ETV Bharat / state

उद्घाटन की बाट जोह रहा सरगुजा का सोना बाई संग्रहालय

सरगुजा की रजवार भित्ति या भित्ति चित्र की कला देश-विदेश में प्रसिद्ध है. सोना बाई को ही सरगुजा में इसकी जन्मदाता माना जाता है. इस क्षेत्र से तीन-तीन मंत्रियों के रहते हुए उनके निधन के बाद उनकी स्मृति में बना संग्रहालय साल 2015 से ही उद्घाटन की बाट जोह रहा है.

सोना बाई संग्रहालय
सोना बाई संग्रहालय
author img

By

Published : Aug 18, 2021, 8:05 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुज़ा: सोना बाई (sona bai) के नाम के चर्चे न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी होते हैं. सोना बाई द्वारा बनाये गये भित्तिचित्र (graffiti) का संग्रहालय (museum) अमेरिका में बनाया गया है. इसी लिए तो इनके हाथ के हुनर का लोहा विश्व के अलग-अलग देश के लोगों ने भी माना है. इतना ही नहीं इनसे प्रेरित होकर एक अमेरिकन ने तो सोना बाई पर किताब तक लिख दी है. लेकिन विडंबना तो देखिए अपने ही राज्य, अपने ही गांव में सोना बाई की माटी कला मिट्टी में मिल गई है. संस्कृति विभाग हो या फिर अन्य प्रशासनिक तंत्र किसी को भी इस विरासत को संजोने की फुरसत ही नहीं है. आलम चह है कि सोना बाई के निधन के बाद उनकी स्मृति में बना संग्रहालय साल 2015 से ही उद्घाटन की बाट जोह रहा है.

सोना बाई संग्रहालय

सोना बाई हैं सरगुजा में रजवार भित्ति या भित्ति चित्र कला की जन्मदाता

दरअसल, सरगुजा की रजवार भित्ति या भित्ति चित्र की कला बेहद प्रसिद्ध है. सोना बाई को ही सरगुजा में इसकी जन्मदाता माना जाता है. लखनपुर विकासखंड के पुहपुटरा नाम के एक छोटे से गांव की सोना बाई ने इसकी शुरुआत की थी. बचपन में मिट्टी के खेल-खिलौने बनाते-बनाते वो इतनी पारंगत हो गईं थीं कि दीवारों पर आकर्षक डिजाइन उकेरने लगीं. बड़ी बात यह है कि भित्तिचित्र हस्तकला का एक नायाब उदाहरण है. इसके निर्माण में किसी भी तरह के सांचे या फ्रेम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. ये सभी डिजाइन हाथ से ही बनाये जाते हैं.


कैलिफोर्निया के म्यूजियम में अब भी सोना बाई के भित्तिचित्र हैं सुसज्जित
कई राज्यों के शासकीय भवनों में राजभवन में सोना बाई ने भित्तिचित्र बनाये. आलम यह हुआ कि धीरे-धीरे सोना बाई की इस कला के चाहने वाले बढ़ते गये. उन्होंने देश के कई बड़े शहरों में भी जाकर काम किया. अब उनके बच्चे, नाती-पोते इस विरासत को जिंदा रखे हुए हैं. आज भी इनके घर में भित्तिचित्र बनाये जाते हैं. इस अद्भुत धरोहर के कारण सरगुजा की पहचान देश-विदेश तक हुई. एक अमेरिकन ने सोना बाई की कला से प्रभावित होकर उनके जीवन पर किताब तक लिख दी और उन्होंने खुद सरगुजा आकर यहां की जीवन-शैली सीखी. इसके अलावा कैलिफोर्निया में भी एक म्यूजियम बनाया गया है, जहां सोना बाई के भित्तिचित्र सुसज्जित हैं.

तीन-तीन मंत्री हैं इस क्षेत्र से, फिर भी अब तक उपेक्षित है संग्रहालय

गैर मुल्कों ने तो सोना बाई की इस उत्कृष्ट कला को पहचाना भी और उसे पर्याप्त सम्मान भी दिया, लेकिन अपने ही देश, राज्य और गांव में सोना बाई की कला आज उपेक्षा का शिकार है. यहां सोना बाई के सम्मान में घोषणाएं तो की गई, लेकिन वे महज कोरी घोषणाएं ही साबित हुईं. सोना बाई के निधन के बाद उनकी स्मृति में उनके ही गांव पुहपुटरा में साल 2015 में एक संग्रहालय बनाया गया, लेकिन इसका अब तक उद्घाटन तक नहीं हो सका है. वर्तमान में कांग्रेस के तीन-तीन मंत्री इस क्षेत्र से हैं. यह कद्दावर मंत्री टीएस सिंहदेव का विधानसभा क्षेत्र भी है. संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत भी यहीं से हैं. फिर भी सोना बाई की स्मृति में बने संग्रहालय को उद्घाटन का इंतजार समझ से परे है.

सरगुज़ा: सोना बाई (sona bai) के नाम के चर्चे न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी होते हैं. सोना बाई द्वारा बनाये गये भित्तिचित्र (graffiti) का संग्रहालय (museum) अमेरिका में बनाया गया है. इसी लिए तो इनके हाथ के हुनर का लोहा विश्व के अलग-अलग देश के लोगों ने भी माना है. इतना ही नहीं इनसे प्रेरित होकर एक अमेरिकन ने तो सोना बाई पर किताब तक लिख दी है. लेकिन विडंबना तो देखिए अपने ही राज्य, अपने ही गांव में सोना बाई की माटी कला मिट्टी में मिल गई है. संस्कृति विभाग हो या फिर अन्य प्रशासनिक तंत्र किसी को भी इस विरासत को संजोने की फुरसत ही नहीं है. आलम चह है कि सोना बाई के निधन के बाद उनकी स्मृति में बना संग्रहालय साल 2015 से ही उद्घाटन की बाट जोह रहा है.

सोना बाई संग्रहालय

सोना बाई हैं सरगुजा में रजवार भित्ति या भित्ति चित्र कला की जन्मदाता

दरअसल, सरगुजा की रजवार भित्ति या भित्ति चित्र की कला बेहद प्रसिद्ध है. सोना बाई को ही सरगुजा में इसकी जन्मदाता माना जाता है. लखनपुर विकासखंड के पुहपुटरा नाम के एक छोटे से गांव की सोना बाई ने इसकी शुरुआत की थी. बचपन में मिट्टी के खेल-खिलौने बनाते-बनाते वो इतनी पारंगत हो गईं थीं कि दीवारों पर आकर्षक डिजाइन उकेरने लगीं. बड़ी बात यह है कि भित्तिचित्र हस्तकला का एक नायाब उदाहरण है. इसके निर्माण में किसी भी तरह के सांचे या फ्रेम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. ये सभी डिजाइन हाथ से ही बनाये जाते हैं.


कैलिफोर्निया के म्यूजियम में अब भी सोना बाई के भित्तिचित्र हैं सुसज्जित
कई राज्यों के शासकीय भवनों में राजभवन में सोना बाई ने भित्तिचित्र बनाये. आलम यह हुआ कि धीरे-धीरे सोना बाई की इस कला के चाहने वाले बढ़ते गये. उन्होंने देश के कई बड़े शहरों में भी जाकर काम किया. अब उनके बच्चे, नाती-पोते इस विरासत को जिंदा रखे हुए हैं. आज भी इनके घर में भित्तिचित्र बनाये जाते हैं. इस अद्भुत धरोहर के कारण सरगुजा की पहचान देश-विदेश तक हुई. एक अमेरिकन ने सोना बाई की कला से प्रभावित होकर उनके जीवन पर किताब तक लिख दी और उन्होंने खुद सरगुजा आकर यहां की जीवन-शैली सीखी. इसके अलावा कैलिफोर्निया में भी एक म्यूजियम बनाया गया है, जहां सोना बाई के भित्तिचित्र सुसज्जित हैं.

तीन-तीन मंत्री हैं इस क्षेत्र से, फिर भी अब तक उपेक्षित है संग्रहालय

गैर मुल्कों ने तो सोना बाई की इस उत्कृष्ट कला को पहचाना भी और उसे पर्याप्त सम्मान भी दिया, लेकिन अपने ही देश, राज्य और गांव में सोना बाई की कला आज उपेक्षा का शिकार है. यहां सोना बाई के सम्मान में घोषणाएं तो की गई, लेकिन वे महज कोरी घोषणाएं ही साबित हुईं. सोना बाई के निधन के बाद उनकी स्मृति में उनके ही गांव पुहपुटरा में साल 2015 में एक संग्रहालय बनाया गया, लेकिन इसका अब तक उद्घाटन तक नहीं हो सका है. वर्तमान में कांग्रेस के तीन-तीन मंत्री इस क्षेत्र से हैं. यह कद्दावर मंत्री टीएस सिंहदेव का विधानसभा क्षेत्र भी है. संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत भी यहीं से हैं. फिर भी सोना बाई की स्मृति में बने संग्रहालय को उद्घाटन का इंतजार समझ से परे है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.