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VIDEO: किसी खतरनाक स्टंट जैसा है इस पुल से गुजरना, फिर भी जान से खेल रहे लोग

प्रदेश में सरकारें तो कई बार बदली, कई बार विकास के बड़े-बड़े दावे भी किए गए, लेकिन इन सभी दावों के बावजूद भी विकास सिर्फ फाइलों में ही सिमट कर रह गया है.

खतरनाक स्टंट जैसा है पुल से गुजरना
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Published : Oct 14, 2019, 11:57 PM IST

बलरामपुर: जिले के पचावल ग्राम पंचायत के लोग पिछले 7 साल से पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन कान दाबे बैठा है, जिससे ग्रामीणों को आवागमन में खासा परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है.

पुल के लिए 7 साल से तरस रहे ग्रामीण

दरअसल, छत्तीसगढ़ के इस भाग को उत्तरप्रदेश से जोड़ने का ये एक मात्र साधन है, लेकिन पचावल गांव के पांगन नदी पर बना पुल पिछले सात साल से टूटा पड़ा है. जिससे ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर पुल को पार करते हैं. बरसात के दिनों में तो इतनी परेशानी बढ़ जाती है कि पुल पार करना यानि अपनी जान को हथेली पर रख कर चलना.

स्कूली बच्चे और राहगीरों को हो रही तकलीफें
राहगीर बताते हैं कि पांगन नदी पर बना पुल उत्तरप्रदेश को छत्तीसगढ़ से जोड़ने वाला पुल है, जिससे लोग आवागमन करते हैं, लेकिन ये पुल पिछले 7 वर्षों से टूटा पड़ा है, जिससे स्कूल आने-जाने वाले बच्चों को और राहगीरों को तकलीफों का सामना करना पड़ता है. बारिश होते ही आवागमन बाधित हो जाता है.

सरकारी तंत्र की तपिश में जल रहे ग्रामीण
ग्रामीण बताते हैं सरकारी महकमे से कई मर्तबा फरियाद लगाई गई, लेकिन उस फरियाद का क्या ग्रामीण ही तो थे, जिनके उम्मीदों को सरकारी तंत्र की तपिश ने भाप बनाकर उड़ा दिया. फिलहाल सरकारी महकमे ने पुल की नींव रखने की बात कही है, लेकिन वो भी सरकारी तंत्र की तरह तितर-बितर दिख रहा है, क्योंकि इस तरह की बातें सुनना कोई नई बात नहीं है.

बलरामपुर: जिले के पचावल ग्राम पंचायत के लोग पिछले 7 साल से पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन कान दाबे बैठा है, जिससे ग्रामीणों को आवागमन में खासा परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है.

पुल के लिए 7 साल से तरस रहे ग्रामीण

दरअसल, छत्तीसगढ़ के इस भाग को उत्तरप्रदेश से जोड़ने का ये एक मात्र साधन है, लेकिन पचावल गांव के पांगन नदी पर बना पुल पिछले सात साल से टूटा पड़ा है. जिससे ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर पुल को पार करते हैं. बरसात के दिनों में तो इतनी परेशानी बढ़ जाती है कि पुल पार करना यानि अपनी जान को हथेली पर रख कर चलना.

स्कूली बच्चे और राहगीरों को हो रही तकलीफें
राहगीर बताते हैं कि पांगन नदी पर बना पुल उत्तरप्रदेश को छत्तीसगढ़ से जोड़ने वाला पुल है, जिससे लोग आवागमन करते हैं, लेकिन ये पुल पिछले 7 वर्षों से टूटा पड़ा है, जिससे स्कूल आने-जाने वाले बच्चों को और राहगीरों को तकलीफों का सामना करना पड़ता है. बारिश होते ही आवागमन बाधित हो जाता है.

सरकारी तंत्र की तपिश में जल रहे ग्रामीण
ग्रामीण बताते हैं सरकारी महकमे से कई मर्तबा फरियाद लगाई गई, लेकिन उस फरियाद का क्या ग्रामीण ही तो थे, जिनके उम्मीदों को सरकारी तंत्र की तपिश ने भाप बनाकर उड़ा दिया. फिलहाल सरकारी महकमे ने पुल की नींव रखने की बात कही है, लेकिन वो भी सरकारी तंत्र की तरह तितर-बितर दिख रहा है, क्योंकि इस तरह की बातें सुनना कोई नई बात नहीं है.

Intro:एंकर-प्रदेश में सरकारें तो कई बार बदली,कई बार विकाश के बड़े-बड़े दावे भी किये गए मगर इन सभी दावों के बावजूद भी विकाश सिर्फ फाइलों में ही सिमट कर रह गया है जमीनी स्तर पर विकाश किस चिड़िया का नाम है ये तो लोगों को पता ही नही।

Body:वीओ01_ये पूरा ही वाकया है बलरामपुर जिले के ग्राम पचावल का है जहां पांगन नदी पर बना पुल लगभग 7 साल पहले ही टूट चुका है जिसका पुनः निर्माण आज तक नही हो सका है,आपको बता दें कि ये पुल पूरी तरह से टूट चुका है मगर छत्तीशगढ़ के इस भाग को उत्तरप्रदेश से जोड़ने का ये एक मात्र साधन होने की वजह से जोग जान जोखिम में डालकर पुल को पार करते है,बरसात के दिनों में तो परेशानी और बढ़ जाती है क्योंकि नदी में पूरा पानी भर जाने की वजह से पुल के नीचे से जाना संभव नही रहता है नतीजतन लोगों को टूटे हुए पुल को ही पार करना पड़ता है,लोगों ने बताया कि कई बार इस पुल में दुर्घटनाएं भी हो चुकी है जिसमें कइयों के हाथ पैर भी टूट चुके हैं मगर प्रशासन अभी भी किसी बड़ी दुर्घटना के होने की बाट जोह रहा है।

बाइट01_रामसेवक यादव, राहगीर।
बाइट03_रामानंद पाल,राहगीर।

वीओ02_लोगों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई बावजूद इसके उन्हें झूठे आस्वासन के शिवा और कुछ भी हाथ नही लगा नेता चुनाव के समय इस पुल के निर्माण की बातें तो जरूर करते हैं मगर ये बातें महज बातें ही बन कर रह
जाती है।

बाइट02_संजय गुप्ता स्थानीय उपसरपंच

वीओ03-मामले में जब बलरामपुर जिला कलेक्टर संजीव कुमार झा से बात की गई तो उन्होंने प्रपोजल भेज कर पुल निर्माण की बात कही है।

बाइट04_संजीव कुमार झा कलेक्टर बलरामपुर

Conclusion:बहरहाल अधिकारी पुल निर्माण कराने की बात जरूर कह रहे हैं मगर ये बातें अब पुरानी हो चुकि हैं और जनता भी अब झूठे वादों से ऊब चुकि है मगर प्रदेश की नई सरकार से लोगों को उम्मीदें जरूर हैं,देखने वाली बात होगी क्या नई सरकार इस पुल का निर्माण करा पाति या लोगों अभी कुछ साल और निराशा का घूंट पीकर चुप रहना होगा।
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