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कैसी होती है कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर की जिंदगी

कोविड वार्ड में ड्यूटी करने वाले डॉक्टर अर्पण सिंह ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि पहले वे 8 बजे ड्यूटी करने अस्पताल पहुंचते थे. OPD में ड्यूटी करते थे. लेकिन अब वैसा कुछ भी नहीं है. अब किसी चीज का कोई शड्यूल ही नहीं है. घर में परिवार के साथ खाना खाए कई दिन बीत गए हैं.

Special conversation with doctor Arpan Singh who is doing duty in covid Ward in Ambikapur Medical College Hospital
डॉक्टर अर्पण सिंह
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Published : Jun 3, 2021, 2:36 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा : डॉक्टर को यूं ही धरती का भगवान नहीं कहा जाता है, ये डॉक्टर अपनी जान की परवाह किये बिना लोगों की जान बचा रहे हैं. खासकर कोरोना काल में डॉक्टर लगातार कोरोना मरीज का इलाज कर रहे हैं. दिन भर कोविडवार्ड के अंदर जाते हैं, संक्रमित होते हैं, ठीक होते हैं और फिर इलाज में लग जाते हैं. आखिर डॉक्टर किन कठिनाइयों का सामना कर कोरोना मरीजों का इलाज करते हैं, ये जानने की कोशिश ETV भारत ने की. अंबिकापुर के युवा डॉक्टर डॉ अर्पण सिंह से बातचीत की और जानने की कोशिश की कि इस कोरोना काल में उनकी दिनचर्चा कैसी है.

डॉक्टर अर्पण सिंह से खास बातचीत

डॉ अर्पण सिंह इस समय अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोविड वार्ड में ड्यूटी कर रहे हैं. उन्हें इलाज के साथ-साथ रेमडेसिविर इंजेक्शन की मॉनिटरिंग समिति का भी जिम्मा दिया गया है. इसके अलावा सभी अस्पतालों में बेड की उपलब्धता की जिम्मेदारी भी अर्पण संभाल रहे हैं. ऐसे में इलाज के साथ साथ सामाजिक जिम्मेदारी चार गुना बढ़ गई है.

कोरोना काल में अब दिनचर्चा के नाम पर कुछ भी नहीं

रात 2 से 3 बजे तक फोन पर लोगों की समस्याओं का समाधान करते रहते हैं. सुबह कब उठना पड़ जाए ये तो इन्हें भी नहीं पता होता है. फिर भी जैसे तैसे खुद को परिस्थितियों के अनुसार ढाल कर डॉक्टर अर्पण लोगों की जान बचा रहे हैं. इस दौरान वे खुद भी कोरोना संक्रमित हो गए. अपना इलाज किया और ठीक होने के बाद दोबारा कोरोना ड्यूटी में लग गए.

डॉ अर्पण सिंह ने बताया कि कोरोना काल में सुबह उठने का उनका कोई ठिकाना नहीं है. कोरोना काल से पहले वे 8 बजे ड्यूटी जाते थे और OPD में सेवाएं देते थे. लेकिन अब दिनचर्या बिल्कुल भी नहीं है. उन्होंने कहा कि शारीरिक के साथ मानसिक दबाव भी बहुत ज्यादा है.

Special conversation with doctor Arpan Singh who is doing duty in covid Ward in Ambikapur Medical College Hospital
डॉक्टर अर्पण सिंह

रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में ब्लैक फंगस से डॉक्टर की मौत

'घर में होम आइसोलेशन में रहते हैं डॉक्टर'

डॉ अर्पण ने कहा कि घर में होम आइसोलेशन में रहते हैं. परिवार के साथ खाना खाए जमाना बीत गए हैं. घर में डिस्पोसल में खाना खाते हैं. घर में थाली में खाना खाए भी कई दिन बीत गए हैं. परिवार वालों का घर में घुसने का इंट्री और एग्जिट अलग है. इनका घर में घुसने और बाहर निकालने का दरवाजा अलग है. दिन में 3 बार PPE किट पहनते हैं. जितनी बार PPE किट पहनते है उतनी बार ही उन्हें नहाना पड़ता है.

'जितनी बार PPE किट पहनते है उतनी ही बार नहाते हैं'

ये दिनचर्या ना सिर्फ डॉ अर्पण की है बल्कि हर वो डॉक्टर जो कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहा है उसकी भी है. सरगुजा में कोविड वार्ड के डॉक्टर लगातार 50 दिन से बिना छुट्टी लिए ड्यूटी कर रहे हैं. दिन में 3 बार PPE किट पहनना और इमरजेंसी पड़ने पर बार-बार कोविड वार्ड में जाकर वे लोगों का इलाज कर रहे हैं. घर में भी वे अलग कमरे में ही रहते हैं. परिवार को कहीं संक्रमण ना हो इसके लिए वे खुद को परिवार से दूर ही रखते हैं.

बहरहाल डॉक्टरों के त्याग और बलिदान को हमे समझना होगा. क्योंकि कोरोना के मरीजों का इलाज करना इतना आसान नहीं है. एक तरह से अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर ये कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ऐसे में हमे डॉक्टरों के प्रति अपना रवैया संवेदनशील रखना होगा.

सरगुजा : डॉक्टर को यूं ही धरती का भगवान नहीं कहा जाता है, ये डॉक्टर अपनी जान की परवाह किये बिना लोगों की जान बचा रहे हैं. खासकर कोरोना काल में डॉक्टर लगातार कोरोना मरीज का इलाज कर रहे हैं. दिन भर कोविडवार्ड के अंदर जाते हैं, संक्रमित होते हैं, ठीक होते हैं और फिर इलाज में लग जाते हैं. आखिर डॉक्टर किन कठिनाइयों का सामना कर कोरोना मरीजों का इलाज करते हैं, ये जानने की कोशिश ETV भारत ने की. अंबिकापुर के युवा डॉक्टर डॉ अर्पण सिंह से बातचीत की और जानने की कोशिश की कि इस कोरोना काल में उनकी दिनचर्चा कैसी है.

डॉक्टर अर्पण सिंह से खास बातचीत

डॉ अर्पण सिंह इस समय अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोविड वार्ड में ड्यूटी कर रहे हैं. उन्हें इलाज के साथ-साथ रेमडेसिविर इंजेक्शन की मॉनिटरिंग समिति का भी जिम्मा दिया गया है. इसके अलावा सभी अस्पतालों में बेड की उपलब्धता की जिम्मेदारी भी अर्पण संभाल रहे हैं. ऐसे में इलाज के साथ साथ सामाजिक जिम्मेदारी चार गुना बढ़ गई है.

कोरोना काल में अब दिनचर्चा के नाम पर कुछ भी नहीं

रात 2 से 3 बजे तक फोन पर लोगों की समस्याओं का समाधान करते रहते हैं. सुबह कब उठना पड़ जाए ये तो इन्हें भी नहीं पता होता है. फिर भी जैसे तैसे खुद को परिस्थितियों के अनुसार ढाल कर डॉक्टर अर्पण लोगों की जान बचा रहे हैं. इस दौरान वे खुद भी कोरोना संक्रमित हो गए. अपना इलाज किया और ठीक होने के बाद दोबारा कोरोना ड्यूटी में लग गए.

डॉ अर्पण सिंह ने बताया कि कोरोना काल में सुबह उठने का उनका कोई ठिकाना नहीं है. कोरोना काल से पहले वे 8 बजे ड्यूटी जाते थे और OPD में सेवाएं देते थे. लेकिन अब दिनचर्या बिल्कुल भी नहीं है. उन्होंने कहा कि शारीरिक के साथ मानसिक दबाव भी बहुत ज्यादा है.

Special conversation with doctor Arpan Singh who is doing duty in covid Ward in Ambikapur Medical College Hospital
डॉक्टर अर्पण सिंह

रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में ब्लैक फंगस से डॉक्टर की मौत

'घर में होम आइसोलेशन में रहते हैं डॉक्टर'

डॉ अर्पण ने कहा कि घर में होम आइसोलेशन में रहते हैं. परिवार के साथ खाना खाए जमाना बीत गए हैं. घर में डिस्पोसल में खाना खाते हैं. घर में थाली में खाना खाए भी कई दिन बीत गए हैं. परिवार वालों का घर में घुसने का इंट्री और एग्जिट अलग है. इनका घर में घुसने और बाहर निकालने का दरवाजा अलग है. दिन में 3 बार PPE किट पहनते हैं. जितनी बार PPE किट पहनते है उतनी बार ही उन्हें नहाना पड़ता है.

'जितनी बार PPE किट पहनते है उतनी ही बार नहाते हैं'

ये दिनचर्या ना सिर्फ डॉ अर्पण की है बल्कि हर वो डॉक्टर जो कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहा है उसकी भी है. सरगुजा में कोविड वार्ड के डॉक्टर लगातार 50 दिन से बिना छुट्टी लिए ड्यूटी कर रहे हैं. दिन में 3 बार PPE किट पहनना और इमरजेंसी पड़ने पर बार-बार कोविड वार्ड में जाकर वे लोगों का इलाज कर रहे हैं. घर में भी वे अलग कमरे में ही रहते हैं. परिवार को कहीं संक्रमण ना हो इसके लिए वे खुद को परिवार से दूर ही रखते हैं.

बहरहाल डॉक्टरों के त्याग और बलिदान को हमे समझना होगा. क्योंकि कोरोना के मरीजों का इलाज करना इतना आसान नहीं है. एक तरह से अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर ये कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ऐसे में हमे डॉक्टरों के प्रति अपना रवैया संवेदनशील रखना होगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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