बलरामपुर: वनांचल क्षेत्र में तेंदुपत्ता का बंपर उत्पादन होता है. मई महीने के अंत तक यह काम चलता है. ग्रामीण क्षेत्रों में पूरा परिवार मिलकर तेंदुपत्ता संग्रह में जुटा है. ग्रामीण क्षेत्रों के बड़े-बुजुर्ग ही नहीं बल्कि महिलाएं और बच्चे भी तेंदुपत्ता तोड़ते हैं.
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1 लाख 65 हजार 700 मानक बोरी संग्रहण का लक्ष्य: बलरामपुर जिले में इस साल 44 समिति के अंतर्गत कुल 1 लाख 65 हजार 700 मानक बोरी तेंदुपत्ता संग्रहण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. वर्तमान में तेन्दूपत्ता के लिए 4 हजार रूपये प्रति मानक बोरा निर्धारित है. इससे संग्राहकों को अच्छी आय मिलेगी. खास बात यह है कि तेंदुपत्ता संग्रहण के इस काम से जिले में लगभग 1 लाख से ज्यादा तेन्दूपत्ता संग्राहकों को रोजगार मिला है.
सुबह से ही जंगलों में तेंदुपत्ता तोड़ने पहुंचते हैं ग्रामीण: वनांचल और पहाड़ी क्षेत्रों के लोग सुबह से ही जंगलों में तेंदुपत्ता संग्रह करने निकल पड़ते हैं. तेंदुपत्ता तोड़ने जाने के दौरान ग्रामीण अपने साथ नाश्ता (रोटी-सब्जी) और घड़े का ठंडा पानी भी रखते हैं. जंगल में भूख-प्यास लगने पर नाश्ता करके पानी पी लेते हैं.दोपहर तक तेंदुपत्ता संग्रह कर ग्रामीण उसे बोरी में भरकर अपने घर ले आते हैं. इसके बाद तेंदुपत्ता को गड्डियों में बांधते हैं. फिर उसे बेच देते हैं.
गर्मियों में ग्रामीणों की आय का जरिया बना तेंदुपत्ता: तेंदुपत्ता वनांचलों में रहनेवाले लोगों की आजीविका का महत्वपूर्ण साधन है. गर्मियों के मौसम में खेती-किसानी के काम के अलावा तेन्दूपत्ता संग्रहण से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अच्छी आय मिलती है. इससे होने वाली आय से ग्रामीण परिवार की शादी, विवाह, मकान की मरम्मत, दैनिक जीवन में उपयोगी वस्तुओं की खरीदारी करते हैं.
क्या होता है मानक बोरा: शासन ने प्रति मानक बोरा के लिए 4 हजार रुपये तय किया है. पचास पत्ते की एक गड्डी बनाई जाती है, जिसके बाद समितियों में बेचा जाता है. एक हजार गड्डी पत्ते को एक बोरे में रखा जाता है. यही एक मानक बोरा कहलाता है.