बलरामपुर: राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाली कोरवा जनजाति आज आवास के लिए तरस रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना देश के निचले तबके के लोगों को पक्का मकान मुहैया कराए जाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, लेकिन सरकार की अन्य योजनाओं की तरह ही ये योजना भी धरातल पर आते ही भ्रष्टाचार का शिकार हो गई. बलरामपुर जिले के करजी गांव में पहाड़ी कोरवा जनजाति के बहुत से परिवार निवास करते हैं. राजपुर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले इस गांव में सरकार की योजना तो पहुंची, लेकिन इन परिवारों को सिर पर छत नसीब नहीं हो सका.
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करजी गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुल 6 परिवारों को आवास आवंटित किया गया था. जिसमें से 2 परिवारों ने तो अपना मकान बना लिया, लेकिन 4 परिवारों का मकान अस्तित्व में ही नहीं आया है. इस परिवार के लोग पिछले 5 साल से अपने घर बनने का इंतजार कर रहे हैं. कोरवा जनजाति के लोग अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए लकड़ी काटकर बेचते हैं. इनकी स्थिति दिन-ब-दिन दयनीय होती जा रही है.
पीड़ितों ने लगाया आवास मित्र पर आरोप
इस क्षेत्र में आवास योजना के तहत बनाए जाने वाले मकान की जिम्मेदारी आवास मित्र को सौंपी गई थी. आज 4 से 5 वर्ष होने जा रहे हैं, लेकिन मकान का कोई नामो निशान तक नहीं है. आज भी यहां के 4 परिवार के लोग मकान बनने का सपना सजाए अपनी टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. इन परिवारों का साफ तौर पर आरोप है कि वे गरीब लोग आवास बनवाने में सक्षम नहीं थे, जिसके लिए सरपंच सचिव ने आवास मित्र के माध्यम से बनाने का आश्वासन दिया गया था. वे सभी से आवास मित्र ने मकान बनाने के लिए अंगूठा लगवा रुपये निकाल लिए हैं और कुछ सामान गिराकर यह भरोसा दिया कि उनका मकान बहुत जल्द बन जाएगा.
जनपद सदस्य ने की कार्रवाई की मांग
राजपुर विकासखंड के क्षेत्र क्रमांक-5 के जनपद सदस्य शुकुल पैकरा ने कोरवा परिवार की समस्याओं का संज्ञान लेते हुए अपने स्तर से राजपुर जनपद पंचायत के अधिकारियों से चर्चा भी की थी, लेकिन सिर्फ खानापूर्ति कर जांच को आधे में ही छोड़ दिया गया. जनपद सदस्य ने इन परिवारों को न्याय दिलाने के लिए इस विषय पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. राजपुर एसडीएम आरएस लाल ने इस मसले को गंभीरता से लेते हुए बताया है कि तत्काल एक जांच टीम गठित कर जांच कराई जाएगी और इसमें जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.