बालोद :जिले में इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के लेटर पैड का एक लेटर तेजी से वायरल हो रहा है. जब इस वायरल पत्र की तथ्यात्मक जांच की गई तो पता चला कि इसमें लिखे हुए शब्द तो असली है. लेकिन लेटर पैड फर्जी है. फर्जीवाड़ा करने का आरोप सांसद के कथित प्रतिनिधि और जनपद सदस्य के पति अजेंद्र साहू पर लगाया जा रहा है.जिसमें स्वेच्छानुदान की राशि में कमीशन लेने का खंडन किया गया है. जिले के गुरूर मंडल के अध्यक्ष कौशल साहू ने बताया कि '' सांसद स्वेच्छानुदान में लेनदेन के विषय के खंडन को लेकर कोरे कागज में सांसद प्रतिनिधि पर लगे लेनदेन के आरोप को निराधार बताया गया है. इस कोरे कागज में भारतीय जनता पार्टी का लेटर हेड लगाकर इसे सोशल मीडिया में वायरल कर दिया गया. जबकि मंडल ने ऐसा कोई लेटर नहीं जारी किया है.''
कोरे कागज के खत में हुई टेंपरिंग : सांसद प्रतिनिधि पर लगे आरोपों को खंडन करने के लिए कुछ नेताओं के साथ कार्यालय में बैठक की गई. इन नेताओं ने सांसद प्रतिनिधि को क्लीन चिट दे दिया .उसके बाद सांसद प्रतिनिधि ने उस पत्र को लेटर हेड के साथ सोशल मीडिया में वायरल कर दिया. सांसद प्रतिनिधि ने बीते गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी मंडल गुरुर के अधिकृत व्हाट्सएप ग्रुप से इसे वायरल किया था. इस मामले के उजागर होने और आरोपों के बीच बीजेपी मण्डल अध्यक्ष कौशल साहू, ईशाप्रकाश साहू, मेहतर नेताम और नंदकिशोर शर्मा के हस्ताक्षर वाली एक कॉपी भी वायरल हुई है. जिसमें इस घटना को षड़यंत्र बताकर अजेंद्र साहू को क्लीन चिट दे दी गई है.
बीजेपी के लेटर पैड पर लिखा प्रस्ताव वायरल : लेकिन इस मामले में नया मोड़ आ गया है. मंडल कार्यालय में जो निंदा प्रस्ताव जारी किया था, वह एक कोरे कागज में हुआ था. इसके बाद इसमें किसी ने भाजपा मंडल का लेटर पैड लगाकर इसे वायरल कर दिया. अब मंडल अध्यक्ष कह रहे हैं कि लेटर पैड किसने लगाया हम नहीं जानते. वहीं सरपंच मोतीराम देवांगन के मुताबिक महिला ने 1000 रुपए दिए तो हैं,लेकिन क्यों दिए ये मैं नहीं कह सकता.
सरपंच का कहना पैसा लेना गलत : पूरे मामले में सरपंच मोती राम देवांगन ने कहा कि ''अजेंद्र साहू मुझसे पैसे उधार लेते रहता है.गरीब महिला जिसकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है वो मेरे यहां काम करती है. उसका नाम पुष्पा नागवंशी है. वह महिला मेरे घर काम करने आती है तो एक दिन उसने मुझे एक हजार रुपए दिए और कहा कि इस अजेंद्र साहू को दे देना. मुझे नहीं पता कि उसने उसे पैसे क्यों दिए. वह गरीब महिला है उसका जीवन यापन बड़ी मुश्किल से होता है. अगर उसने स्वेच्छा से भी अजेंद्र साहू को पैसे दिए हैं तो ये गलत है क्योंकि हम उसकी वास्तविक स्थिति को जानते हैं.''
कौन करता है राशि जारी : पूरे मामले में सांसद मोहन मांडवी से जब जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि '' स्वेच्छानुदान की राशि तहसीलदार और सीईओ के माध्यम से जारी होती है.उन्हीं के माध्यम से हस्तांतरित भी होता है.'' सांसद की बातों से स्पष्ट है कि पैसों को बांटने की जिम्मेदारी प्रशासनिक अफसर की होती है. लेकिन सवाल ये उठता है कि अफसरों के पास से ये राशि निचले स्तर के नेताओं तक कैसे पहुंचती हैं.क्योंकि इसी वजह से गरीबों को अपने हक का पैसा लेने के लिए कमीशन देना पड़ता है.