बालोद: हौसला बुलंद हो तो कोई भी समस्या आपको आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती...बस आपको अपने मंजिल पर नजर बनाए रखनी है और चलते जाना है. यह बात बिल्कुल सटीक बैठती है बालोद की दो बेटियों पर. इन दोनों ने कड़ी मेहनत और लगन की मिसाल पेश की है. दोनों में जुनून ऐसा था कि चंदा इकट्ठा कर और कर्ज लेकर इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप में भाग लेने पहुंच गईं (Balod daughters in Visakhapatnam International Karate Championship). उन्होंने न सिर्फ चैंपियनशिप में हिस्सा लिया बल्कि देश के लिए दो सिल्वर मेडल भी जीत (Balod daughters won silver medals ) लाईं. देश के लिए सिल्वर मेडल जीतने वाली इन दोनों बेटियों को कलेक्टर ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है. साथ ही खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए हरसंभव मदद का आश्वासन भी उन्हें दिया गया है. इसके अलावा मंत्री के प्रतिनिधि ने भी स्वेच्छा अनुदान से बेटियों को 15-15 हजार की आर्थिक मदद देने की बात कही है.
विशाखापट्टनम में इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप में हुईं शामिल
बीते दिनों विशाखापट्टनम में आयोजित इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल प्राप्त करने वाली बालोद की दो बेटियां राधिका हिड़को और ज्योति चक्रधारी को कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. कलेक्टर ने कहा कि ये हमारे जिले के लिए गौरव की बात है कि डौंडी ब्लॉक ग्राम पुसावाड़ की दो बेटियों ने इंटरनेशनल लेवल पर अपनी पहचान बनाई है और सिल्वर मेडल हासिल किया है. आज हमने उनको सम्मानित किया है.
यह भी पढ़ेंः Paddy procurement extended in Chhattisgarh: एक सप्ताह बढ़ाई गयी धान खरीदी
हर संभव मदद का मिला आश्वासन
कलेक्टर ने उन्हें आश्वस्त किया कि खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए किसी भी चीज की जरूरत पड़ने पर हम उनकी हरसंभव मदद करेंगे. बेटियों की उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री अनिला भेड़िया के प्रतिनिधि पियूष सोनी ने मंत्री स्वेच्छा अनुदान से बेटियों को 15-15 हजार रुपये की आर्थिक मदद देने की बात की. सम्मानित होने के बाद गरीबी की विषम परिस्थितियों से सिल्वर मेडल प्राप्त करने वाली दोनों बेटियों ने जिला कलेक्टर के हरसंभव मदद के आश्वासन पर काफी खुशी जाहिर की.
कई प्रतिभाएं गुमनामी में गुम...
जिले में कई ऐसी प्रतिभा हैं, जो आज गुमनामी की जिन्दगी जी रही हैं. दोनों बेटियों का सम्मान कर आज आर्थिक मदद भले ही दी जा रही हो, लेकिन ऐसे कई लोग हैं जो प्रतिभा के धनी तो हैं लेकिन आर्थिक तौर पर कमजोर हैं. इन लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. हारकर उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर होने पर चंदे का सहारा लेना पड़ता है.