

बालोद में मछुआरों ने सरकारी टेंडर का किया विरोध
हेक्टेयर के हिसाब से लीज की मांग : स्थानीय बस स्टैंड में धरना प्रदर्शन कर (Fishermen protest in Balod ) रहे संयुक्त मछुआ संघ ने कहा कि ''तांदुला जलाशय और गोंदली जलाशय के मछुआ समितियों को हेक्टेयर के हिसाब से जलाशय लीज में देने की मांग हुई है. लेकिन उनका कहना है कि स्थानीय मछुआरों को रोजगार मिलना चाहिए.'' संयुक्त मछुआ संघ का कहना है कि वर्ष 2002 की गरीबी रेखा के सर्वे सूची को निरस्त कर वर्तमान सर्वे सूची के अनुसार सभी मछुआ समिति के सदस्यों के सभी सेविंग फंड रिलीफ बेरोजगारी भत्ता का लाभ दिया जाए.''

स्थानीय मछुआरों ने उठाई मांग : मछुआरों का कहना है कि ''वे सभी तांदुला एवं गोंदली जलाशय डूबान क्षेत्र के प्रभावित मत्स्य किसान है.उनका लगानी एवं मकान जलाशय में डूब चुका है. इसलिए आसपास रहके मछली मारकर अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं. इसलिए मछुआ नीति के हिसाब से स्थानीय मछुआ समिति को ना मिलकर अन्य बाहर के ठेकेदार को मिल रहा है.''



कितने का होता है व्यापार : आपको बता दें कि बालोद जिले के जलाशयों के माध्यम से एक करोड़ों रुपए के मछली का व्यवसाय होता है. बाहर के ठेकेदारों को जलाशय को लीज पर दे दिया जाता है. लीज पर देने के बाद स्थानीय मछुआरों का अधिकार वहां से खत्म हो जाता है. स्थानीय मछुआरों और बाहर के ठेकेदारों के बीच आए दिन विवाद जैसी स्थिति निर्मित होती है.

लीज नहीं देने पर चक्काजाम की धमकी : सर्व मछुआ संघ का कहना है कि '' यदि प्रदेश सरकार द्वारा अपनी नई मछुआ नीति में परिवर्तन नहीं किया जाता है और स्थानीय मछुआरों को उपेक्षित करते हुए जलाशय जिनका टेंडर लगाया गया है उनका निविदा खोलकर जलाशयों को ठेकेदारों को हस्तांतरित किया जाता है. तो हम नेशनल हाईवे जाम करेंगे .साथ ही प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे.''balod news

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