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गौशाला में पाठशाला: हालत से अंजान दिखे कलेक्टर साहब, दिया ये आश्वासन

बलरामपुर: कलेक्टर संजीव कुमार झा ने जिले में गौशाला में लग रहे पाठशाला की खबर को नकारते हुए कहा है कि स्कूल के लिए भवनों की कमी की वजह से शिक्षक अपने निजी मकानों में स्कूल लगा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने स्कूल के लिए अतिरिक्त भवन की स्वीकृति देने की बात कही.

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Published : Mar 2, 2019, 6:11 PM IST

डिजाइन फोटो

गौरतलब है कि जिले में पिछले 22 सालों से भवन के अभाव से गौशाला में स्कूल लगाया जा रहा है. यहां नौनिहाल पढ़ने तो आते हैं लेकिन स्कूल की स्थिति देख कर कोई भी कहने को मजबूर हो जाएगा कि आखिर बच्चे यहां बैठकर कैसे पढ़ लेते हैं.

वीडियो


ज्यादातर बच्चे पहाड़ी कोरवा के
इस स्कूल में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे पहाड़ी कोरवा के हैं. यहां दो शिक्षकों की पोस्टिंग है. उन्होंने कई बार अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. लेकिन आज तक कोई अधिकारी इसे देखने नहीं पहुंचे. इस वजह से शिक्षकों को स्कूल का संचालन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.


शिक्षकों ने नहीं लिया जर्जर भवन का हैंड ओवर
शिक्षकों ने बताया कि साल 2013 में यहां एक स्कूल भवन का निर्माण किया गया था लेकिन उसकी दीवारें धंस गई हैं. स्कूल भवन जर्जर होने की वजह से शिक्षक उसमें स्कूल नहीं लगाते हैं. गांव में पढ़ाई का और कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं होने के कारण बच्चों के परिजन मजबूरी में बच्चों को गौशाला में लगने वाले स्कूल में भेजते हैं.


कलेक्टर ने दिया आश्वासन
वहीं इस मामले में जब कलेक्टर संजीव से बात की गई तो उन्होंने गौशाला में पाठशाला लगाए जाने वाली बात को नकारा और कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षक अपने निजी भवनों में क्लास लगा रहे हैं. आगे संजीव ने जांच कर तत्काल इस पर कार्रवाई करने की बात कही है.

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प्रदेश में पिछले 15 सालों में अनगिनत स्कूलों के निर्माण हुए हैं. लेकिन आज भी कई ऐसे स्कूल हैं जो भवन के लिए तरस रहे हैं. स्थिति ऐसी है कि शिक्षक गौशाला में स्कूल लगाने को मजबूर हैं.

गौरतलब है कि जिले में पिछले 22 सालों से भवन के अभाव से गौशाला में स्कूल लगाया जा रहा है. यहां नौनिहाल पढ़ने तो आते हैं लेकिन स्कूल की स्थिति देख कर कोई भी कहने को मजबूर हो जाएगा कि आखिर बच्चे यहां बैठकर कैसे पढ़ लेते हैं.

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ज्यादातर बच्चे पहाड़ी कोरवा के
इस स्कूल में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे पहाड़ी कोरवा के हैं. यहां दो शिक्षकों की पोस्टिंग है. उन्होंने कई बार अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. लेकिन आज तक कोई अधिकारी इसे देखने नहीं पहुंचे. इस वजह से शिक्षकों को स्कूल का संचालन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.


शिक्षकों ने नहीं लिया जर्जर भवन का हैंड ओवर
शिक्षकों ने बताया कि साल 2013 में यहां एक स्कूल भवन का निर्माण किया गया था लेकिन उसकी दीवारें धंस गई हैं. स्कूल भवन जर्जर होने की वजह से शिक्षक उसमें स्कूल नहीं लगाते हैं. गांव में पढ़ाई का और कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं होने के कारण बच्चों के परिजन मजबूरी में बच्चों को गौशाला में लगने वाले स्कूल में भेजते हैं.


कलेक्टर ने दिया आश्वासन
वहीं इस मामले में जब कलेक्टर संजीव से बात की गई तो उन्होंने गौशाला में पाठशाला लगाए जाने वाली बात को नकारा और कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षक अपने निजी भवनों में क्लास लगा रहे हैं. आगे संजीव ने जांच कर तत्काल इस पर कार्रवाई करने की बात कही है.

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प्रदेश में पिछले 15 सालों में अनगिनत स्कूलों के निर्माण हुए हैं. लेकिन आज भी कई ऐसे स्कूल हैं जो भवन के लिए तरस रहे हैं. स्थिति ऐसी है कि शिक्षक गौशाला में स्कूल लगाने को मजबूर हैं.

Intro:गौशाला में बच्चों की पढ़ाई खबर का असर


Body:एंकर-- खबर का असर कलेक्टर बलरामपुर में गौशाला में लग रहे हो पढ़ाई को नकारते हुए कहा कि गौशाला में स्कूल नहीं लग रहा है शिक्षिका अपने निजी मकान में स्कूल लगा रही है स्कूल के लिए अतिरिक्त भवन का सुकृति दे दी गई है
छत्तीसगढ़ प्रदेश में पिछले 15 सालों मैं अनगिनत स्कूल का निर्माण हुआ है लेकिन आज भी कई ऐसे स्कूल हैं जो भवन के लिए तरस रहे हैं और उन्हें गौशाला में लगाया जा रहा है बलरामपुर जिले में भी एक ऐसा ही स्कूल है जो पिछले 22 सालों से भवन के अभाव में गौशाला में लगाए जा रहा है यहां पढ़ने तो आते हैं लेकिन अगर स्कूल की स्थिति देख ले तो किसी को भी शिक्षा व्यवस्था पर स्वर्ग आ जाएगा कैसे पढ़ते हैं यहां बच्चे और कैसी शिक्षा व्यवस्था गौशाला के दुर्गंध से किस हालत में बैठकर पढ़ते हैं यहां के बच्चे देखिए यह खास रिपोर्ट
गाय का पठार और उसके बगल में पढ़ रहे नौनिहाल यह दृश्य है बलरामपुर जिले के जनपद पंचायत शंकरगढ़ के ग्राम देव सारा का साल 1996 97 में यहां स्कूल लगना शुरू हुआ था और तभी से यहां का स्कूल एक गौशाला में लग रहा है यहां बच्चों की संख्या भी अच्छी है और शिक्षकों की भी पोस्टिंग है इस स्कूल में पढ़ने वाले पहाड़ी कोरबा के बच्चे पढ़ते हैं लेकिन यहां भवन नहीं है मजबूरी में यहां के शिक्षक गाय के कोठार में ही स्कूल लगा रहे हैं और बच्चों को पढ़ा रहे हैं पहली से पांचवी तक सभी बच्चों को एक साथ ही बैठा कर पढ़ाई जाता है यहां पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राएं ने बताया कि रोजाना स्कूल आते हैं और बड़े होकर टीचर बनना चाहते हैं लेकिन इस स्कूल में पढ़ कर वह कैसे अपना भविष्य संभालेंगे ईटीवी भारत के माध्यम से स्कूल की मांग कर रहे हैं देवरा में लगने वाले स्कूल पिछले 22 सालों से इसी तरह संचालित है यहां 2 शिक्षकों की पोस्टिंग है और रोजाना आकर स्कूल का संचालन करते हैं गौशाला में इसको लगाने के जानकारी उन्हें अपने सभी अधिकारियों को दिया है लेकिन आज तक कोई अधिकारी इसे देखने नहीं पहुंचे शिक्षकों की मानें तो उन्हें स्कूल का संचालन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है बच्चे रोजाना स्कूल आते हैं उन्हें पढ़ाना भी जरूरी है इसीलिए वह इसका संचालन कर रहे हैं शिक्षकों ने बताया कि साल 2013 में यहां एक स्कूल भवन का निर्माण जरूर किया गया था लेकिन उसका निर्माण ऐसा हुआ है कि वह कभी भी गिर सकता है दीवारें धस गई हैं और उसके बीच में पिलर लगाकर खड़ा किया है स्कूल भवन जर्जर हो चुका है ऐसी हालत में देख कर शिक्षकों ने उसे अपने हैंड ओवर में नहीं लिया और नहीं उसमें स्कूल लगाते हैं गांव में पढ़ाई का और कोई दूसरा विकल्प नहीं होने के कारण बच्चों के परिजन मजबूरी में बच्चों को गौशाला में लगने वाले स्कूल में बच्चों को भेजते हैं उन्हें बताया कि अधिकारी तो कभी यहां पहुंचते ही नहीं लेकिन नेता जरूर यहां पहुंचते हैं लेकिन वह भी सिर्फ वोट मांगने के लिए यहां की समस्या पर कभी भी उनका ध्यान नहीं गया परिजनों की मानें तो गाय के कोठार में स्कूल लगने से काफी बदबू आता है बच्चे बीमार ही पढ़ते हैं लेकिन कोई दूसरा साधन नहीं है बच्चों को यहां भेजते हैं वहीं मामले में अधिकारी की मानें तो उन्हें इसके बारे में जानकारी ही नहीं है मीडिया से जानकारी मिलने की बात कर रहे हैं और तत्काल इस पर कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं नौनिहालों के भविष्य को बेहतर करने के लिए सरकार की तरफ से दर्जनों योजनाएं चलाई जा रही हैं स्कूल को एक मंदिर की तरह तैयार किया जा रहा है पूरे जिले में मॉडल स्कूल बनाए जा रहे हैं लेकिन दूसरी ओर यहां भी एक स्कूल है जिसका कोई माई बाप नहीं है सिर्फ दुर्गंधी दुर्गंध

बाइट-- संजीव कुमार झा कलेक्टर बलरामपुर



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