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मोटलों की हालत है खस्ताहाल, सरकार कर रही ये विचार - पर्यटन

सरगुजा में मौजूद मोटल में रखा सामान कबाड़ में तब्दील हो चुका है.

मोटलों की हालत हैं खस्ता
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Published : Aug 31, 2019, 4:20 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: पिछली सरकार ने शहर में जगह-जगह मोटल या यूं कहें कि छोटे होटल खुलवाए थे. इसके पीछे यह तर्क दिया गया था, कि पर्यटक अकसर जंगली इलाके की ओर आकर्षित होते हैं और ऐसी जगहों पर खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था नहीं होने की वजह से उन्हें तकलीफ उठानी पड़ती है, लेकिन देखरेख की कमी की वजह से ये होटल कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं.

मोटलों की हालत हैं खस्ता

पढ़ें: 19 लाख लोग NRC से बाहर, अपील करने के लिए 4 महीने का समय

मोटल खुलवाने के पीछे उस वक्त की सरकार ने ये तर्क दिया था कि इसके पीछे तर्क था कि पर्यटक अकसर जंगली इलाके की ओर आकर्षित होते हैं और ऐसी जगहों पर खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था नहीं होने की वजह से उन्हें तकलीफ उठानी पड़ती है. इसी दिक्कत को ध्यान में रखते हुए पर्यटन विभाग ने सरगुजा में भी एक मोटल बनवाया था, लेकिन आज ये मोटल खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. पर्यटन विभाग ने ऐसा ही एक मोटल सरगुजा में भी बनवाया था, जो अब कबाड़ मे तब्दील हो चुका है.

निजी हाथों में देने पर विचार
मोटलों की खस्ताहालत को लेकर जब हमने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि मोटलों की देख-रेख की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी के हाथ में देने पर विचार चल रहा है. अब देखना यह होगा कि कब सरकार इसे लेकर कोई ठोस कदम उठाती है और कब ये मोटल दोबारा बेहतर हो पाते हैं.

सरगुजा: पिछली सरकार ने शहर में जगह-जगह मोटल या यूं कहें कि छोटे होटल खुलवाए थे. इसके पीछे यह तर्क दिया गया था, कि पर्यटक अकसर जंगली इलाके की ओर आकर्षित होते हैं और ऐसी जगहों पर खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था नहीं होने की वजह से उन्हें तकलीफ उठानी पड़ती है, लेकिन देखरेख की कमी की वजह से ये होटल कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं.

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मोटल खुलवाने के पीछे उस वक्त की सरकार ने ये तर्क दिया था कि इसके पीछे तर्क था कि पर्यटक अकसर जंगली इलाके की ओर आकर्षित होते हैं और ऐसी जगहों पर खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था नहीं होने की वजह से उन्हें तकलीफ उठानी पड़ती है. इसी दिक्कत को ध्यान में रखते हुए पर्यटन विभाग ने सरगुजा में भी एक मोटल बनवाया था, लेकिन आज ये मोटल खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. पर्यटन विभाग ने ऐसा ही एक मोटल सरगुजा में भी बनवाया था, जो अब कबाड़ मे तब्दील हो चुका है.

निजी हाथों में देने पर विचार
मोटलों की खस्ताहालत को लेकर जब हमने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि मोटलों की देख-रेख की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी के हाथ में देने पर विचार चल रहा है. अब देखना यह होगा कि कब सरकार इसे लेकर कोई ठोस कदम उठाती है और कब ये मोटल दोबारा बेहतर हो पाते हैं.

Intro:सरगुजा : पर्यटन को बढ़ावा देने सरकार ऐसे काम करती है जिससे पर्यटक आकर्षित हों और अधिक से अधिक सैलानी पर्यटन स्थल तक पहुंचे, इसमे सबसे अहम बात मोट्ल से शुरू होती है, क्योंकी अक्सर पर्यटन जंगली हिस्सों में होते हैं और वहां पर्यटकों के लिए रहने खाने की व्यवस्था सबसे अहम होती है और इसी व्यवस्था के तहत छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने सरगुजा में भी मोट्ल बनवाये थे, लेकिन जरा इस मोट्ल की हालत देखिये, यह पूरी तरह कबाड़ हो चुका है, शासन के पैसों की अच्छी बर्बादी की गई है, इसके साथ ही सैलानियों के सुविधाओं में भी कमी आई है।Body:इस संबंध में हमने मंत्री टी एस सिंह देव से पूछा की सरकार इस दिशा में क्या कर रही है, जिस पर उन्होंने कहा की पर्यटन को बढ़ावा देने सरकार योजनाएं बना रही है, इसमे निजी क्षेत्रों की भागीदारी से बेहतर परिणाम आएंगे, बंद पड़े कबाड़ हो चुके मोट्ल के संबंध में टी एस सिंह ने कहा की अक्सर देखा गया है की शासन के द्वारा चलाई जाने वाली संस्था बेहतर नही चल पाती उनमें बिजनेस तरीका नही होता, इसलिए निजी क्षेत्रों के आने से बेहतर परिणाम आएंगे।Conclusion:बहरहाल मंत्री टी एस सिंह के बयान से यह बात स्पष्ट होती है की सरकार मोट्ल को निजी लोगो को देकर संचालित करा सकती है, और शायद यह बेहतर भी साबित होगा, क्योंकी सरकारी मोट्ल के ना तो दाम ही किसी से कम हैं और ना ही भर्रे शाही में कोई कमी रहती है।

बाईट01_टी एस सिंह देव (मंत्री छ. ग. शासन)

देश दीपक सरगुजा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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