बालोद: आदिवासी समाज ने राजा राव पठार में तीन दिवसीय वीर मेले का वार्षिक आयोजन किया है. जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सारकेगुड़ा एंकाउंटर मामले में न्याय होने की बात कही.
मुख्यमंत्री का कहना है कि, 'सारकेगुड़ा में जरूर न्याय होगा. इस बात को मैं डंके की चोट पर कहता हूं, जिनकी शासनकाल में यह घटना हुई उनके शासन में यह रिपोर्ट नहीं आयी, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि इस पर न्याय हो. हमारी सरकार बनते ही एक साल हुआ है और यह रिपोर्ट आ गई क्योंकि हम न्याय चाहते हैं. आगे उन्होंने कहा यह मामला अभी विधि विभाग के पास गया हुआ है जैसे ही वहां से आएगा इसे हम कैबिनेट में रखकर उचित न्याय करेंगे'.
राज्यपाल से नहीं मिला है पत्र
सोमवार को प्रदेश के राज्यपाल अनुसूईया उइके ने इसी मेले के मंच से कहा था कि सारकेगुड़ा मामला बेहद जघन्य है. इस पर कार्रवाई और 50 - 50 लाख रुपए मुआवजे की मांग उठ रही है, उसके लिए मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है आज जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल मुझे इस तरह का कोई पत्र नहीं मिला है.
वीर मेला आदिवासियों के विषयों को प्रमुख रूप से रखने का एक सशक्त माध्यम है. वीर मेले के आयोजन में आदिवासी समाज से कई सारे विषय उभर कर सामने आए. जिसमें से एक विषय प्रदेश के बीजापुर जिले में हुए सारकेगुड़ा एनकाउंटर का था. कुछ ही दिनों पहले इस एनकाउंटर की रिपोर्ट आई थी, जिसमें यह बात सामने आई कि यह मुठभेड़ फर्जी है और इसमें 7 नाबालिग सहित कुल 17 लोगों की जघन्य हत्या हुई है. इसके बाद से पुलिस विभाग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं.
बीते 2 दिनों से यह विषय इस वीर मेले का केंद्र बिंदू बना हुआ है. आयोजन के दूसरे दिन प्रदेश की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने इस विषय पर मुख्यमंत्री को न्याय के लिए पत्र लिखने की बात कही थी. वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम, अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदकुमार साहू पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने सरकारों पर हल्ला बोला था.
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सारकेगुड़ा मामले को लेकर आदिवासी समाज के नेताओं ने शासन-प्रशासन और पुलिस विभाग को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया. तीन दिवसीय आयोजन में इसके साथ ही भीमा मंडावी हत्याकांड, ताड़मेटला कांड सहित अन्य कांड की चर्चा भी जोरों पर रही कहा कि प्रशासन हम सबको बेवकूफ समझती हैं.