बालोद : एक बार फिर बालोद विधानसभा में इतिहास दोहराया गया है. कांग्रेस नेता मीना साहू ने इतिहास को दोहराते हुए निर्दलीय चुनाव में उतरने का फैसला कर लिया है. मीना साहू ने नामांकन के आखिरी दिन अपना नामांकन दाखिल किया.इस दौरान मीना साहू ने कहा कि पार्टी ने मान मनौव्वल के लिए कोई संपर्क नहीं किया. आपको बता दें कि मीना साहू के बागी होने के बाद उनके सर्व समाज के प्रत्याशी बनने पर जोर दिया जा रहा था.लेकिन आखिरी दिन मीना ने निर्दलीय नामांकन भर दिया.निर्दलीय नामांकन भरने के दौरान मीना साहू ने कहा कि कांग्रेस से अभी तक किसी तरह का संपर्क मुझे नहीं किया गया है.
साहू समाज किसके साथ ? जिस तरह के बैनर पोस्टर सोशल मीडिया में देखे जा रहे हैं उसमें मीना साहू निर्दलीय प्रत्याशी है या फिर साहू समाज की अधिकृत प्रत्याशी है या फिर सर्व समाज ने उन्हें अपना समर्थन दिया है या कुछ भी समझ नहीं आ रहा है. लेकिन जरुर है कि बालोद विधानसभा के साहू समाज के दोनों तहसील अध्यक्षों ने उनके समर्थन को लेकर लेटर जारी किया गया है.जिसमें मीना साहू को ही वोट डालने की बात लिखी गई है.
साहू समाज के वोटों पर प्रश्न चिन्ह ? : विधानसभा में साहू समाज के 90000 से अधिक मत हैं.लेकिन साहू समाज में एकता को लेकर हमेशा से ही प्रश्नवाचक चिन्ह लगता आया है.इससे पहले साहू समाज के प्रत्याशी पवन साहू और प्रीतम साहू को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. जब राष्ट्रीय पार्टियों ने साहू समाज को टिकट नहीं दिया तो साहू समाज अपनी एकजुटता साबित नहीं कर पाई थी. इस बार फिर जब दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने गैर साहू प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं तो साहू समाज एकजुटता का दंभ भर रहा है.लेकिन समाज के वोट किस ओर जाएंगे.ये आने वाला समय बताएगा.
क्यों मीना साहू ने भरा नामांकन ? : मीना साहू के मैदान में उतरने के पीछे कई तरह के कारण बताया जा रहे हैं.मीना साहू के वर्तमान विधायक संगीता सिन्हा और भैया राम सिंह से राजनीतिक लड़ाई है. मीना साहू भी कांग्रेस से लगातार टिकट मांग रही थी इस बार भी टिकट के लिए उन्होंने दिल्ली तक दौड़ लगाई. लेकिन कांग्रेस ने इस बार भी संगीता सिन्हा पर विश्वास जताया. यही वजह रही की मीना के साथ कई नाराज नेता संगीता सिन्हा के खिलाफ खड़े हो गए हैं.अब बड़ा सवाल ये है कि पार्टी छोड़कर समाज का झंडा उठाकर चुनाव लड़ना कहां तक सही है.