सरगुजा : जिले में सीताफल की डिमांड का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 50 रुपए औसत में बिकने वाला ये फल 120 रुपए किलो में बिक रहा है. जबकि पड़ोसी राज्य में सीताफल उत्पादकों को फसल की सही कीमत नहीं मिल रही.एमपी में सीताफल 10 से 20 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहे हैं.छिंदवाड़ा के किसान अपने फसल को बेचने के लिए सड़क किनारे रेहड़ी लगाकर बैठे हैं.फिर भी इन्हें ग्राहक नहीं मिल रहे.
इम्यूनिटी बूस्टर है सीताफल : सीताफल बेहद गुणकारी फल है.सर्दियों में मिलने वाला ये फल एक इम्यूनिटी बूस्टर भी है. इसमे नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी पाया जाता है. फल की तासीर ऐसी है कि पके हुये फल को एक दिन से अधिक स्टोर नहीं किया जा सकता. इस वजह से ये फल पकने के बाद जल्दी खराब हो जाता है.इसलिए अब डिमांड कम होने पर बचे हुए फलों को किसान कम दाम में बेचने को मजबूर हो जाते हैं.
बाहर से आवक होने से महंगा हुआ सीताफल : अंबिकापुर में लोकल सीताफल 70 रुपये किलो बिक रहा है. लोकल सीताफल काफी छोटे होते हैं, वहीं दूसरे जिले से आने वाले सीताफल की कीमत 120 रुपये प्रति किलो है. बाहरी सीताफल का साइज बड़ा होता है.फल को भी सुरक्षित तरीके से पैक किया जाता है.फल व्यापारी के मुताबिक सीताफल साउथ के राज्यों से रायपुर आता है. वहां से अंबिकापुर लाया जाता है. इसलिए इसकी कीमत महंगी है. मध्यप्रदेश से यहां सीताफल नहीं आता है इसलिए यहां महंगा मिल रहा है.
एमपी में पैदावार ज्यादा इसलिए रेट कम : मध्यप्रदेश के अनूपपुर, शहडोल, मंडला, डिंडोरी, सिवनी, छिंदवाड़ा सहित छत्तीसगढ़ के पेंड्रा क्षेत्र में सीताफल की पैदावार काफी अधिक होती है. यही कारण है कि अधिक उत्पादन होने के कारण सीताफल एमपी के जिलों में सस्ता मिलता है. महज 3 महीने तक ही मिलने वाला यह फल इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह साल भर नहीं मिलता . सीताफल को ज्यादा दिनों तक स्टोर भी नहीं किया जा सकता. लेकिन सरगुजा संभाग में आने वाला फल रायपुर से मंगवाया जाता है.इसलिए कीमतों में भारी अंतर है.