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DFO ने पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों से की मुलाकात, मूलभूत सुविधाओं पर की चर्चा - dfo ने की पहाड़ी कोरवा जनजाति से मुलाकात

बलरामपुर में DFO लक्ष्मण सिंह ने राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों से मुलाकात की और उन्हें होने वाली परेशानियों पर चर्चा की. इसके साथ ही उन्होंने जल्द ही ग्रामीणों की समस्या का समाधान करने की बात कही है.

DFO meets Pahari Korwa tribes
पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों से मुलाकात
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Published : Sep 19, 2020, 8:21 AM IST

बलरामपुर: डीएफओ लक्ष्मण सिंह ने शुक्रवार को अपनी टीम के साथ शंकरगढ़ विकासखंड के रजूआढोड़ी गांव का मुआयना किया और यहां रह रहे अतिसंरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा के लोगों से मुलाकात की. डीएफओ ने जनजाति के लोगों से उनकी समस्याएं जानीं और उसके निराकरण का आश्वासन दिया.

गांव के लोगों ने बताया कि वे जैसे-तैसे अपने दिन काट रहे हैं. यहां न तो सड़क है और न ही रहने को पक्के मकान. गांव के लोगों का कहना है कि बारिश के मौसम में यहां की हालत बहुत खराब हो जाती है. ग्रामीणों से चर्चा के बाद लक्ष्मण सिंह ने जल्द से जल्द वरिष्ठ और जिला पंचायत के अधिकारियों से चर्चा कर उनकी समस्या दूर करने की बात कही है.

पढ़ें: जशपुर: 13 साल की पहाड़ी कोरवा बच्ची से रेप, गर्भवती होने पर छोड़ा, आरोपी गिरफ्तार

डीएफओ के गांव में पहुंचने से ग्रामीणों में खुशी और विकास की उम्मीद है. पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई अधिकारी रजूआढोड़ी गांव पहुंचा हो और उनकी समस्याओं के बारे में जाना हो. बता दें कि पहाड़ी कोरवा जनजाति को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जता है. यह दर्जा इसलिए दिया गया था कि इस आदिम जनजाति का संरक्षण हो सके. इसके बावजूद पहाड़ी कोरवाओं पर संकट है. उनकी आबादी काफी कम है. आबादी कम होने के कारण असमय होने वाली एक भी मौत समुदाय के लिए काफी मायने रखती है.

खतरे में पहाड़ी कोरवा जनजाति

छत्तीसगढ़ के पूर्वी क्षेत्र में रहने वाले पहाड़ी कोरवा आदिवासियों की आदिम नस्ल है. इसका अपना अपना विशिष्ट रहन-सहन, खान-पान, सभ्यता और संस्कृति है. इस जनजाति पर बढ़ रहे खतरे को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने इसे संरक्षित सूची में स्थान दिया है, लेकिन तेजी से कट रहे जंगलों और बीमारियों के फैलने से इस पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है.

बलरामपुर: डीएफओ लक्ष्मण सिंह ने शुक्रवार को अपनी टीम के साथ शंकरगढ़ विकासखंड के रजूआढोड़ी गांव का मुआयना किया और यहां रह रहे अतिसंरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा के लोगों से मुलाकात की. डीएफओ ने जनजाति के लोगों से उनकी समस्याएं जानीं और उसके निराकरण का आश्वासन दिया.

गांव के लोगों ने बताया कि वे जैसे-तैसे अपने दिन काट रहे हैं. यहां न तो सड़क है और न ही रहने को पक्के मकान. गांव के लोगों का कहना है कि बारिश के मौसम में यहां की हालत बहुत खराब हो जाती है. ग्रामीणों से चर्चा के बाद लक्ष्मण सिंह ने जल्द से जल्द वरिष्ठ और जिला पंचायत के अधिकारियों से चर्चा कर उनकी समस्या दूर करने की बात कही है.

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डीएफओ के गांव में पहुंचने से ग्रामीणों में खुशी और विकास की उम्मीद है. पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई अधिकारी रजूआढोड़ी गांव पहुंचा हो और उनकी समस्याओं के बारे में जाना हो. बता दें कि पहाड़ी कोरवा जनजाति को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जता है. यह दर्जा इसलिए दिया गया था कि इस आदिम जनजाति का संरक्षण हो सके. इसके बावजूद पहाड़ी कोरवाओं पर संकट है. उनकी आबादी काफी कम है. आबादी कम होने के कारण असमय होने वाली एक भी मौत समुदाय के लिए काफी मायने रखती है.

खतरे में पहाड़ी कोरवा जनजाति

छत्तीसगढ़ के पूर्वी क्षेत्र में रहने वाले पहाड़ी कोरवा आदिवासियों की आदिम नस्ल है. इसका अपना अपना विशिष्ट रहन-सहन, खान-पान, सभ्यता और संस्कृति है. इस जनजाति पर बढ़ रहे खतरे को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने इसे संरक्षित सूची में स्थान दिया है, लेकिन तेजी से कट रहे जंगलों और बीमारियों के फैलने से इस पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है.

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