सरगुजा: छत्तीसगढ़ में सरगुजा जिला और जशपुर शहर को स्मोक फ्री होने का खिताब भारत सरकार की ओर से मिला है. अब इस खिताब पर जल्द ही सवालिया निशान लगने वाला है, क्योंकि न्यूजलैंड जहां स्मोक फ्री एनवायरमेंट कानून पास किया गया था, वहां पर अब ये कानून खत्म होने वाला है. कहा जा रहा है कि न्यूजीलैंड में टैक्स बढ़ोत्तरी के लिए स्मोक फ्री एनवायरमेंट कानून को खत्म किया जाएगा. भारत में भी जो स्मोक फ्री एनवायरमेंट का खिताब न्यूजीलैंड की तर्ज पर ही दिया जा रहा था. सरगुजा के डॉक्टर अब न्यूजीलैंड के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इससे पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प खतरे में पड़ जाएगा.
सरगुजा जिला और जशपुर शहर है स्मोक फ्री एनवायरमेंट: सरगुजा और जशपुर शहर जो कि स्मोक फ्री एनवायरमेंट के लिए जाने जाते थे, अब यहां के पर्यावरण प्रेमी और डॉक्टर दोनों परेशान हैं. डॉक्टरों का कहना है कि न्यूजीलैंड की तर्ज ही अपने यहां इस तरह का कदम उठाया गया. अब जब न्यूजलैंड में ही ये कानून खत्म हो जाएगा तो अपने यहां इसका क्या औचित्य रहेगा. सरगुजा जिले और जशपुर शहर के लोग ये कहते थे कि हमने न्यूजीलैंड से पर्यावरण की रक्षा की सीख ली और हमारे यहां भी स्मोक फ्री एनवायरमेंट है. अब वहां कानून खत्म हो जाएगा तो लोगों की मानसिकता पर उसका असर पड़ेगा और लोग जो पहले प्रतिबंध में थे उसे छोड़ सकते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक तंबाकू में 7000 तरह के केमिकल होते हैं. इसमें से 50 केमिकल ऐसे होते हैं जो कैंसर का कारण बनते हैं. स्मोक फ्री एनवायरमेंट को लोग अभी तो यहां मान रहे हैं लेकिन जैसे ही उनको न्यूजलैंड में कानून के खत्म होने की जानकारी मिलेगी वो यहां भी प्रतिबंध हटाने की मांग कर सकते हैं.
स्मोक फ्री एनवायरमेंट है क्या ?: नियमों के तहत जिनका जन्म साल 2008 के बाद हुआ है वो किसी भी तरह से स्मोकिंग प्रोडक्ट नहीं खरीद सकते हैं. 22 दिसंबर 2002 को ये कानून न्यूजीलैंड की संसद में पास हुआ, जिसे कानून की भाषा में स्मोक फ्री एवायरमेंट कानून कहा गया. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो वहां की नई सरकार इस कानून को खत्म करने वाली है. वजह बताया जा रहा है कि टैक्स की बढ़ोत्तरी करना. भारत में सिगरेट और तंबाकू की बिक्री और इस्तेमाल को लेकर 2003 में कानून बनाया गया, जिसे सिगरेट एंड टोबैको प्रोडक्ट एक्ट कहा गया. अंग्रेजी में हम इसे कोपटा भी कहते हैं. कानून के तहत सार्वजनिक स्थलों पर प्रचार और इस्तेमाल दोनों बैन है. 18 साल से कम आयु के लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. स्कूलों कॉलेजों से 100 गज की दूरी पर ही इसको बेचा जा सकता है.