ETV Bharat / state

बलरामपुर के रामानुजगंज में छठ महापर्व की धूम, भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की तैयारी

Chhath Puja 2023: आस्था के महापर्व छठ की धूम छत्तीसगढ़ में भी है. लोग पूरे उत्साह के साथ इस महापर्व को मना रहे हैं. बलरामपुर में लोगों का कहना है कि, इस महापर्व को वे लोग पूरे नियम और निष्ठा के साथ मनाते हैं

Chhath festival in Ramanujgan
बलरामपुर के रामानुजगंज में छठ महापर्व की धूम
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 18, 2023, 9:33 PM IST

Updated : Nov 19, 2023, 8:11 AM IST

बलरामपुर के रामानुजगंज में छठ महापर्व की धूम

बलरामपुर: रामानुजगंज में माहौल भक्तिमय है. छठ पूजा को लेकर लेकर भक्ति में लीन हैं. खरना के बाद अब लोग भगवान भास्कर को अर्घ्य देने में जुट गए हैं. छठ घाट को तैयार कर लिया गया है. उसे सजाया गया है. उसकी छटा देखते ही बन रही है.

खरना पूजा के बाद व्रत शुरू: खरना पूजा का प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठ व्रतियों का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है. रामानुजगंज में छठ व्रती कनहर नदी से जल लेकर खरना पूजा में जुट गए. पूरे भक्ति भाव से प्रसाद बनाया गया. भोग लगाया गया फिर उसे छठ व्रती के साथ भक्तों ने ग्रहण किया. छठ व्रती इसे पूरे विधि विधान और नियम निष्ठा से करते हैं.


आस्था का महापर्व: छठ महापर्व करने से हर मुराद पूरी होती है. छठी मइया सबकी झोली भरती हैं. भगवान भास्कर किसी को निराश नहीं करते हैं. इसमें लोगों की आस्था असीम है.लोग छठी मइया से घर परिवार में खुशहाली की कामना करते हैं. परदेश से लोग इस पर्व को मनाने के लिए पहुंचते हैं. लोग विदेश से भी इस महापर्व में अपने घर पहुंचते हैं.

चार दिनों का होता है महापर्व: नहाय खाय से ये पर्व शुरू होता है. पहले दिन लोग नहा कर स्वातित्व भोजन ग्रहण करते हैं. उसके अगले दिन यानी दूसरे दिन खरना का प्रसाद बनता है. तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन हो जाता है. समापन के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है.

आखिर क्यों सूरजपुर में कांग्रेस समर्थक कर रहे ईवीएम की रखवाली, जानिए वजह
बलरामपुर के रामानुजगंज में छठ महापर्व की धूम, भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने की तैयारी
बालोद में इस बार वोटरों ने तोड़ा पिछले चुनाव का रिकॉर्ड, छत्तीसगढ़ी थीम पर बने संगवारी मतदान केंद्रों को लोगों ने खूब किया पसंद

शुद्धता का काफी महत्व है: इस महापर्व में शुद्धता का काफी ख्याल रखा जाता है. मिट्टी के बर्तन में खरना का प्रसाद बनाया जाता है. दुध, चावल और गुड़ से खरना का प्रसाद बनता है. रामानुजगंज की छठ व्रती लक्ष्मी देवी बताती हैं कि,


"इस पर्व का भारी महत्व है. जो मन में ठान लेते हैं. अपनी इच्छा पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं. वही इस पर्व को कर सकते हैं. दिनभर उपवास रहने के बाद चुपके से भोजन करने को खरना कहते हैं. यह चुपका भोजन है. खीर भोजन इसको कहते हैं".

लक्ष्मी देवी, छठ व्रती


बलरामपुर के रामानुजगंज में छठ महापर्व की धूम

बलरामपुर: रामानुजगंज में माहौल भक्तिमय है. छठ पूजा को लेकर लेकर भक्ति में लीन हैं. खरना के बाद अब लोग भगवान भास्कर को अर्घ्य देने में जुट गए हैं. छठ घाट को तैयार कर लिया गया है. उसे सजाया गया है. उसकी छटा देखते ही बन रही है.

खरना पूजा के बाद व्रत शुरू: खरना पूजा का प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठ व्रतियों का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है. रामानुजगंज में छठ व्रती कनहर नदी से जल लेकर खरना पूजा में जुट गए. पूरे भक्ति भाव से प्रसाद बनाया गया. भोग लगाया गया फिर उसे छठ व्रती के साथ भक्तों ने ग्रहण किया. छठ व्रती इसे पूरे विधि विधान और नियम निष्ठा से करते हैं.


आस्था का महापर्व: छठ महापर्व करने से हर मुराद पूरी होती है. छठी मइया सबकी झोली भरती हैं. भगवान भास्कर किसी को निराश नहीं करते हैं. इसमें लोगों की आस्था असीम है.लोग छठी मइया से घर परिवार में खुशहाली की कामना करते हैं. परदेश से लोग इस पर्व को मनाने के लिए पहुंचते हैं. लोग विदेश से भी इस महापर्व में अपने घर पहुंचते हैं.

चार दिनों का होता है महापर्व: नहाय खाय से ये पर्व शुरू होता है. पहले दिन लोग नहा कर स्वातित्व भोजन ग्रहण करते हैं. उसके अगले दिन यानी दूसरे दिन खरना का प्रसाद बनता है. तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन हो जाता है. समापन के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है.

आखिर क्यों सूरजपुर में कांग्रेस समर्थक कर रहे ईवीएम की रखवाली, जानिए वजह
बलरामपुर के रामानुजगंज में छठ महापर्व की धूम, भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने की तैयारी
बालोद में इस बार वोटरों ने तोड़ा पिछले चुनाव का रिकॉर्ड, छत्तीसगढ़ी थीम पर बने संगवारी मतदान केंद्रों को लोगों ने खूब किया पसंद

शुद्धता का काफी महत्व है: इस महापर्व में शुद्धता का काफी ख्याल रखा जाता है. मिट्टी के बर्तन में खरना का प्रसाद बनाया जाता है. दुध, चावल और गुड़ से खरना का प्रसाद बनता है. रामानुजगंज की छठ व्रती लक्ष्मी देवी बताती हैं कि,


"इस पर्व का भारी महत्व है. जो मन में ठान लेते हैं. अपनी इच्छा पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं. वही इस पर्व को कर सकते हैं. दिनभर उपवास रहने के बाद चुपके से भोजन करने को खरना कहते हैं. यह चुपका भोजन है. खीर भोजन इसको कहते हैं".

लक्ष्मी देवी, छठ व्रती


Last Updated : Nov 19, 2023, 8:11 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.