बालोद: लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण ने मजदूरों को काफी परेशानियों में डाल दिया है. मध्यप्रदेश के सतना और जबलपुर से भी कई मजदूर छत्तीसगढ़ रेलवे में मजदूरी करने के लिए बालोद आए थे.
लॉकडाउन की मजबूरी ने मजदूरों के कंधों को पूरी तरह से कमजोर बना दिया है. ये मजदूर एक राज्य से दूसरे राज्य जाकर अपना जीवन यापन करते हैं. साथ ही देश को सुदृढ़ बनाने के लिए निरंतर मेहनत करते हैं, लेकिन इस लॉकडाउन में इनकी दशा सबसे ज्यादा खराब है.
कई ऐसे मजदूर हैं, जो मध्यप्रदेश के सतना और जबलपुर जिले से रेलवे में काम करने छत्तीसगढ़ आए हुए हैं. इनके बीच सतना का रहने वाला एक ऐसा भी मजदूर है, जिसकी मां इस दौरान गुजर गई, लेकिन वह अपने मां की अंत्येष्टि में भी न जा सका. मजदूर ने बताया कि उसे सरकार की तरफ से घर जाने की अनुमति मिल गई थी, लेकिन ठेकेदार की अनदेखी और समय पर वेतन न मिलने की वजह से वो आखिरी बार अपनी मां से नहीं मिल सका.
मिली जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश के 19 मजदूर रेलवे ठेकेदार के कहने पर 12 मार्च को छत्तीसगढ़ आए थे. मजदूरों ने बताया कि लॉकडाउन के पहले वह घर जाना चाहते थे, लेकिन ठेकेदार ने आश्वस्त किया कि उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. इसके बाद भी इस विषम परिस्थिति में कोई इन मजदूरों की सुध नहीं ले रहा है. वहीं नगर पालिका ने भी इन्हें राशन देना बंद कर दिया है.
इन्हीं कारणों की वजह से सभी मजदूर तहसील कार्यालय पहुंचकर वापस घर जाने की गुहार कर रहे हैं. वहीं एसडीएम सिल्ली थॉमस ने इन मजदूरों को बुलाकर इनकी सूची मंगाई है, ताकि इन्हें घर वापस भेजा जाए.