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सरगुजा में हाथियों का आतंक, तीन घरों को तोड़कर खा गए अनाज

सरगुजा के मैनपाट वन परिक्षेत्र (Mainpat Forest Range) में हाथियों ने आतंक मचा रखा है. बरिमा पकरीपारा गांव की मांझी बस्ती में हाथियों ने तीन मकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया. हाथी घर में रखा अनाज भी खा गए. गजराज के उत्पात से ग्रामीण डर के साये में जीने को मजबूर हैं.

elephants in sarguja
सरगुजा में हाथियों का आतंक
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Published : May 19, 2021, 4:41 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: वन परिक्षेत्र मैनपाट में हाथियों का एक दल पिछले कई दिनों से डेरा जमाया हुआ है. हाथियों का दल मंगलवार रात ग्राम बरिमा पकरीपारा रिहायशी इलाके के मांझी बस्ती में भोजन की तलाश में घुस गया. हाथियों ने 3 घरों को तोड़ते हुए रखे अनाज को चट कर दिया. गजराज रातभर जमकर उत्पात मचाते हुए रिहायशी इलाके में घूमते रहे. सुबह होने पर हाथियों का दल रिहायशी इलाके से निकलकर सरगुजा के मैनपाट वन परिक्षेत्र की सीमा से लगे सरहदी क्षेत्र धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र में चला गया. फिलहाल जनहानि की खबर नहीं है. ग्रामीण के घरों को तोड़ने और अनाज खाने के नुकसान का मैनपाट वन विभाग (Mainpat Forest Department) अमला मुआवजा प्रकरण तैयार करने में जुट गया है.

सरगुजा में हाथियों का आतंक

90 के दशक में सरगुजा में आए फिर बन गया स्थायी ठिकाना
मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा से जुड़े छत्तीसगढ़ को हाथियों का कॉरीडोर भी कहा जाता है. प्रमाण मिलते हैं कि यह इलाका सदियों से हाथियों के विचरण क्षेत्र का हिस्सा रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि 90 के दशक में बड़ी तादाद में झारखंड से सरगुजा की सीमा में घुसे थे. इसके बाद आना-जाना बढ़ता गया. फिर ये जंगल उनका स्थायी ठिकाना बन गया. इधर, ओडिशा से भी इनका पलायन रायगढ़, महासमुंद, बलौदा बाजार, गरियाबंद जिले में होता गया.

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Chhattisgarh Assembly में उठ चुका है हाथियों के आतंक का मुद्दा

सरगुजा संभाग में हाथियों के आतंक का मुद्दा Chhattisgarh Assembly में कई बार उठ चुका है. सरकार ने हाथियों के आतंक पर अंकुश लगाने के लिए कई प्लान तैयार किए. हालांकि सभी प्लान या तो सही से लागू नहीं हो पाया या फाइलों में दब कर रह गया. पिछली बार सरगुजा में हाथी के आतंक का मुद्दा विधायक अंबिका सिंहदेव (MLA Ambika Singhdev) ने सदन में उठाया था. चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने इसे विधानसभा की प्रश्न संदर्भ समिति को भेज दिया था. सिंहदेव ने कहा कि कोरिया में ग्रामीणों को हाथी कुचल रहे हैं. 90 ग्रामीणों का घर तोड़ दिया गया. लेमरू प्रोजेक्ट को हाथी कारिडोर से बाहर कर दिया गया है. इस पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर (Forest Minister Mohammad Akbar) ने कहा कि पिछली सरकार ने लेमरू को प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया था. फिलहाल वर्तमान में लेमरू एलिफेंट पार्क (Lemru Elephant Park) बनाने का काम जारी है.

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मुख्यमंत्री ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की थी घोषणा

15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की घोषणा की थी. पुलिस परेड ग्राउंड में कार्यक्रम के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने कहा- लेमरू दुनिया में अपनी तरह का पहला 'एलीफेंट रिजर्व' होगा. जहां हाथियों का स्थाई ठिकाना होगा. स्थाई ठिकाना बन जाने से उनकी अन्य स्थानों पर आवाजाही और इससे होने वाले नुकसान पर भी अंकुश लगेगा और जैव विविधता के साथ वन्य प्राणी की दिशा में प्रदेश का योगदान दर्ज होगा.

सरगुजा: वन परिक्षेत्र मैनपाट में हाथियों का एक दल पिछले कई दिनों से डेरा जमाया हुआ है. हाथियों का दल मंगलवार रात ग्राम बरिमा पकरीपारा रिहायशी इलाके के मांझी बस्ती में भोजन की तलाश में घुस गया. हाथियों ने 3 घरों को तोड़ते हुए रखे अनाज को चट कर दिया. गजराज रातभर जमकर उत्पात मचाते हुए रिहायशी इलाके में घूमते रहे. सुबह होने पर हाथियों का दल रिहायशी इलाके से निकलकर सरगुजा के मैनपाट वन परिक्षेत्र की सीमा से लगे सरहदी क्षेत्र धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र में चला गया. फिलहाल जनहानि की खबर नहीं है. ग्रामीण के घरों को तोड़ने और अनाज खाने के नुकसान का मैनपाट वन विभाग (Mainpat Forest Department) अमला मुआवजा प्रकरण तैयार करने में जुट गया है.

सरगुजा में हाथियों का आतंक

90 के दशक में सरगुजा में आए फिर बन गया स्थायी ठिकाना
मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा से जुड़े छत्तीसगढ़ को हाथियों का कॉरीडोर भी कहा जाता है. प्रमाण मिलते हैं कि यह इलाका सदियों से हाथियों के विचरण क्षेत्र का हिस्सा रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि 90 के दशक में बड़ी तादाद में झारखंड से सरगुजा की सीमा में घुसे थे. इसके बाद आना-जाना बढ़ता गया. फिर ये जंगल उनका स्थायी ठिकाना बन गया. इधर, ओडिशा से भी इनका पलायन रायगढ़, महासमुंद, बलौदा बाजार, गरियाबंद जिले में होता गया.

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Chhattisgarh Assembly में उठ चुका है हाथियों के आतंक का मुद्दा

सरगुजा संभाग में हाथियों के आतंक का मुद्दा Chhattisgarh Assembly में कई बार उठ चुका है. सरकार ने हाथियों के आतंक पर अंकुश लगाने के लिए कई प्लान तैयार किए. हालांकि सभी प्लान या तो सही से लागू नहीं हो पाया या फाइलों में दब कर रह गया. पिछली बार सरगुजा में हाथी के आतंक का मुद्दा विधायक अंबिका सिंहदेव (MLA Ambika Singhdev) ने सदन में उठाया था. चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने इसे विधानसभा की प्रश्न संदर्भ समिति को भेज दिया था. सिंहदेव ने कहा कि कोरिया में ग्रामीणों को हाथी कुचल रहे हैं. 90 ग्रामीणों का घर तोड़ दिया गया. लेमरू प्रोजेक्ट को हाथी कारिडोर से बाहर कर दिया गया है. इस पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर (Forest Minister Mohammad Akbar) ने कहा कि पिछली सरकार ने लेमरू को प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया था. फिलहाल वर्तमान में लेमरू एलिफेंट पार्क (Lemru Elephant Park) बनाने का काम जारी है.

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मुख्यमंत्री ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की थी घोषणा

15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की घोषणा की थी. पुलिस परेड ग्राउंड में कार्यक्रम के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने कहा- लेमरू दुनिया में अपनी तरह का पहला 'एलीफेंट रिजर्व' होगा. जहां हाथियों का स्थाई ठिकाना होगा. स्थाई ठिकाना बन जाने से उनकी अन्य स्थानों पर आवाजाही और इससे होने वाले नुकसान पर भी अंकुश लगेगा और जैव विविधता के साथ वन्य प्राणी की दिशा में प्रदेश का योगदान दर्ज होगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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