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अम्बिकापुर में सफल हुआ ई बॉल का प्रयोग, देश भर में बढ़ी डिमांड - eball

Ambikapur latest news शहर की नालियों और तालाबों को स्वच्छ रखने के उद्देश्य से अम्बिकापुर के युवा वैज्ञानिक डॉ प्रशांत ने नया प्रयोग कर ई बॉल बनाया. युवा वैज्ञानिक का नया प्रयोग ई बॉल अब सफल होता नजर आ रहा है. बैक्टीरिया व फंगस के मिश्रण से तैयार ई बॉल पानी के शुद्धिकरण में कारगर साबित हुआ है. जिसके बाद देशभर में इस ई बॉल की डिमांड बढ़ गई है.

bacterial eball demand increased in Country
सफल हुआ ई बॉल का प्रयोग
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Published : Dec 6, 2022, 9:39 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: अम्बिकापुर शहर के युवा वैज्ञानिक का नया प्रयोग ई बॉल अब सफल होता नजर (prashant sharma invented bacterial eball) आ रहा है. शहर की नालियों और तालाबों में इसके उपयोग के बाद अब देश भर के कई राज्यो व बड़े शहरों में इसका प्रयोग किया जा रहा है. बैक्टीरिया व फंगस के मिश्रण से तैयार किए गए इस ई बॉल ने पानी का शुद्धिकरण कर दिया है. जिससे यह पानी अब इतना साफ हो गया है कि इसका उपयोग अगर कोई चाहे तो पीने में भी कर सकता है. Ambikapur latest news

अम्बिकापुर में सफल हुआ ई बॉल का प्रयोग
देश में ई बॉल की बढ़ी डिमांड: इसके प्रयोग से पानी के पीएच व टीडीएस का लेबल भी आदर्श स्तर पर पहुंच रहा है. जिससे यह बात तो स्पष्ट हो गई है कि युवा वैज्ञानिक द्वारा बनाया गया ई बॉल अब सफल हो रहा है. निगम के साथ मिलकर इसका उपयोग ना सिर्फ शहर के नालियों की सफाई के लिए किया जा रहा. बल्कि अब देश भर के शहरों से इसकी डिमांड (bacterial eball demand increased in Country) आ रही है. surguja scientist prashant sharma 12 वर्षों की मेहनत लाई रंग: शहर की नालियों, तालाबों का गंदा पानी शासन प्रशासन के लिए हमेशा से चुनौती भरा काम रहता है. नाली व तालाबों की सफाई के लिए कर्मचारियों की जरूरत तो पड़ती ही थी इसमें लाखोँ के खर्च भी होते थे. कुछ महीने बाद फिर तालाबों की स्थिति खराब हो जाती थी ऐसे में इस समस्या से निजात पाने के लिए शहर के युवा वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत द्वारा विकल्प की तलाश की जा रही थी और लगभग 12 वर्षों की मेहनत के बाद उन्होंने एक ऐसे ई बॉल का निर्माण किया है जो गंदे पानी को उपचारित कर उसे पीने योग्य बना देता है. देश के कई बड़े शहरों में किया जा रहा उपयोग: अम्बिकापुर के युवा वैज्ञानिक डॉ प्रशांत ने बताया "अब मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बैंगलोर, जयपुर, मुम्बई और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में ई बॉल का उपयोग किया जा रहा है. यह कई वर्षों की मेहनत का फल है. अच्छा लग रहा है कि देश भर में जहां भी पानी को साफ करने की जरूरत है, वहां ई बॉल काम आ रही है. ETV भारत ने शुरूआत से ही हमारे प्रयोग को सराहा और एक प्लेटफार्म दिया. जिसके कारण देश भर में लोग ई बॉल को जान सके. मैं ETV भारत की पूरी टीम और प्रबंधन को थैंक्स कहना चाहता हूं."

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़: बैक्टीरियल ई बॉल से तालाब के गंदे पानी को बनाया पीने योग्य

क्या है ई बॉल? : ई बॉल लाभदायक बैक्टीरिया व फंगस का कंसोटिया या मिश्रण है. इसमें मुख्य रूप से टी-64 और एलएबी-2 बैक्टीरिया का उपयोग किया गया है. यह कंसोटिया हर पीएच और 45 डिग्री तापमान पर भी सक्रिय होकर काम कर सकता है. बॉल में मौजूद लाभदायक सूक्ष्मजीव नाली या तालाब के ग्रे वाटर में जाते ही वहां उपलब्ध ऑर्गेनिक वेस्ट से पोषण लेना चालू करके अपनी संख्या तेजी से बढ़ाने लगते हैं और पानी को साफ करने का काम करते है. एक ई बाल लगभग 150 मीटर लंबी नाली के लिए प्रभावी होता है. एक बार बाल उपयोग करने के बाद 90 दिन तक यह प्रभावी होता है. ई बाल के उपयोग से बार बार नाली जाम और नाली से आने वाली दुर्गंध से छुटकारा मिल रहा है.

तालाब में किया गया प्रयोग: इस ई बॉल का प्रयोग नगर निगम द्वारा शहर के बीच स्थित गंदे चम्बोथी तालाब में किया गया था. शुरुवात में जब इस तालाब में ई बॉल को डाला गया तो यहां का पानी काफी गंदा था लेकिन जब 15-15 दिनों के अंतराल में ई बॉल का उपयोग तालाब में किया गया तो इसके अंदर मौजूद गंदगी साफ होने लगी. आज भले ही शैवाल और एल्गी के कारण तालाब गंदा नजर आ रहा हो लेकिन इस तालाब के पानी की शुध्दता सप्लाई वाले पानी के स्तर पर पहुंच चुकी है. जब टीम द्वारा इसके पानी की जांच की गई तो इसका पीएच 6.75 व टीडीएस 276 मापा गया जबकि सामान्य रूप से भी पानी का पीएच 6-7 के बीच व टीडीएस 200 से 400 के बीच उत्तम माना जाता है. अब शहर के मैरिन ड्राइव तालाब में इसका प्रयोग चल रहा है.

स्वच्छता सर्वेक्षण में भी सहायक: स्वच्छता सर्वेक्षण के क्षेत्र में यह ई बॉल एक नवाचार सिद्ध हुआ है. नगर निगम से लेकर पूरे देश में नालियों व तालाबों की सफाई एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. इसकी सफाई में निकायों को भारी भरकम खर्च करना पड़ता है. ऐसे में यह ई बॉल निकायों के लिए आर्थिक रूप से सहायक तो सिद्ध होगा ही. साथ ही स्वच्छता के क्षेत्र में भी इसका अहम योगदान है. शहर की नालियां कई स्थानों पर ऐसी हैं, जहां पानी जमा होने से मच्छर और दुर्गंध की समस्या बनी रहती है. लेकिन अब इस ई बॉल की सहायता से समस्या से भी निजात मिल जाएगी.

सरगुजा: अम्बिकापुर शहर के युवा वैज्ञानिक का नया प्रयोग ई बॉल अब सफल होता नजर (prashant sharma invented bacterial eball) आ रहा है. शहर की नालियों और तालाबों में इसके उपयोग के बाद अब देश भर के कई राज्यो व बड़े शहरों में इसका प्रयोग किया जा रहा है. बैक्टीरिया व फंगस के मिश्रण से तैयार किए गए इस ई बॉल ने पानी का शुद्धिकरण कर दिया है. जिससे यह पानी अब इतना साफ हो गया है कि इसका उपयोग अगर कोई चाहे तो पीने में भी कर सकता है. Ambikapur latest news

अम्बिकापुर में सफल हुआ ई बॉल का प्रयोग
देश में ई बॉल की बढ़ी डिमांड: इसके प्रयोग से पानी के पीएच व टीडीएस का लेबल भी आदर्श स्तर पर पहुंच रहा है. जिससे यह बात तो स्पष्ट हो गई है कि युवा वैज्ञानिक द्वारा बनाया गया ई बॉल अब सफल हो रहा है. निगम के साथ मिलकर इसका उपयोग ना सिर्फ शहर के नालियों की सफाई के लिए किया जा रहा. बल्कि अब देश भर के शहरों से इसकी डिमांड (bacterial eball demand increased in Country) आ रही है. surguja scientist prashant sharma 12 वर्षों की मेहनत लाई रंग: शहर की नालियों, तालाबों का गंदा पानी शासन प्रशासन के लिए हमेशा से चुनौती भरा काम रहता है. नाली व तालाबों की सफाई के लिए कर्मचारियों की जरूरत तो पड़ती ही थी इसमें लाखोँ के खर्च भी होते थे. कुछ महीने बाद फिर तालाबों की स्थिति खराब हो जाती थी ऐसे में इस समस्या से निजात पाने के लिए शहर के युवा वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत द्वारा विकल्प की तलाश की जा रही थी और लगभग 12 वर्षों की मेहनत के बाद उन्होंने एक ऐसे ई बॉल का निर्माण किया है जो गंदे पानी को उपचारित कर उसे पीने योग्य बना देता है. देश के कई बड़े शहरों में किया जा रहा उपयोग: अम्बिकापुर के युवा वैज्ञानिक डॉ प्रशांत ने बताया "अब मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बैंगलोर, जयपुर, मुम्बई और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में ई बॉल का उपयोग किया जा रहा है. यह कई वर्षों की मेहनत का फल है. अच्छा लग रहा है कि देश भर में जहां भी पानी को साफ करने की जरूरत है, वहां ई बॉल काम आ रही है. ETV भारत ने शुरूआत से ही हमारे प्रयोग को सराहा और एक प्लेटफार्म दिया. जिसके कारण देश भर में लोग ई बॉल को जान सके. मैं ETV भारत की पूरी टीम और प्रबंधन को थैंक्स कहना चाहता हूं."

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़: बैक्टीरियल ई बॉल से तालाब के गंदे पानी को बनाया पीने योग्य

क्या है ई बॉल? : ई बॉल लाभदायक बैक्टीरिया व फंगस का कंसोटिया या मिश्रण है. इसमें मुख्य रूप से टी-64 और एलएबी-2 बैक्टीरिया का उपयोग किया गया है. यह कंसोटिया हर पीएच और 45 डिग्री तापमान पर भी सक्रिय होकर काम कर सकता है. बॉल में मौजूद लाभदायक सूक्ष्मजीव नाली या तालाब के ग्रे वाटर में जाते ही वहां उपलब्ध ऑर्गेनिक वेस्ट से पोषण लेना चालू करके अपनी संख्या तेजी से बढ़ाने लगते हैं और पानी को साफ करने का काम करते है. एक ई बाल लगभग 150 मीटर लंबी नाली के लिए प्रभावी होता है. एक बार बाल उपयोग करने के बाद 90 दिन तक यह प्रभावी होता है. ई बाल के उपयोग से बार बार नाली जाम और नाली से आने वाली दुर्गंध से छुटकारा मिल रहा है.

तालाब में किया गया प्रयोग: इस ई बॉल का प्रयोग नगर निगम द्वारा शहर के बीच स्थित गंदे चम्बोथी तालाब में किया गया था. शुरुवात में जब इस तालाब में ई बॉल को डाला गया तो यहां का पानी काफी गंदा था लेकिन जब 15-15 दिनों के अंतराल में ई बॉल का उपयोग तालाब में किया गया तो इसके अंदर मौजूद गंदगी साफ होने लगी. आज भले ही शैवाल और एल्गी के कारण तालाब गंदा नजर आ रहा हो लेकिन इस तालाब के पानी की शुध्दता सप्लाई वाले पानी के स्तर पर पहुंच चुकी है. जब टीम द्वारा इसके पानी की जांच की गई तो इसका पीएच 6.75 व टीडीएस 276 मापा गया जबकि सामान्य रूप से भी पानी का पीएच 6-7 के बीच व टीडीएस 200 से 400 के बीच उत्तम माना जाता है. अब शहर के मैरिन ड्राइव तालाब में इसका प्रयोग चल रहा है.

स्वच्छता सर्वेक्षण में भी सहायक: स्वच्छता सर्वेक्षण के क्षेत्र में यह ई बॉल एक नवाचार सिद्ध हुआ है. नगर निगम से लेकर पूरे देश में नालियों व तालाबों की सफाई एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. इसकी सफाई में निकायों को भारी भरकम खर्च करना पड़ता है. ऐसे में यह ई बॉल निकायों के लिए आर्थिक रूप से सहायक तो सिद्ध होगा ही. साथ ही स्वच्छता के क्षेत्र में भी इसका अहम योगदान है. शहर की नालियां कई स्थानों पर ऐसी हैं, जहां पानी जमा होने से मच्छर और दुर्गंध की समस्या बनी रहती है. लेकिन अब इस ई बॉल की सहायता से समस्या से भी निजात मिल जाएगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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