बालोद: जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय बालोद में मंगलवार को दिव्यांग अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे हुए थे. कलेक्टर कुलदीप शर्मा अधिकारियों की बैठक कर आम जनता की समस्याओं को भी सुन रहे थे. इसी दौरान कुछ दिव्यांग युवतियां कलेक्टर के पास अपनी शिकायत लेकर पहुंची. तो कलेक्टर अपनी कुर्सी से उतर कर दिव्यांगों के साथ जमीन पर बैठ गए और उनकी समस्याओं को सुना.
जानिए क्या है मामला: दिव्यांग ने बताया कि, "उन्होंने समाज कल्याण विभाग बालोद के माध्यम से 3 महीने तक सिलाई कार्य का प्रशिक्षण लिया. जिसमें उन्हें कहा गया था कि 3 महीने के बाद उन्हें प्रमाण पत्र, स्कॉलरशिप और सिलाई मशीन भी दिया जाएगा. लेकिन 3 से 4 महीने बीत जाने के बाद भी दिव्यांगों को किसी तरह का कोई भी लाभ नहीं मिल पाया है." जिसके कारण दिव्यांग अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे हुए थे. दिव्यांगों ने बताया कि "उन्हें यहां तक पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा."
दिल्ली की है प्रशिक्षण देने वाली संस्था: जिस संस्था में इन दिव्यांगों को प्रशिक्षण दिया गया था. वह दिल्ली की एक संस्था है और समाज कल्याण विभाग बालोद को इसका नोडल मनाया गया था. परंतु यहां पर दिव्यांगों ने बताया कि "जब हम समाज कल्याण विभाग बालोद को पूछते हैं, तो वे दिल्ली वालों का नाम लेते हैं, पर दिल्ली वालों से जब बात करते हैं, तो वे समाज कल्याण विभाग बालोद का नाम लेते हैं. इस तरह हमें लगातार घुमाया जा रहा है. जिससे परेशान होकर आज हम कलेक्टर से अपनी समस्याओं को लेकर मिलने आए थे."
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कलेक्टर ने उपसंचालक को लगाई फटकार: कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने दिव्यांगों की समस्याओं को सुनकर तुरंत संज्ञान में लिया. उन्होंने समाज कल्याण विभाग बालोद के जिला अधिकारी को कक्ष में सबके सामने ही फटकार लगाई. कलेक्टर ने जल्द से जल्द दिव्यांगों के काम पूरा करने का निर्देष दिया है.
कलेक्टर ने की रोजगार की व्यवस्था: दिव्यांगों के लिए कलेक्टर ने तुरंत मशीन उपलब्ध कराने की बात कही. साथ ही एक विशेष जगह पर सभी दिव्यांगों को रोजगार देने की भी बात कही है. जिसको लेकर तत्काल कार्य शुरू कर दिया गया. उपसंचालक समाज कल्याण विभाग बालोद के अधिकारी भी आदेश के बाद दिव्यांगों से चर्चा करने आए.
"कलेक्टर हमारे साथ जमीन पर बैठ गए": दिव्यांगों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि "हम तो अपनी समस्या लेकर आए थे, परंतु कलेक्टर साहब हमारे साथ जमीन पर ही बैठ गए. हमारी समस्याओं को बेहद गंभीरता से सुना और तुरंत निराकरण करने की बात कही. हमारे लिए यह अनुभव बहुत ही अच्छा था."