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साइंस कॉलेज में नहीं है लैब का इंतजाम, बिना प्रैक्टिकल होती है पढ़ाई

संभाग मुख्यालय में एकमात्र विज्ञान महाविद्यालय की स्थापना हुए 7 साल का समय हो चुका है, लेकिन आज तक इस कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकी हैं.

कुसुमलता विश्वकर्मा, प्रिंसिपल
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Published : Aug 23, 2019, 3:21 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: कॉलेज का अपना नया भवन बनने के बाद एक उम्मीद जगी थी कि, कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे. लेकिन हैरानी की बात यह है कि, नए भवन में कॉलेज के स्थानांतरण के बाद तीन बैच बिना प्रैक्टिकल के ही पास आउट हो चुके हैं.

कॉलेज में नहीं है लैब की व्यवस्था

न तो लैब है और न ही लाइब्रेरी
कहने को तो यह साइंस कॉलेज है, लेकिन इस कॉलेज में न ही किसी विषय का लैब के लिए पूरी व्यवस्था है और न ही बेहतर लाइब्रेरी मौजूद है. कॉलेज की दुर्दशा ऐसी है कि, क्लासरूम में बैठने के लिए क्षमता के अनुसार डेस्क और बेंच तक उपलब्ध नहीं हैं.

पीजी कॉलेज भवन में हो रहा संचालन
सरगुजा संभाग के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से साल 2013 में साइंस कॉलेज की स्थापना की गई थी. कॉलेज की स्थापना के बाद से इसका संचालन पीजी कॉलेज के भवन में हो रहा था.

नए भवन में लग रही क्लास
साइंस कॉलेज के ये स्टूडेंट्स पीजी कॉलेज के ही संसाधनों का उपयोग कर अपनी पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन बाद में सरकार की ओर से विज्ञान महाविद्यालय के भवन के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की. कॉलेज के नवीन भवन का निर्माण केशवपुर में होने के बाद वर्ष 2017 से कॉलेज का संचालन नए भवन में किया जा रहा है.

न किताबें हैं और न ही डेस्क
कॉलेज में अब तक छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकी हैं. अधिकारियों की उदासीनता का आलम यह है कि इस कॉलेज में लाइब्रेरी के लिए पुस्तकों और डेस्क बेंच तक की व्यवस्था नहीं की गई है.

शासन को भेजी थी मांग
लाइब्रेरी का कमरा तो बना है, लेकिन वह भी हमेशा खाली रहता है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि कॉलेज की स्थापना के बाद से ही मूलभूत सुविधाओं को लेकर छात्र संगठन की ओर से आंदोलन किए जा रहे हैं और कॉलेज प्रबंधन भी शासन प्रशासन के सामने अपनी बात कहते हुए अपनी मांग शासन को भेजता रहा है.

बिना प्रैक्टिकल होती है पढ़ाई
साइंस कॉलेज में बिना प्रैक्टिकल के पढ़ाई पूरी नहीं हो सकती, लेकिन इस साइंस कॉलेज के पास स्थापना के सात साल बाद भी व्यवस्थित लैब की नहीं है. कॉलेज में बीएससी बायो, बायोटेक, माइक्रो बायोलॉजी, आईटी और मैथ्स के साथ ही पीजी में केमेस्ट्री और मैथ्स की पढ़ाई होती है.

इन विषयों की होती है पढ़ाई
भवन निर्माण के दौरान लैब के लिए कमरे तो बनाए गए, लेकिन कॉलेज में बायोटेक, माइक्रो बायोलॉजी, आईटी, फिजिक्स, केमेस्ट्री, जूलॉजी, बॉटनी किसी भी विषय का प्रैक्टिकल लैब मौजूद नहीं है. ऐसे हालात में मजबूरन कॉलेज प्रबंधन अपने स्टूडेंट्स को पीजी कॉलेज में प्रैक्टिकल को फॉर्मेलटी पूरी करने के लिए भेजता है.

क्षमता से कम हैं डेस्क और बेंच
साइंस कॉलेज में बीएससी बायो, बायोटेक, माइक्रो बायोलॉजी, आईटी और मैथ्स के लिए 60-60 के साथ ही कुल 300 सीट स्वीकृत हैं. इसके साथ ही पीजी में केमेस्ट्री के 25 और मैथ के लिए 25 सीट अलॉट हैं, लेकिन इस कॉलेज में बैठने के लिए महज 187 डेस्क बेंच ही मौजूद हैं.

एक ही क्लास में बारी-बारी से होती है पढ़ाई
कॉलेज में अभी भी ढाई सौ और डेस्क बेंच की जरूरत है. आलम यह है कि कॉलेज प्रबंधन एक ही क्लास में बारी-बारी से बच्चों को बैठाकर पढ़ाई करा रहा है. कॉलेज में संसाधनों की कमी और शहर से काफी दूर संचालन के कारण विज्ञान महाविद्यालय में पढ़ाई को लेकर छात्रों की रुचि कम होती जा रही है.

छात्र-छात्राएं नहीं ले रहे रुचि
यही कारण है कि इस बार भी 350 सीटर कॉलेज में महज 158 छात्र-छात्राओं ने एडमीशन लिया है, जबकि कॉलेज में लगभग 445 छात्र- छात्राएं ही पढ़ाई कर रहे हैं. कॉलेज में न तो बैठने के लिए डेस्क और बेंच है और ना ही प्रैक्टिकल की व्यवस्था. ऐसे में छात्र इस कॉलेज में पढ़ाई के लिए रुचि नहीं ले रहे हैं.

नहीं हुई कोई पहल
इस मामले में साइंस कॉलेज की प्रिंसिपल कुसुमलता विश्वकर्मा ने भी समस्याओं को स्वीकार करते हुए बताया कि, कॉलेज की समस्याओं और संसाधनों की कमी के लिए समय-समय पर शासन और प्रशासन को अवगत कराया जाता रहा है. इसे लेकर लगातार प्रस्ताव भी बनाकर भेजे गए हैं, परन्तु अब तक किसी प्रकार की पहल नहीं हो सकी है.

सरगुजा: कॉलेज का अपना नया भवन बनने के बाद एक उम्मीद जगी थी कि, कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे. लेकिन हैरानी की बात यह है कि, नए भवन में कॉलेज के स्थानांतरण के बाद तीन बैच बिना प्रैक्टिकल के ही पास आउट हो चुके हैं.

कॉलेज में नहीं है लैब की व्यवस्था

न तो लैब है और न ही लाइब्रेरी
कहने को तो यह साइंस कॉलेज है, लेकिन इस कॉलेज में न ही किसी विषय का लैब के लिए पूरी व्यवस्था है और न ही बेहतर लाइब्रेरी मौजूद है. कॉलेज की दुर्दशा ऐसी है कि, क्लासरूम में बैठने के लिए क्षमता के अनुसार डेस्क और बेंच तक उपलब्ध नहीं हैं.

पीजी कॉलेज भवन में हो रहा संचालन
सरगुजा संभाग के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से साल 2013 में साइंस कॉलेज की स्थापना की गई थी. कॉलेज की स्थापना के बाद से इसका संचालन पीजी कॉलेज के भवन में हो रहा था.

नए भवन में लग रही क्लास
साइंस कॉलेज के ये स्टूडेंट्स पीजी कॉलेज के ही संसाधनों का उपयोग कर अपनी पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन बाद में सरकार की ओर से विज्ञान महाविद्यालय के भवन के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की. कॉलेज के नवीन भवन का निर्माण केशवपुर में होने के बाद वर्ष 2017 से कॉलेज का संचालन नए भवन में किया जा रहा है.

न किताबें हैं और न ही डेस्क
कॉलेज में अब तक छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकी हैं. अधिकारियों की उदासीनता का आलम यह है कि इस कॉलेज में लाइब्रेरी के लिए पुस्तकों और डेस्क बेंच तक की व्यवस्था नहीं की गई है.

शासन को भेजी थी मांग
लाइब्रेरी का कमरा तो बना है, लेकिन वह भी हमेशा खाली रहता है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि कॉलेज की स्थापना के बाद से ही मूलभूत सुविधाओं को लेकर छात्र संगठन की ओर से आंदोलन किए जा रहे हैं और कॉलेज प्रबंधन भी शासन प्रशासन के सामने अपनी बात कहते हुए अपनी मांग शासन को भेजता रहा है.

बिना प्रैक्टिकल होती है पढ़ाई
साइंस कॉलेज में बिना प्रैक्टिकल के पढ़ाई पूरी नहीं हो सकती, लेकिन इस साइंस कॉलेज के पास स्थापना के सात साल बाद भी व्यवस्थित लैब की नहीं है. कॉलेज में बीएससी बायो, बायोटेक, माइक्रो बायोलॉजी, आईटी और मैथ्स के साथ ही पीजी में केमेस्ट्री और मैथ्स की पढ़ाई होती है.

इन विषयों की होती है पढ़ाई
भवन निर्माण के दौरान लैब के लिए कमरे तो बनाए गए, लेकिन कॉलेज में बायोटेक, माइक्रो बायोलॉजी, आईटी, फिजिक्स, केमेस्ट्री, जूलॉजी, बॉटनी किसी भी विषय का प्रैक्टिकल लैब मौजूद नहीं है. ऐसे हालात में मजबूरन कॉलेज प्रबंधन अपने स्टूडेंट्स को पीजी कॉलेज में प्रैक्टिकल को फॉर्मेलटी पूरी करने के लिए भेजता है.

क्षमता से कम हैं डेस्क और बेंच
साइंस कॉलेज में बीएससी बायो, बायोटेक, माइक्रो बायोलॉजी, आईटी और मैथ्स के लिए 60-60 के साथ ही कुल 300 सीट स्वीकृत हैं. इसके साथ ही पीजी में केमेस्ट्री के 25 और मैथ के लिए 25 सीट अलॉट हैं, लेकिन इस कॉलेज में बैठने के लिए महज 187 डेस्क बेंच ही मौजूद हैं.

एक ही क्लास में बारी-बारी से होती है पढ़ाई
कॉलेज में अभी भी ढाई सौ और डेस्क बेंच की जरूरत है. आलम यह है कि कॉलेज प्रबंधन एक ही क्लास में बारी-बारी से बच्चों को बैठाकर पढ़ाई करा रहा है. कॉलेज में संसाधनों की कमी और शहर से काफी दूर संचालन के कारण विज्ञान महाविद्यालय में पढ़ाई को लेकर छात्रों की रुचि कम होती जा रही है.

छात्र-छात्राएं नहीं ले रहे रुचि
यही कारण है कि इस बार भी 350 सीटर कॉलेज में महज 158 छात्र-छात्राओं ने एडमीशन लिया है, जबकि कॉलेज में लगभग 445 छात्र- छात्राएं ही पढ़ाई कर रहे हैं. कॉलेज में न तो बैठने के लिए डेस्क और बेंच है और ना ही प्रैक्टिकल की व्यवस्था. ऐसे में छात्र इस कॉलेज में पढ़ाई के लिए रुचि नहीं ले रहे हैं.

नहीं हुई कोई पहल
इस मामले में साइंस कॉलेज की प्रिंसिपल कुसुमलता विश्वकर्मा ने भी समस्याओं को स्वीकार करते हुए बताया कि, कॉलेज की समस्याओं और संसाधनों की कमी के लिए समय-समय पर शासन और प्रशासन को अवगत कराया जाता रहा है. इसे लेकर लगातार प्रस्ताव भी बनाकर भेजे गए हैं, परन्तु अब तक किसी प्रकार की पहल नहीं हो सकी है.

Intro:सरगुजा : संभाग मुख्यालय में एकमात्र विज्ञान महाविद्यालय की स्थापना हुए 7 साल का समय हो चुका है परन्तु आज तक इस कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नही हो सकी है। कॉलेज का अपना नया भवन बनने के बाद एक उम्मीद जगी थी कि इन्हें संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे परन्तु हैरानी की बात तो यह है कि नए भवन में कॉलेज के स्थानांतरण के बाद तीन बैच बिना प्रैक्टिकल के ही पासआउट हो चुके है। कहने को तो यह साइंस कॉलेज है परन्तु इस कॉलेज में ना ही किसी विषय का लैब है और ना ही लाइब्रेरी ही मौजूद है। कॉलेज की दुर्दशा ऐसी की कॉलेज में बैठने के लिए क्षतमा के अनुसार डेस्क बेंच तक उपलब्ध नही है।

सरगुजा संभाग के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में विज्ञान महाविद्यालय की स्थापना की गई थी। कॉलेज की स्थापना के बाद से इसका संचालन पीजी कॉलेज के भवन में हो रहा था व साइंस कॉलेज के ये स्टूडेंट्स पीजी कॉलेज के ही संसाधनों का उपयोग कर अपनी पढ़ाई कर रहे थे पंरतु बाद में शासन द्वारा विज्ञान महाविद्यालय के भवन के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की। कॉलेज के नवीन भवन का निर्माण केशवपुर में होने के बाद वर्ष 2017 से कॉलेज का संचालन नए भवन में किया जा रहा है पंरतु इस कॉलेज में अब तक छात्र छात्राओं को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नही हो सकी है। अधिकारियों की उदासीनता का आलम यह है कि इस कॉलेज में लाइब्रेरी के लिए पुस्तकों और डेस्क बेंच तक की व्यवस्था नही की गई है। लाइब्रेरी का कक्ष तो बना हुआ है पंरतु वह भी हमेशा खाली रहता ही। सबसे बड़ी बात तो यह है कि कॉलेज की स्थापना के बाद से ही मूलभूत सुविधाओं को लेकर छात्र संगठन द्वारा आंदोलन किए जा रहे है और कॉलेज प्रबंधन भी शासन प्रशासन के सामने अपनी बात कहती रहा है और मांग बनाकर शासन को भेजता रहा है परन्तु हैरानी की बात तो यह है कि शासन और प्रशासन सिर्फ झूठे आस्वासन देकर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने का काम कर रहे है।


साइंस कॉलेज में बिना प्रायोगिक के पढ़ाई पूरी नही हो सकती परन्तु इस साइंस कॉलेज के पास स्थापना के सात साल बाद भी व्यवस्थित लैब की व्यवस्था नही हो सकी है। कॉलेज में बीएससी बायो, बायोटेक, माइक्रो बायोलॉजी, आईटी व मैथ्स के साथ ही पीजी में केमेस्ट्री व मैथ्स की पढ़ाई होती है। भवन निर्माण के दौरान लैब के कमरे तो बनाए गए है परन्तु कॉलेज में बायोटेक, माइक्रो बायोलॉजी, आईटी, फिजिक्स, केमेस्ट्री, जूलॉजी, बॉटनी किसी भी विषय का प्रैक्टिकल लैब मौजूद नही है। ऐसे में मजबूरन कोलॉज प्रबंधन अपने स्टूडेंट्स को पीजी कॉलेज में प्रैक्टिकल को फॉर्मेलटी पूरी करने के लिए भेजता है।


Body:विज्ञान महाविधालय में बीएससी बायो, बायोटेक, माइक्रो बायोलॉजी, आईटी व मैथ्स के लिए 60-60 व कुल 300 सीट स्वीकृत है। इसके साथ ही पीजी में केमेस्ट्री के 25 व मैथ के लिए 25 सीट अलॉट है परन्तु इस कॉलेज में बैठने के लिए महज 187 डेस्क बेंच ही मौजूद है। कॉलेज में अभी भी ढाई सौ और डेस्क बेंच की आवश्यकता है। आलम यह है कि कॉलेज प्रबंधन एक ही क्लास में बारी बारी बच्चों को बैठाकर पढ़ाई करा रहा है।


कॉलेज में संसाधनों की कमी और शहर से काफी दूर संचालन के कारण विज्ञान महाविद्यालय में पढ़ाई को लेकर छात्रों की रुचि कम होती जा रही है यही कारण है कि इस बार भी 350 सीटर कॉलेज में महज 158 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया है जबकि कॉलेज में कुल लगभग 445 छात्र छात्राएं ही पढ़ाई कर रहे है। कॉलेज में ना ही बैठने के लिए डेस्क बेंच है और ना ही प्रैक्टिकल की व्यवस्था। ऐसे में छात्र इस कॉलेज में पढ़ाई के लिए रुचि नही ले रहे है।

Conclusion:इस मामले में साइंस कॉलेज की प्राचार्या कुसुमलता विश्वकर्मा ने भी समस्याओं को स्वीकार किया और बताया की कॉलेज की समस्याओं और संसाधनों की कमी के लिए समय समय पर शासन प्रशासन को अवगत कराया जाता रहा है। लगातार प्रस्ताव भी बनाकर भेजे गए है परन्तु अब तक किसी प्रकार की पहल नहीं हो सकी है।

बाईट01_प्रेमश्वर भगत (छात्र बायोटेक)

बाईट02_राहुल पांडेय (छात्र बी एससी)

बाईट03_मुस्कान जैन (छात्रा)

बाईट04_कुसुमलता विश्वकर्मा (प्राचार्या साइंस कॉलेज)

देश दीपक सरगुजा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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