बालोद : जिले के जलाशयों में स्थानीय मछुआरों का अधिकार की मांग और शासन की नई मछुआ नीति का पुरजोर विरोध किया है. स्थानीय मछुआरों ने प्रदेश सरकार को चक्का जाम सहित विशाल विरोध प्रदर्शन की चेतावनी देते हुए बालोद शहर के नए बस स्टैंड परिसर में धरना प्रदर्शन किया.उन्होंने कहा कि जलाशयों की डूबान क्षेत्र में हमारे पूर्वजों का अधिकार (protest against government tender in Balod ) है.
स्थानीय मछुआरों ने उठाई मांग : मछुआरों का कहना है कि ''वे सभी तांदुला एवं गोंदली जलाशय डूबान क्षेत्र के प्रभावित मत्स्य किसान है.उनका लगानी एवं मकान जलाशय में डूब चुका है. इसलिए आसपास रहके मछली मारकर अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं. इसलिए मछुआ नीति के हिसाब से स्थानीय मछुआ समिति को ना मिलकर अन्य बाहर के ठेकेदार को मिल रहा है.''
कितने का होता है व्यापार : आपको बता दें कि बालोद जिले के जलाशयों के माध्यम से एक करोड़ों रुपए के मछली का व्यवसाय होता है. बाहर के ठेकेदारों को जलाशय को लीज पर दे दिया जाता है. लीज पर देने के बाद स्थानीय मछुआरों का अधिकार वहां से खत्म हो जाता है. स्थानीय मछुआरों और बाहर के ठेकेदारों के बीच आए दिन विवाद जैसी स्थिति निर्मित होती है.
लीज नहीं देने पर चक्काजाम की धमकी : सर्व मछुआ संघ का कहना है कि '' यदि प्रदेश सरकार द्वारा अपनी नई मछुआ नीति में परिवर्तन नहीं किया जाता है और स्थानीय मछुआरों को उपेक्षित करते हुए जलाशय जिनका टेंडर लगाया गया है उनका निविदा खोलकर जलाशयों को ठेकेदारों को हस्तांतरित किया जाता है. तो हम नेशनल हाईवे जाम करेंगे .साथ ही प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे.''balod news