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बालोद: गुरुर ब्लॉक में डायरिया की चपेट में 40 से अधिक लोग - Gurur News

बालोद के दो गांव में डायरिया फैल गया है. ग्राम सांगली और ग्राम चंदन बिरही में डायरिया के मरीज मिले हैं. स्थिति को देखते हुए कलेक्टर के साथ स्वास्थ्य विभाग की टीम दोनों गांव में पहुंच चुकी है.

Diarrhea spread in Gurur block
स्वास्थ्य अमला पहुंची गांव
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Published : Aug 31, 2020, 8:17 PM IST

बालोद: गुरुर ब्लॉक के दो गांव बुरी तरह से मलेरिया की चपेट में हैं. ग्राम सांगली में 31 डायरिया के मरीज मिले हैं. इसके बाद सोमवार को एक बार फिर इसी गांव में 10 और मरीज मिले हैं. इसके अलावा चंदनबिरही गांव में भी सोमवार को ही 8 डायरिया के मरीज मिले हैं. मरीजों की बढ़ती संख्या से प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. बिगड़ते हालात को देखते हुए कलेक्टर जनमजेय महोबे और स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंच चुकी है.

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम चंदन बिरही में 13 मरीज मिले थे, जिनमें से 7 मरीजों को लगातार दस्त होने के कारण काफी कमजोरी आ गई थी. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर करने से पहले गांव में स्थापित शिविर में जांच किया गया.

7 मरीजों को चढ़ा बोतल

मौजूदा स्थिति को देखते हुए गांव में इलाज के लिए शिविर की स्थापना भी की गई है. सामान्य मरीजों का इलाज शिविर में ही किया जा रहा है. इसके अलावा 7 मरीजों को बोतल चढ़ाया गया है.

समस्या खत्म होने तक शिविर का संचालन

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 26 अगस्त से इस तरह की शिकायत है और आगामी जबतक इसका निराकरण नहीं हो जाता तबतक गांव में अस्थाई शिविर का संचालन किया जाएगा. टीम का कहना है कि संक्रमितों का परीक्षण किया जा रहा है.

मौसम में बदलाव से बढ़ा खतरा

बता दें, मानसून में कई तरह के वायरस सक्रिय रहते हैं. उनमें से एक डायरिया भी है. मौसम में बदलाव के कारण डायरिया संक्रमण में वृद्धि होती है और लोग इसकी चपेट में आते हैं.

क्या होता है डायरिया और कैसें इससे बचें

डायरिया को दस्त के नाम से भी जाना जाता है. ये माइक्रोबैकटेरियल इंफेक्शन के कारण होता है, जो 2-4 दिनों तक ही रहता है. दस्त होने से शरीर में मौजूद पानी का स्तर गिर जाता है.

  • प्रभाव- दस्त छोटे बच्चों, शिशुओं, कुपोषित लोगों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. विशेष आयु वर्ग के लोगों की मौत का कारण भी बन सकता है.
  • लक्षण- पेट में दर्द या ऐंठन, बुखार जिसके बाद पानी जैसा मल और मतली के साथ उल्टी होना.
  • कारण- अस्वस्थ खान-पान और दूषित पानी के कारण डायरिया होता है.
  • उपाय- आसपास की जगह को साफ-सुथरा रखें. भोजन में स्वस्थ खान-पान को शामिल करें. बासी खाना न खाएं.

बालोद: गुरुर ब्लॉक के दो गांव बुरी तरह से मलेरिया की चपेट में हैं. ग्राम सांगली में 31 डायरिया के मरीज मिले हैं. इसके बाद सोमवार को एक बार फिर इसी गांव में 10 और मरीज मिले हैं. इसके अलावा चंदनबिरही गांव में भी सोमवार को ही 8 डायरिया के मरीज मिले हैं. मरीजों की बढ़ती संख्या से प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. बिगड़ते हालात को देखते हुए कलेक्टर जनमजेय महोबे और स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंच चुकी है.

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम चंदन बिरही में 13 मरीज मिले थे, जिनमें से 7 मरीजों को लगातार दस्त होने के कारण काफी कमजोरी आ गई थी. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर करने से पहले गांव में स्थापित शिविर में जांच किया गया.

7 मरीजों को चढ़ा बोतल

मौजूदा स्थिति को देखते हुए गांव में इलाज के लिए शिविर की स्थापना भी की गई है. सामान्य मरीजों का इलाज शिविर में ही किया जा रहा है. इसके अलावा 7 मरीजों को बोतल चढ़ाया गया है.

समस्या खत्म होने तक शिविर का संचालन

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 26 अगस्त से इस तरह की शिकायत है और आगामी जबतक इसका निराकरण नहीं हो जाता तबतक गांव में अस्थाई शिविर का संचालन किया जाएगा. टीम का कहना है कि संक्रमितों का परीक्षण किया जा रहा है.

मौसम में बदलाव से बढ़ा खतरा

बता दें, मानसून में कई तरह के वायरस सक्रिय रहते हैं. उनमें से एक डायरिया भी है. मौसम में बदलाव के कारण डायरिया संक्रमण में वृद्धि होती है और लोग इसकी चपेट में आते हैं.

क्या होता है डायरिया और कैसें इससे बचें

डायरिया को दस्त के नाम से भी जाना जाता है. ये माइक्रोबैकटेरियल इंफेक्शन के कारण होता है, जो 2-4 दिनों तक ही रहता है. दस्त होने से शरीर में मौजूद पानी का स्तर गिर जाता है.

  • प्रभाव- दस्त छोटे बच्चों, शिशुओं, कुपोषित लोगों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. विशेष आयु वर्ग के लोगों की मौत का कारण भी बन सकता है.
  • लक्षण- पेट में दर्द या ऐंठन, बुखार जिसके बाद पानी जैसा मल और मतली के साथ उल्टी होना.
  • कारण- अस्वस्थ खान-पान और दूषित पानी के कारण डायरिया होता है.
  • उपाय- आसपास की जगह को साफ-सुथरा रखें. भोजन में स्वस्थ खान-पान को शामिल करें. बासी खाना न खाएं.
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