रायपुर: देश भर में गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस साल भी गणेश चतुर्थी को लेकर लोग उत्साहित हैं. गणेश चतुर्थी के नजदीक आते ही मूर्तिकार भी गणपति की मूर्तियों को आकार देने में जुट गए है. मूर्तिकार डिमांड के अनुसार आकर्षक प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं. इस बार बड़ी मूर्तियों की डिमांड भी बढ़ी है, जिससे मूर्तिकारों को अच्छी कमाई की उम्मीद है.
पीढ़ी-दर-पीढ़ी कर रहे मूर्तियों का व्यवसाय: बलरामपुर के रामानुजगंज क्षेत्र में कई ऐसे मूर्तिकार हैं, जो पिछली कई पीढ़ियों से इसी व्यवसाय में लगे हुए हैं. बलरामपुर के केरवाशीला गांव में रहने वाले बंगाली मूर्तिकारों का यह पैतृक व्यवसाय है. मूर्तिकारों का पूरा परिवार मूर्तियां बनाने में जुटा हुआ हैं. ये सभी मूर्तिकार इसी व्यवसाय से अपने परिवार का भरण-पोषण और गुजारा करते हैं.
ऑर्डर मिलने पर बना रहे बड़ी मूर्तियां: मूर्तिकार दीपांकर कहते हैं, "यह हमारा पैतृक व्यवसाय है. इसी से जो कमाई होती है, उससे अपने परिवार का भरण-पोषण और गुजारा करते हैं. हम ऑर्डर मिलने पर बड़ी मूर्तियां भी बना रहे हैं. मार्केट में जैसी मूर्तियों की डिमांड है, वैसी मूर्तियां भी बना रहे हैं. मूर्तिकारों का कहना है कि मूर्तियां बनाने में सूत, मिट्टी, बांस, पुआल, कांटी गंगा मिट्टी सहित अन्य चीजों का उपयोग होता है. सभी चीजें बाजार से खरीदना पड़ता है. मूर्तियों में लगने वाले सामानों केदाम भी बाजार में बढ़ चुके हैं. लेकिन मूर्तिकारों को मेहनत और लागत के मुताबिक दाम नहीं मिलता है.
"एक मूर्ति बनाने में कम से कम तीन दिनों का समय लगता है. लेकिन हमें मेहनत के हिसाब से दाम नहीं मिल पाता है. अब तक 40-45 मूर्तियां बनकर तैयार हो रही हैं. अधिक मूर्तियां बनाने के लिए काम चल रहा है. बड़ी मूर्तियों का ऑर्डर भी आया है." - दीपांकर, मूर्तिकार
अलग अलग रेंज की मूर्तियां उपलब्ध: गणेश पूजा की तैयारियों में जुटे मूर्तिकार अधिकतम 10-12 फीट तक की मूर्तियां बना रहे हैं. वहीं कीमतों की बात की जाये, तो मूर्ति के आकार और डिजाइन के हिसाब से मूर्तियों की कीमत रखी गई है. बाजार में एक हजार रुपये से लेकर 12 हजार रुपये तक की मूर्तियां बनाई जा रही है. इस साल बड़ी मूर्तियों के ऑर्डर काफी मिल रहे हैं. जिससे मूर्तिकारों को अच्छी कमाई की उम्मीद है.