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आपातकालीन सेवाओं का बुरा हाल, खराब पड़ी है 102 महतारी एक्सप्रेस

बालोद में 102 महतारी एक्सप्रेस की सेवा बदहाल है. हालात ये हो गए हैं कि, गर्भवती महिलाओं को महतारी एक्सप्रेस के इंतजार में घंटों तड़पना पड़ रहा है. कई बार सूचना के बाद भी घंटों एंबुलेंस नहीं पहुंच रही है. जिसके कारण महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

102 are not able to provide their service
खऱाब पड़ी है 102 महतारी एक्सप्रेस
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Published : Dec 30, 2019, 12:15 PM IST

Updated : Dec 30, 2019, 12:28 PM IST

बालोद: 102 महतारी एक्सप्रेस जिसपर छत्तीसगढ़ सरकार कभी दंभ भरा करती थी, आज इस योजना का दम निकल गया है. खराब वाहनों के कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन दिनों आपातकालीन सेवाओं का हाल बेहाल है. जिले में ज्यादातर महतारी एक्सप्रेस गराज में खड़ी दिख रही है.

खऱाब पड़ी है महतारी एक्सप्रेस

घटों इंतजार कर रही महिलाएं
बालोद जिले में आपातकालीन सेवाओं के लिए संचालित 102 और 108 का हाल बेहाल है. गर्भवती महिलाओं ने बताया कि, आये दिन उन्हें अस्पताल आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं ऑपरेशन के बाद अस्पताल में बैठी एक महिला ने बताया कि वो वे सुबह से एंबुलेंस की इंतजार में अस्पताल में बैठी है, लेकिन शाम तक गाड़ियां नहीं पहुंची है.

रायपुर से मिलेगी जानकारी
आपातकालीन सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों से जब इस संबंध में बात की गई तो, उन्होंने नौकरी चले जाने के डर से कैमरे के सामने आने से मना कर दिया. उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन इस संबंध में किसी तरह का ध्यान नहीं देती. यहां का स्वास्थ्य विभाग केवल उन्हें त्वरित निराकरण करने की बात कहती है, लेकिन मेंटेनेंस के संदर्भ में वह भी किसी तरह का कोई ध्यान नहीं देते. उन्होंने बताया कि वाहन के संदर्भ में जिले में कोई भी आधिकारिक व्यक्ति नहीं है. इसके लिए सीधे रायपुर को जानकरी देनी पड़ती है.

बालोद: 102 महतारी एक्सप्रेस जिसपर छत्तीसगढ़ सरकार कभी दंभ भरा करती थी, आज इस योजना का दम निकल गया है. खराब वाहनों के कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन दिनों आपातकालीन सेवाओं का हाल बेहाल है. जिले में ज्यादातर महतारी एक्सप्रेस गराज में खड़ी दिख रही है.

खऱाब पड़ी है महतारी एक्सप्रेस

घटों इंतजार कर रही महिलाएं
बालोद जिले में आपातकालीन सेवाओं के लिए संचालित 102 और 108 का हाल बेहाल है. गर्भवती महिलाओं ने बताया कि, आये दिन उन्हें अस्पताल आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं ऑपरेशन के बाद अस्पताल में बैठी एक महिला ने बताया कि वो वे सुबह से एंबुलेंस की इंतजार में अस्पताल में बैठी है, लेकिन शाम तक गाड़ियां नहीं पहुंची है.

रायपुर से मिलेगी जानकारी
आपातकालीन सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों से जब इस संबंध में बात की गई तो, उन्होंने नौकरी चले जाने के डर से कैमरे के सामने आने से मना कर दिया. उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन इस संबंध में किसी तरह का ध्यान नहीं देती. यहां का स्वास्थ्य विभाग केवल उन्हें त्वरित निराकरण करने की बात कहती है, लेकिन मेंटेनेंस के संदर्भ में वह भी किसी तरह का कोई ध्यान नहीं देते. उन्होंने बताया कि वाहन के संदर्भ में जिले में कोई भी आधिकारिक व्यक्ति नहीं है. इसके लिए सीधे रायपुर को जानकरी देनी पड़ती है.

Intro:बालोद

प्रदेश की 102 महतारी एक्सप्रेस जिसको लेकर कभी सरकारें दम भरा करती थी आज मिशन योजना का बालोद जिले में दम निकल रहा है खराब वाहनों के कारण इसके मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है इन दिनों इन आपातकालीन सेवाओं का बीच में धोखा देना आम बात हो गया है सभी गाड़ियां पंचर रहती है तो कभी सेवाएं देने से ज्यादा यह गैराज में खड़ी हुई नजर आती है लगातार इससे जुड़े कर्मचारी इसकी शिकायत कर रहे हैं परंतु वह भी नौकरी अपनी नौकरी बचाने के डर से कैमरे के सामने आने से कतराने लगे हैं वहीं वाहनों के इंतजार में बालू जिला अस्पताल के बाहर तड़पती महिलाओं को देखा जाना इन दिनों आम बात हो गई है।


Body:वीओ - बालोद जिले में आपातकालीन सेवाओं के तहत संचालित 102 और 108 दोनों सेवाओं का बुरा हाल है गर्भवती महिलाओं ने बताया कि कभी हमें आने जाने में दिक्कत होती है तो कभी गाड़ियां खराब होने की बातें सामने आती है वही ऑपरेशन करा कर बैठी एक महिला ने बताया कि हम सुबह से ही यहां गाड़ियों के इंतजार में बैठे हुए हैं निजी गाड़ियों नहीं मिल रही है और उसका भुगतान करने के लिए भी हम अक्षम है सरकारी 102 वाहन का इंतजार है परंतु कभी खराब होने की बातें कह रही है तो कभी व्यस्त होने की बात कही जा रही है ऐसे में दर्द से परेशान हम यहां पर अस्पताल के बाहर बैठे हुए हैं।

वीओ - इसे क्रूरता ही कहा जाएगा क्योंकि ऑपरेशन करा कर बैठी हूं मासूम महिलाओं को घर जाने के लिए सरकारी गाड़ियां उपलब्ध नहीं हो पा रही है ना ही उनका देखरेख करने वाला कोई है ऐसे में महिलाएं दर्द से तड़पती हुई नजर आई उनका कहना था कि सुबह 10:00 बजे से वह गाड़ियों के इंतजार में हम बैठे हुए हैं।


Conclusion:वही आपातकालीन सेवाओं से जुड़े वाहनों के कर्मचारियों से जब इस संबंध में चर्चा की गई तो उन्होंने नौकरी चले जाने के डर से कैमरे के सामने आने से मना कर दिया उनका कहना है कि सरकार व प्रशासन इस संबंध में किसी तरह का ध्यान नहीं देती यहां का स्वास्थ्य विभाग केवल हमें त्वरित निराकरण करने की बात कहती है परंतु मेंटेनेंस के संदर्भ में वह भी किसी तरह का कोई ध्यान नहीं देते वाहन के संदर्भ में जिले में कोई भी आधिकारिक व्यक्ति नहीं है इसकी जानकारी हमें सीधे सीधे रायपुर को देनी पड़ती है।

बाइट - छबीला बाई, ग्रामीण

बाइट - माधुरी श्याम, मरीज
Last Updated : Dec 30, 2019, 12:28 PM IST
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