सरगुजा: स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 के परिणाम में नगर निगम अंबिकापुर को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. रेटिंग में शहर को 1050 अंकों का नुकसान उठाना पड़ा. यही वजह है कि नगर निगम की स्वच्छता रैंकिंग में इतनी गिरावट आई है. अम्बिकापुर के अधिकारियों और लोगों के लिये ये किसी सदमे जैसा है. आखिर ऐसा कैसे और क्यों हुआ, इस बात की पड़ताल करने ETV भारत की टीम निकली.
अंबिकापुर ने 5 स्टार सिटी का तमगा गंवाया: भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा देशभर में निकायों में स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 की प्रतियोगिता कराई गई. इसमें सर्वेक्षण और सर्टिफिकेशन के लिए समय समय पर क्यूसीआई की टीम सर्वे करने के लिए सभी शहरों में पहुंची. इस सर्वे में दिए गए अंकों के आधार पर ही दिल्ली में आयोजित समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की मौजूदगी में परिणामों की घोषणा की गई. हालांकि नगर निगम अंबिकापुर के सीएफसी सर्टिफिकेशन के हाल ही में जारी रिजल्ट से साफ हो गया था कि अंबिकापुर को मिला 5 स्टार सिटी का तमगा छिन गया है. अंबिकापुर नगर निगम अब 3 स्टार सिटी में शामिल है. फाइनल परिणाम जारी होने के बाद निगम को नेशनल रैंकिंग में भी नुकसान उठाना पड़ा है.
नेशनल रैंकिंग में 27वें स्थान पर पहुंचा: स्वच्छता सर्वेक्षण में निगम कभी नेशनल रैंकिंग में दूसरे स्थान पर था. फिर वर्ष 2022 में खिसककर चौथे स्थान पर पहुंचा. लेकिन इस बार जारी किए गए स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 के परिणाम के बाद निगम 23 पायदान गिरकर नेशनल रैंकिंग में 27वें स्थान पर पहुंच गया. इस निराशाजनक परिणाम के बाद शहरवासियों के साथ ही निगम अमले और स्वच्छता दीदियों में निराशा है.
प्रतियोगिता में मिले 7467 अंक: भारत सरकार द्वारा कराया गया स्वच्छता सर्वेक्षण 9500 अंकों का था. प्रतियोगिता में स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए 4830, सर्टिफिकेशन के लिए 2500 और सिटीजन फीडबैक के लिए 2170 अंक निर्धारित किए गए थे. प्रतियोगिता में नगर निगम को स्वच्छता सर्वेक्षण में नगर निगम को कुल 7467 अंक मिले है जबकि निगम के कुल 2033 नंबर कटे है. इस बार निगम को स्वच्छता सर्वेक्षण में 4148, सर्टिफिकेशन में 1450 व सिटीजन फीडबैक में 1869 अंक मिले है. आंकड़ों पर नजर डाले को नगर निगम अंबिकापुर के स्वच्छता सर्वेक्षण और सिटीजन फीडबैक में इतने अंक हमेशा से कटते रहे हैं. लेकिन सर्टिफिकेशन में सीधे 1050 अंकों का नुकसान निगम को भारी पड़ गया है.
रैंकिंग में गिरावट की क्या है वजह: मेयर अजय तिर्की ने बताया कि "सर्टिफिकेशन की टीम चुनाव के दौरान आई थी और उस समय निगम के अधिकारी और सफाई कर्मी चुनाव कार्य में व्यस्त थे. चुनाव के दौरान क्यूसीआई की टीम ने एक नहीं बल्कि पांच बार शहर का निरीक्षण किया और खुद क्यूसीआई के आला अधिकारी शहर पहुंचे. अधिकारियों के चुनाव में व्यस्त रहने के कारण शहर में विशेष ध्यान नहीं दिया जा सका. इसका खामियाजा रैंकिंग गंवाकर चुकाना पड़ा है."
आबादी के कैटेगरी में बदलाव भी वजह: इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणाम भी अजीबोगरीब ढंग से जारी किए गए हैं. जारी किए गए परिणामों में निकायों की श्रेणी पर ध्यान दें तो इस बार परिणाम सिर्फ 1 लाख से कम आबादी वाले निकाय और 1 लाख से अधिक आबादी वाले निकायों के बीच जारी किए गए हैं. जबकि पिछले वर्ष तक नगर निगम को 1 से 3 लाख की आबादी वाले शहर में रखा जाता था. 1 लाख से अधिक आबादी वाले निकायों में देश के कई बड़े महानगर भी शामिल हो गए हैं, जिनसे संसाधनों के आधार पर अंबिकापुर कभी मुकाबला नहीं कर सकता.
सर्वेक्षण की कैटेगरी हटाने से हुआ नुकसान: इस बार सर्वेक्षण के दौरान इंडियन स्वच्छता लीग, सफाई मित्र सुरक्षा शिविर, आरआरआर जैसे कार्यक्रम कराए गए और इनमें निगम ने बेहतर प्रदर्शन किया. लेकिन इन घटकों को लेकर भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं आया. ऐसे में यदि पिछले साल के परिणाम के आधार पर 1 से 3 लाख की आबादी वाले शहरों की तुलना की जाए, तो इस साल भी अंबिकापुर को जितने अंक मिले हैं, उससे निगम अपनी श्रेणी में चौथे स्थान पर ही होता. लेकिन इस बार सर्वेक्षण की उस कैटेगरी को ही समाप्त कर दिया गया.
हम लोग तो 2015 से लगातार रोज अपना काम जिम्मेदारी से कर रहे हैं. लगातार हमारी कचरे की प्रोसेसिंग बढ़ रही है. आज स्थिति ये है कि 10 हजार हर माह से अधिक मानदेय एक-एक दीदी को मिल रहा है. कचरा कलेक्शन और सेग्रीगेशन की प्रोग्रेस बढ़ रही है. पता नही किन आधारों पर हम पिछड़ गये. - स्वच्छता दीदी
कांग्रेस सरकार पर बजट नहीं देने के आरोप: भाजपा पार्षद मधुसूदन शुक्ला ने कहा कि "पूर्व की कांग्रेस सरकार ने अम्बिकापुर को बजट ही नहीं दिया. इस वजह से शहर की सड़कों सहित कई काम नहीं हो सके. इन्ही वजहों से स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में गिरावट आई है. पूरा पैसा तो रायपुर, पूर्व सीएम के गृह शहर पाटन में और पूर्व नगरीय प्रशासन मंत्री के गृह ग्राम आरंग में खर्च किया गया, वहां खूब बजट दिया गया और परिणाम सबके सामने है."
इन कार्यों से बची 3 स्टार की रेटिंग: एसबीएम के नोडल अधिकारी रितेश सैनी बताते हैं कि स्वच्छता सर्वेक्षण की श्रेणी में कचरे का डोर टू डोर कलेक्शन, प्रोसेसिंग, सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय, नाली, सड़कों पर झाड़ू, व्यावसायिक क्षेत्रों में सफाई, उद्यान की सफाई, यूजर चार्ज कलेक्शन, कचरे का विक्रय, एसएलआरएम का निरीक्षण, एफएसटीपी, खाद निर्माण सहित अन्य कार्य आते है. निगम का एसएलआरएम मॉडल देश भर में लागू है और शहर में भी एसएलआरएम मॉडल अच्छी तरह से कार्य कर रहा है. यही वजह है कि निगम को इन कार्यों, ओडीएफ प्लस-प्लस और जनता के फीडबैक की बदौलत 3 स्टार रेटिंग बरकरार रही और निगम को सर्वेक्षण में अच्छे अंक मिले हैं."
5 स्टार रैंकिंग के मानक: स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान सर्टिफिकेशन की श्रेणी में मूल कार्यों के साथ ही स्टार रेटिंग व वाटर प्लस के लिए रोड मार्किंग, चौक चौराहे, फुटपाथ, उद्यान, नगर सौंदर्यीकरण, तालाब, अंडरग्राउंड सीवरेज जैसे घटक शामिल है. नगर निगम को वाटर प्लस शहर का दर्जा नहीं मिल सकता, क्योंकि यहां अंडरग्राउंड सीवरेज नहीं है. लेकिन बाकी सड़कों की सुंदरता, अन्य सौंदर्यीकरण के कार्यों की बदौलत निगम को 5 स्टार रैंकिंग मिल सकती थी. रैंकिंग में आई 1050 अंकों की गिरावट के कारण निगम की नेशनल रैंकिंग गिर गई.