बालोद : जिले के गंगा मैया दुग्ध उत्पादक एवं प्रशितलीकरण केंद्र से दुग्ध उत्पादक किसानों ने दूध की कीमत बढ़ाने की मांग है. दुग्ध उत्पादक संघ में पहले पशुपालक अपने मवेशियों का दूध 40 रुपए प्रति लीटर की दर से बेचते थे. लेकिन अब दूधगंगा सहकारी समिति ने किसानों से 40 के बजाए 35 रुपए प्रति लीटर दूध लेना शुरू कर दिया. इससे किसानों को नुकसान होने लगा. वहीं समिति का कहना था कि जितना दूध वो किसानों से लेते हैं उतनी खपत नहीं है. इसलिए दूध लेने का दर घटाया गया है.
5 रुपए कम होने से किसान चिंतित : दूध उत्पादक किसानों की माने तो पहले समिति 40 रुपए में उनसे दूध खरीदती थी. लेकिन अचानक से पैसा कम कर दिया गया, जिससे अब वो अपने जानवरों का दाना पानी भी मुश्किल से जुटा रहे हैं. यदि इसी तरह से चलता रहा तो उन्हें गाय और भैसों को बेचना पड़ेगा.
अब दाना पानी का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है. ऐसे में हम गाय भैंस बेचने को मजबूर हो जाएंगे. आज भुगतान का दिन है और आज हम अपनी मांगों को लेकर चर्चा करने के लिए पहुंचे हुए हैं. -कमलेश गौतम, दूध उत्पादक
डेढ़ सौ कृषक ऐसे हैं जो दूधगंगा सहकारी समिति में दूध देते हैं. वर्तमान में मौसम के हिसाब से दूध के उत्पादन में कमी आ गई है, जिससे हमें बिल्कुल भी फायदा नहीं हो रहा है. ऐसा लग रहा है जैसे हम कर्ज लेकर यहां पर दूध की सप्लाई कर रहे हैं. यदि प्रबंधन ने दूध की दरों में वृद्धि नहीं की तो वह दूध देने में असमर्थ हैं. -संचित यादव, दूध उत्पादक
समिति ने दिया अपना तर्क: दूधगंगा सहकारी समिति के मुताबिक 40 रुपए प्रति लीटर दूध लेने पर समिति को 5 रुपए का नुकसान होता था. 40 रुपए लीटर जब दूध था तब दूध की मात्रा भी ज्यादा थी, जिसकी खपत नहीं हो पाती थी. दूसरी जगहों पर दूध 35 रुपए लीटर ही बेचना पड़ता था.
हमने समिति को घाटे से उबारने के लिए दूध के दाम 40 रुपए से कम करके 35 रुपए प्रति लीटर किया है. अभी इसी दर पर दूध खरीदी कर रहे हैं. किसान दूध की कीमतें बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन हम ये कर पाने में सक्षम नहीं है. उच्च अधिकारियों से चर्चा के बाद ही कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है. -गणेश जोशी, अधिकारी, दूधगंगा सहकारी समिति
आपको बता दें कि बालोद जिले में दूधगंगा के नाम से सहकारी संस्था खोली गई है. इस संस्था में मिल्क प्रोसेसिंग कर मिठाई और दूध से बने हुए उत्पादों की पैकेजिंग करके मार्केट में उतारा जाता है. लेकिन अब दूध उत्पादक किसानों के सामने दोहरी समस्या आन पड़ी है. क्योंकि जो पशु दूध दे रहे हैं, उन्हे उनसे दूध निकालना ही होगा. साथ ही साथ पशुओं के खाने पीने की व्यवस्था भी करनी होगी. अब जब किसानों को प्रति लीटर पांच रुपए कम मिल रहे हैं तो उन्हें भी खर्चा निकालने में परेशानी हो रही है.